भखारा। कुरूद विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम कोर्रा में संचालित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा कोर्रा के बर्खास्त मैनेजर, केशियर एवं चपरासी ने मिलीभगत कर किसानों का फर्जी हस्ताक्षर कर करीब 60 लाख रुपए का घोटाला सन् 2007 में किए थे 7 इस मामले में 13 साल बाद वर्तमान कोर्रा बैंक मैनेजर किशनचंद यदु की शिकायत पर भखारा पुलिस ने बर्खास्त मैनेजर, केशियर एवं चपरासी के खिलाफ धारा 420, 409, 467, 468, 471, 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है । इस संबंध में थाना प्रभारी कोमल सिंह नेताम ने बताया कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा कोरा के बर्खास्त मैनेजर कुमारदत्त दुबे रायपुर निवासी, केशियर राजकुमार साहू नगर पंचायत भखारा वार्ड क्रमांक 2 निवासी, चपरासी मृत झाडूराम साहू नगर पंचायत भखारा वार्ड क्रमांक 6 निवासी एवं रामकुमार ध्रुव चपरासी ग्राम गुजरा निवासी द्वारा मिलीभगत कर सन 2007 से 2012 के बीच किसानों का फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक का 59 लाख 69000 हजार रुपए का घोटाला किया हैं जिससे सरकारी खजाना का नुकसान हुआ है । इस मामले में वर्तमान बैंक मैनेजर किशनचंद यदु धमतरी निवासी की लिखित शिकायत एवं विभागीय 3 सदस्य जांच टीम द्वारा घोटाला का प्रमाण मिलने के बाद चारों बर्खास्त आरोपियों पर उपरोक्त विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है अभी किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी इस मामले में नहीं हुई है। बताया जाता है कि इस मामले के एक आरोपी की मृत्यु हो चुकी है । तीन आरोपी को अतिशीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा।

नाम न छापने की शर्त पर एक बैंक कर्मचारी ने बताया कि सन 2007 में आरोपी कुमारदत्त दुबे कोर्रा बैंक में सहायक लेखापाल थे। यूनियन के अध्यक्ष होने के कारण उनकी काफी धौंस थी जिसके कारण उच्च कार्यालय के भी अधिकारी कर्मचारी उनसे डरते थे। उस वक्त जितने भी मैनेजर आए, कुमार दुबे के अशोभनीय व्यवहार से परेशान थे जिसके चलते कोर्रा बैंक में आरोपी ने काफी मनमानी की । कोर्रा बैंक में रहते रहते ही आरोपी सहायक लेखापाल से मैनेजर बन गए और बैंक के रुपयों की हेराफेरी करने के लिए चपरासी राजकुमार साहू को केशियर बनाकर कैश काउंटर में बिठा दिया। फिर इन चारों आरोपियों का कोर्रा बैंक में एक तरफा दबदबा रहा। सन 2007 और 2012 के बीच करीब 83 लाख रुपयों का गबन कर दिए मामला उजागर होने पर आरोपी कुमार दत्त दुबे ने 19 लाख रुपया जमा कर दिए। 400000 रुपए जो किसानों के नाम पर फर्जी जमा किए थे वह रकम किसानों से बैंक जमा करवा लिए हैं । वर्तमान में करीब 60 लाख रुपया आरोपियों से बैंक को लेना बाकी है। यह मामला कैसे उजागर हुआ पूछे जाने पर बैंक कर्मचारी ने बताया कि सन 2000 -12 में हाथ से लिखा पढ़ी समाप्त होने के बाद कंप्यूटर में लेन देन को एंट्री किया गया तब यह घोटाला पकड़ में आया है । इस बीच कई मैनेजर आए लेकिन किसी भी मैनेजर ने विधिवत एफआईआर दर्ज नहीं कराई । जिसके चलते यह मामला पेंडिंग रहा। यह मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। वर्तमान कोर्रा बैंक के मैनेजर को उच्च कार्यालय से 8 बार रिमाइंडर मिल चुका है जिसके कारण अब जाकर एफआईआर हुई है।

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