शिशु की मालिश करने के कई लाभ होते हैं। इससे बच्चे को आपका दुलार महसूस होता है और आप दोनों के बीच एक मजबूत रिश्ता बन जाता है। मालिश से शिशु को आराम भी मिलता है जिससे उसे अच्छी नींद आती है।
कुछ अध्ययनों की मानें तो बेबी मसाज से शिशु का सही विकास होने में भी मदद मिल सकती है। हालांकि, अभी इस दिशा में और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।
हम सभी जानते हैं कि नवजात शिशु के लिए मालिश कितनी जरूरी है लेकिन बहुत कम लोग ही इस बात से वाकिफ होते हैं कि शिशु के मालिश कब शुरू करनी चाहिए और मालिश करने की विधि क्या है।
शिशु की मालिश करने के फायदे
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ इंफैंट मसाज के अनुसार मालिश करने से शिशु का परिसंचरण और पाचन तंत्र उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है। इससे बच्चों में गैस, ऐंठन, कोलिक, कब्ज जैसी समस्याओं का इलाज हो सकता है।
मालिश से मांसपेशियों में तनाव भी कम होता है और दर्द एवं दांत निकलने पर होने वाली दिक्कतों से भी राहत मिलती है। जिन बच्चों को जन्म नौ महीने से पहले हो जाता है, उनका भी मालिश से अच्छा विकास होने में मदद मिल सकती है।
अगर आपके शिशु को कोई स्वास्थ्य समस्या है तो मालिश करने से पहले एक बार बाल चिकित्सक से बात जरूर कर लें।
नवजात शिशु की मालिश कब करें
शिशु के जन्म के कुछ हफ्तों बाद आप मालिश करना शुरू कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको बच्चे के मूड का भी खास ख्याल रखना है। मसाज के समय पर शिशु शांत और सचेत होना चाहिए। मालिश करने का तरीका ऐसा न अपनाएं जो बच्चे को सहज महसूस करवाए।
मायो क्लीनिक के अनुसार अगर बच्चा मालिश करने के दौरान बांह को सख्त कर लेता है या सिर को पीछे खींचता है तो इसका मतलब है कि वो मालिश करवाने के लिए तैयार नहीं है। शिशु को मसाज देने का सही समय स्तनपान करवाने के कम से कम 45 मिनट बाद होता है। स्तनपान करवाने के तुरंत बाद मालिश करने से शिशु को उल्टी हो सकती है।
नवजात शिशु की मालिश कितनी बार करनी चाहिए
कितनी बार मालिश करनी है, ये निर्णय आप पर और आपके शिशु पर निर्भर करता है। कुछ माता-पिता रोज बच्चे की मालिश करते हैं जबकि कुछ पैरेंट्स हफ्ते में तीन दिन बेबी मसाज करते हैं।
दिन की अच्छी शुरुआत के लिए आप सबुह के समय मालिश कर सकते हैं। वहीं रात को मसाज करने से बच्चे को अच्छी नींद आती है।
नवजात शिशु की मालिश करने का तरीका
शिशु मालिश करने के लिए आपको सही तरीका पता होना चाहिए। 6 महीने के बच्चे की मालिश बहुत ही हल्के हाथों से करनी चाहिए। अगर आपको नवजात शिशु की मालिश करना नहीं आता है तो घर में किसी बुजुर्ग महिला या सदस्य से पूछ सकते हैं।
1.मसाज के लिए घर के भीतर या छत या बालकनी में शांत वातावरण होना चाहिए।
2.नाखूनों को काटकर रखें और ज्वेलरी न पहनें। मालिश से पहले हाथों को अच्छी तरह से धो लें।
3.अब बच्चे को पीठ के बल लिटाएं और उसके कपड़े उतार लें। मालिश के दौरान शिशु की आंखों में देखना जरूरी होता है।
4.मालिश करते हुए उससे बात करते रहें। अब अपने हाथों पर तेल डालें और उसे बच्चे के कानों पर मसलें। इससे शिशु को मालिश के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।
5.मालिश टांगों से शुरू करें और फिर एड़ी तक आएं। अब कंधों, बांह और सीने पर हाथों को गोल-गोल घुमाते हुए मालिश करें।
6.छाती की मालिश करते समय हाथों को जरा नरम रखें। अब शिशु को पेट के बल लिटाकर पीठ और कूल्हों आदि की मसाज करें। पैरों के तलवों और हथेलियों पर भी मसाज देना न भूलें।
7.आखिर में बच्चे की सिर की मालिश करें।
8.बेबी मसाज एक बहुत ही बढिया थेरेपी है जिससे बच्चे को आराम मिलता है। अगर पहली बार में बच्चा मालिश से खुश नहीं होता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप भी धीरे-धीरे नवजात शिशु की मालिश करना सीख जाएंगें और बच्चा भी मसाज को लेकर सहज जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here