सांसद ने शून्य काल में उठाया मुद्दा

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य फूलोदेवी नेताम ने सोमवार को संसद में छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान में जोडऩे का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी एवं महिला कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता वंदना राजपूत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सांसद श्रीमती नेताम ने संसद में आज शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए आसंदी से कहा कि मैं सवा तीन करोड़ छत्तीसगढ़ी लोगों की मांग को आपके समक्ष रखना चाहती हूँ। छत्तीसगढ़ी भाषा का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। रामचरित मानस में भी छत्तीसगढ़ी के शब्द मिलते हैं जैसे बाल काण्ड में माखी, सोवत, जरहि, बिकार किष्किन्धाकाण्ड में पखवारा, लराई, बरसा सुन्दरकाण्ड में सोरह, आंगी, मुंदरी आदि छत्तीसगढ़ी शब्द हैं। इसके बाद हमारे लेखकों ने भी छत्तीसगढ़ी भाषा में कविताऐं, नाटक, निबंध, शोध-ग्रंथ लिखकर इस भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए आवश्यक है कि इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा जाए।
श्रीमती नेताम ने कहा कि 28 अगस्त 2020 को छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा को केन्द्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए शासकीय संकल्प को बहुमत से पारित कर दिया है। हम छत्तीसगढ़ी अस्मिता को बढ़ा रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा काम-काज में भी छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग किया जा रहा है।

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