डी जी स्तर पर फेरबदल के बाद SIT की जीरम और नान जाँच के लिए गठित टीमों से उपजा रोष

रायपुर , नई सरकार के कामकाज पर नज़र रखने का दावा करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री के सुर इन दिनों बदले बदले नज़र आ रहे है , बहुत कुछ यही पुरानी सरकार के दूसरे ताकतवर मुसाहिबों के है , ये गुस्सा और रोष सिर्फ सत्ता हाथों से अनायास छिन जाने का भी हो सकता है और दिन प्रतिदिन एक एक मोहरे के पाला बदलने के कारण उपजा गुस्सा भी हो सकता है . विधानसभा सत्र के दौरान यह गुस्सा लगभग प्रतिदिन देखने को मिल रहा है . विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आज दूसरे दिन पर कांग्रेस सरकार पर अपने तल्ख तेवर दिखाये। कल्लुरी की नियुक्ति के मसले पर भूपेश सरकार को घेरने के बाद आज रमन सिंह डीजीपी के मसले पर भी जमकर बरसे। एएन उपाध्याय को हटाकर डीएम अवस्थी को डीजीपी बनाये जाने पर सवाल उठाते हुए डॉ रमन ने कहा कि डीजीपी को नियमों को ताक पर रखकर हटा दिया गया। जबकि डीजीपी को तभी हटाया जा सकता है..जब उन पर अनुशानसहीनता, क्रीमिनल आफेंस , भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप हो या फिर वो शारीरिक रुप से अक्षम हों, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर डीजीपी को हटा दिया गया.. सरकार की ये 25 दिनों की उपलब्धि है।

दरअसल पिछले दिनों डीजीपी की नियुक्ति का जो आदेश जारी किया गया था, उसमें डीएम अवस्थी को डीजीपी का चालू कार्यभार सौंपने का आदेश जारी किया गया था। उसी पर निशाना साधते हुए रमन ने कहा कि – डी जी पी को चालू प्रभार दे दिया गया है क्या पटवारी की तरह डी जी पी को समझा जा रहा है .
जबकि डी एम अवस्थी को कार्यभार सौपने में बी व्ही जी सुब्रमण्यम जैसे छत्तीसगढ़ कैडर के अनुभवी अधिकारी से काश्मीर में चर्चा करके रास्ता निकाला गया था .
इसी तरह परिणाम लाने के लिए किसी भी स्तर तक जा कर कल्लूरी स्टाइल की जाँच से परिचित वही लोग अब कल्लूरी के खिलाफ बयानबाज़ी कर रहे हैं .
कल्लूरी के SIT के प्रभारी बनाये जाने से जो लोग कल्लूरी स्टाइल की जाँच का फोकस अब तक निरीह आदिवासियों के ऊपर रकहते आये थे वे बैचेन हो रहे है , सतर्क हो कर सरकार को पहले से चेतावनी देने में लग गए हैं, साथ ही कल्लूरी की एक अधिकारी के रूप में हुई शिकायतों को सामने रखने लगे है . यहाँ यह याद रखने की जरुरत है की कोई भी सरकार लाखों रूपए महीने जिन अधिकारियो पर खर्च करती है वह उनसे कुछ काम तो लेगी ही , और जब अनुभवी अधिकारीयों की उपस्थिति हो तो उनसे महत्वपूर्ण मामलों की जाँच करवाने में क्या हानि है . हो सकता है पार्ट दर पार्ट छुपी सच्चाइ को इसी तरह का कोई अफसर ही सामने ला सके .

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