रायपुर, पिछले दिनों कांकेर में पत्रकार सतीश यादव और वरिष्ठ पत्रकार संपादक भूमकाल कमल शुक्ला के साथ निर्मम मारपीट के विरोध में पत्रकारों का व्यापक विरोध प्रदेश भर में दिखाई देता रहा। अभी कल यानी एक अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने चुनिंदा पत्रकारों को अपने आवास में घटना की जांच के लिये कुछ आश्वासन भी दिया। कांग्रेस से जुड़े असामाजिक तत्वों द्वारा पुलिस थाने के सामने की गई घंटो की मारपीट / षड्यंत्र के वीडियो वायरल होने के बावजूद पुलिस ने साधारण धाराओं में अपराध पंजीबद्ध करके निजी मुचलके में आरोपियों को उसी दिन रिहाई भी दे दी गयी , इससे पत्रकारों का रोष स्वाभाविक है।प्रेस क्लब में 1 अक्टूबर को हुई व्यापक बैठक के बाद अपील की गई है निवर्तमान उपाध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर कहते हैं आज 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन 12 बजे सभी साथी प्रेस क्लब और गांधी मैदान में एकत्रित हों।

कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला के ऊपर 27 सितंबर को जानलेवा हमला हुआ है। वहीं एक अन्य पत्रकार साथी सतीश यादव के साथ मारपीट की घटना हुई है।

इसे लेकर छत्तीसगढ़ ही नहीं देशभर के पत्रकारों में काफी आक्रोश है। मगर, इतने आक्रोश के बाद भी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, उल्टे सरकार और प्रशासन के लोग अपराधियों को बचाने में जुटे हुए हैं।

ऐसे हालातों में आने वाले दिनों में पत्रकारों के लिए काम करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। घटना कांकेर के पत्रकार कमल शुक्ला या सतीश यादव के साथ हुई है, यह सोचकर अगर हम आज चुप हो गए तो कल ये घटना हमारे और आपके साथ भी हो सकती है।

इसलिए ये चुप रहने का वक्त नहीं है। बोलने का वक्त है और सरकार से सवाल पूछने का वक्त है कि आखिर हमें काम करने का सुरक्षित माहौल क्यों उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है ?अपराधियों को प्राश्रय क्यों दिया जा रहा है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है…?

इस संबंध में हमारी सरकार के प्रतिनिधियों से टेलीफोनिक चर्चाएं हुई हैं, लेकिन सरकार और उनके प्रतिनिधि हमारी किसी भी मांग को मानने तैयार नहीं है।

इसलिए इस हमले में आपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बस्तर के पत्रकार साथियों के साथ रायपुर प्रेस क्लब ने भी कदम से कदम मिलाकर चलने का निर्णय लिया है।

बस्तर के पत्रकार साथियों ने 2 अक्टूबर, गांधी जयंती के अवसर पर प्रदर्शन और मुख्यमंत्री निवास के घेराव का निर्णय लिया है। इसमें हम सब भी शामिल हो रहे हैं। इसका निर्णय एक अक्टूबर को रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित सदस्यों की एक बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया है।

प्रेस क्लब के कुछ लोग पत्रकार हित छोड़कर सरकार और अपराधियों के पाले में जा हुए हैं। हालांकि इनकी संख्या दो-चार ही है, लेकिन इनके इस कृत्य से प्रदेशभर में गलत संदेश गया है और रायपुर प्रेस की न केवल बदनामी हो रही है, बल्कि इससे प्रेस क्लब की साख भी गिरी है।

ये लोग पत्रकार साथियों के बीच भ्रम की स्थिति भी पैदा कर रहे हैं कि आंदोलन को रायपुर प्रेस क्लब का समर्थन नहीं है। ऐसे लोगों के बहकावे में न आएं। आंदोलन को समर्थन का निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से सर्वसम्मति के साथ लिया गया है। अफवाह फैलाने वाले इन लोगों को पत्रकार और पत्रकार हित से कोई लेना- देना नहीं है। ये केवल अपना हित साध रहे हैं। इन लोगों के मुताबिक पत्रकार का मार खाना उचित है। ऐसे लोगों की शक्लें आप सब भी पहचान के रख लें।

मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि पत्रकार अस्मिता, पत्रकार सुरक्षा और पत्रकारिता की रक्षा के लिए आज दो अक्टूबर को होने वाले प्रदर्शन में शामिल होकर अपनी सहभागिता दिखाएं।

हमें नहीं पता कि इस प्रदर्शन के बाद हमारी मांगे मानी जाएंगी या नहीं। हमें यह भी नहीं पता कि हम जीतेंगे या हारेंगे। लेकिन हमें इस बात की तसल्ली होगी कि हमने अपने अधिकारों, अपने खिलाफ हो रहे अत्याचारों, मारपीट और गुंडागर्दी की खिलाफ लड़ाई लड़ी। हम सत्ता और सरकार के खिलाफ लड़ने से पीछे नहीं रहे। हमने लड़ाई अपने वर्तमान के साथ अपने भविष्य के लिए भी लड़ी।

मैं आप सभी से इस लड़ाई में बस्तर और प्रदेशभर से आ रहे पत्रकार साथियों के समर्थन की अपील करता हूं।

कुछ लोगों ने कई तरह की अफवाहें फैलाकर रायपुर प्रेस क्लब और रायपुर के पत्रकारों का उपहास उड़वाने वाला काम किया है। हमें ऐसे लोगों को भी जवाब देना है। इसलिए इस प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर हमें यह भी साबित करना होगा कि पत्रकारों की लड़ाई में रायपुर के पत्रकार बस्तर और प्रदेश भर के पत्रकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

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