कांकेर। रावघाट खदान के साथ साथ अन्य कई के शुरू होने का प्रभाव सुरक्षा बलों की सघन व्यवस्था के रूप दिखाई दे रही है।  जिले के कोयलीबेड़ा क्षेत्र में बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में 68 ग्राम पंचायत के 103 गांवों के हजारों ग्रामीणों ने पखांजूर मुख्यालय में बुधवार से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इसके पहले ये सभी लोग करकाघाट और तुमराघाट में पांच दिन तक आंदोलन कर चुके हैं। और अब पखांजूर में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू हुआ है। यहां के ग्रामीण अपने साथ राशन और बिस्तर लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। पखांजूर में आज धरना प्रदर्शन का पहला दिन है। करकाघाट और तुमराघाट में सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ का कैंप खोल गया है, जिसे ग्रामीण देवस्थल बता रहे हैं। और उनका आरोप है कि ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए ही यह कैंप खोला गया है।

असल में, कांकेर जिले के कुछ इलाकों में सरकार नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप खोल रही है। बीते 29 नवंबर को कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं। जिसमें करकाघाट और तुमराघाट भी शामिल हैं। बीएसएफ कैंप खुले अभी सिर्फ 15 दिन हुआ हैं और ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।

बता दें कि एसटी, एससी, ओबीसी समाज अनिश्चितकालीन धरने पर राशन-पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर बैठ गया हैं। गांववालों का कहना है कि जब तक बीएसएफ का कैंप नहीं हटाया जाएगा, धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। ग्रामीण लच्छु गावड़े का कहना है कि हमें कैंप से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिस जगह कैंप खोला गया है। वह आदिवासियों का देवस्थल है, जहां हमारा देवी-देवता निवास करते हैं।  उनका कहना है कि करकाघाट और तुमराघाट में खोले गए कैंप से आदिवासी समाज के लोगों की आस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि यहां से बीएसएफ कैंप हटाया जाए।

गांव के लोगों का कहना है कि बीएसएफ कैंप की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है। यह जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचाने की साजिश है। यहां कैंप बैठाकर लौह अयस्क निकालकर उन पर अत्याचार करने का षणयंत्र है। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां कैंप इसलिए खोला गया है, ताकि सुरक्षा के साथ लौह अयस्क निकालकर उद्योगपतियों को पहुंचाया जा सके। निजी क्षेत्र के कई स्टील प्लांट भी खुलने की तैयारी बस्तर में की जा रही है।

  1. ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी दुर्गुकोंदल, रावघाट सहित अन्य जगहों पर लौह अयस्क खदान खोले गए हैं। जिसमें आम ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। केवल यहां के ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है जिसका लगातार विरोध ग्रामीणों द्वारा किया जाता रहा है।

ग्रामीणों ने बीएसएफ कैंप खोले जाने की सूचना मिलने पर प्रतापतापुर में आंदोलन और रैली की थी। कैंप खोलने के विरोध में प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा गया था। इस संबंध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंपकर इसका विरोध जताया था। जिस पर राज्यपाल ने जांच कराए जाने की बात कही थी। किन्तु आगे किसी कार्रवाही की जानकारी ग्रामीणों को नही मिली।

   जबकि    बस्तर के पुलिस अफसरों का कहना है कि बीएसएफ कैंप इलाके में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए खोला गया है, कैंप ग्रामीणों के हित में हैं। यहां कैंप खुलने से क्षेत्र का विकास होगा और वर्षों से लंबित पड़े विकास कार्य सड़क और पुल के निर्माण कार्य में तेजी आएगी। लेकिन सरकारी अफसरों के दावों से यहां के ग्रामीण इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उन्हें डर है कि बीएसएफ कैंप खुलने से उनकी जिंदगी और भी बदतर हो जाएगी।

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