हर किसी ने कभी न कभी छोटा-मोटा सिरदर्द महसूस किया होगा. ज्यादा भागा दौड़ या तनाव के कारण भी सिरदर्द की स्थिति पैदा हुई होगी, लेकिन अगर व्यक्ति को सिर में इतना तेज दर्द हो कि उसे लगे मानो सिर ही फट जाएगा तो उसे इस लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही गर्दन भी अकड़ी हुई महसूस होती है, तो इसको हल्के में न लें, क्योंकि व्यक्ति सेरिब्रल एन्यूरिज्म या मस्तिष्क धमनीविस्फार का शिकार हो सकता है. मस्तिष्क धमनीविस्फार तब होता है जब मस्तिष्क की धमनी का कोई हिस्सा फूल जाता है और उसमें रक्त भर जाता है. यह एक तरह की जानलेवा स्थिति है जो किसी भी आयु के लोगों को प्रभावित कर सकती है. इस स्थिति में ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन डैमेज भी हो सकता है.

मरीज की अचानक से मौत भी हो सकती है. ब्रेन एन्यूरिज्म होने पर सिरदर्द के साथ जी मचलना या उल्टी, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, मिर्गी चढऩा, गर्दन में अकडऩ, मांसपेशियों में कमजोरी, शरीर के किसी हिस्से को चलाने में कठिनाई, आंखों में धुंधलापन, सुस्ती, बोलने में परेशानी आदि संकेत दिखाई देते हैं. यह बीमारी 35 से 60 साल की आयु के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है, लेकिन कुछ मामलों में इसकी स्थिति बच्चों में भी देखी जा सकती है. ब्रेन एन्यूरिज्म का विकास धमनी की दीवारों के पतले होने की वजह से होता है. ये अक्सर धमनियों में कांटे या शाखाओं पर बनते हैं क्योंकि नसों के ये हिस्से कमजोर होते हैं. ब्रेन एन्यूरिज्म कई वजहों से हो सकते हैं. इनमें आनुवंशिकता, हाई ब्लड प्रेशर और असामान्य रक्त प्रवाह सबसे बड़ी वजह होती है. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में इसके होने की आशंका अधिक होती है. डॉक्टर क्लिनिकल टेस्ट के साथ ही सीटी स्कैन और ब्रेन एंजियोग्राफी से इस रोग की जांच की जाती है.
ब्रेन एन्यूरिज्म का इलाज
ब्रेन एन्यूरिज्म का इलाज किस विधि से किया जाए इसके लिए डॉक्टर उम्र, रोग की स्थिति और स्वास्थ्य की स्थिति देखते हैं. अगर एन्यूरिज्म छोटा है और स्थिति ज्यादा गंभीर नहीं है तो ऐसे में इसके टूटने का जोखिम न के बराबर होता है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के तरीके देखते हैं. अगर एन्यूरिज्म बड़ा है या इसमें दर्द है तो सर्जरी की जाती है.
जीवनशैली में कुछ बदलाव और घरेलू उपाय अनाकर इसके खतरे को कम किया जा सकता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है ब्लड प्रेशर की जांच करना. हाई ब्लड प्रेशर के समय शरीर में रक्त प्रवाह बहुत तेज हो जाता है. इस स्थिति में हृदय को अधिक काम करना पड़ता है. हृदय धमनियों के माध्यम से खून को शरीर में पम्प करता है. धमनियों में बहने वाले रक्त के लिए एक निश्चित दबाव जरूरी है. दबाव अधिक हो जाता है तो धमनियों पर दबाव पड़ता है. इसके अलावा स्वस्थ भोजन को अपने आहार में शामिल करना चाहिए, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज, उच्च फाइबर युक्त भोजन, दूध आदि शामिल हैं.

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