केन्द्र सरकार में लंबित आदिवासी हितों से संबंधित समस्याओं के निराकरण हेतु महामहिम राज्यपाल को सौपा ज्ञापन
कांकेर। आदिवासियों के व्यापक हितों पर विपरीत प्रभाव डालने वाले प्रावधानों वाले 28जून 2022 की अधिसूचना 459 को प्रदेश में लागू होने से रोकने सहितनिम्नांकित तथ्यों सहित अन्य सामाजिक मुद्दों पर राज्यपाल का ध्यान आकर्षित कराते हुए प्रदेश के अनुसूचित जनजाति वर्ग के कांग्रेस विधायकों के प्रतिनिधि मंडल ने  राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिल कर ज्ञापन सौंपा जिसमें उल्लेख करते हुए कहा कि केन्द्रीय पर्यावरण एवं जल वायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 28 जून 2022 के अधिसूचना क्रमांक 459 को छत्तीसगढ़ में लागू होने से रोकने के लिए संविधान के अनुक्षेत्र 244 (1) एवं पांचवी अनुसूची की कण्डिका 05 के तहत विशेषाधिकार का प्रयोग करने हेतु महामहिम राज्यपाल को निवेदन किया, चूंकि उक्त नियम के लागू होने से अनुसूचित क्षेत्रों में लागू, पेशा कानून एवं वन अधिकार कानून 2006 के प्रावधानों का उल्लघंन होगा, इसलिए उक्त नियम को छत्तीसगढ़ में लागू होने से रोकने के लिए विधानसभा में शासकीय संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को पूर्व में पत्र प्रेषित किया जा चुका है। ज्ञापन के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को उक्त अधिसूचना छत्तीसगढ़ में लागू ना हो इसलिए हस्तक्षेप करने हेतु निवेदन किया गया है।
भारतीय संविधान के अनुसार अनुसूचित जनजाति की सूची तैयार करने के पूर्व अधिसूचना प्रकाशित की जाती है जिससे जाति के आधार पर आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं का प्रावधान किया जाता है। प्रत्येक 10 वर्ष में केन्द्र सरकार के द्वारा जनगणना की जाती है जिसमें धर्म के आधार पर व्यक्तियों की संख्या सुनिश्चित की जाती है। जनजातियों के श्रेणी में आने वाले व्यक्तियों के लिए पृथक से धर्म कोड नहीं होने के कारण प्रगणको द्वारा मनमाने ढंग से धर्म अंकित कर दिया जाता है जिसके कारण जनजाति समाज की वास्तविक संख्या अंकित नहीं हो पाती। ज्ञापन के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को आदिवासियों के लिए पृृथक से धर्म कोड आबंटित किये जाने हेतु भारत सरकार से आग्रह करने हेतु निवेदन किया गया है जिससे जनजातीय समाज की वास्तविक संख्या ज्ञात हो सके।
उच्चारण एवं मात्रात्मक संबंधी दोष के कारण बहुत से जनजातियों की जाति भू अभिलेख एवं अन्य अभिलेखों में अपभ्रंश होकर अलग-अलग दर्ज हो गया है, छत्तीसगढ़ में एैसे 22 जनजातियों में विसंगतियां पायी गई है, उक्त विसंगतियों को दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रस्ताव कई बार केन्द्र सरकार को भेजा गया है, ज्ञापन द्वारा महामहिम राज्यपाल से निवेदन किया गया है कि केन्द्र सरकार से आग्रह कर इस संबंध में त्वरित कार्यवाही करने का कष्ट करेंगे।
जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत शासन द्वारा केन्द्र पोषित प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति हेतु गाईडलाईन दिनांक 01.07.2012 से लागू किया गया है जिसमें विद्यार्थियों के पालकों की वार्षिक आय सीमा 2,00,000/- (दो लाख) रूपये निर्धारित की गई है, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसुचित जाति के लिए आय सीमा 8,00,000/- (आठ लाख) रूपये निर्धारित है, उक्त विषय पर महामहिम राज्यपाल से निवेदन किया गया है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के पालकों के लिए भी वार्षिक आय सीमा अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनसुचित जाति वर्ग की भांति बढ़ाये जाने हेतु केन्द्र शासन से आग्रह करने का कष्ट करेंगे।
ज्ञापन के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को अवगत कराया गया कि संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के तहत अधिसूचित क्षेत्रों में प्रशासन एवं नियंत्रण के लिए आपको विशेष शक्तियां दी गई है हम समस्त आदिवासी विधायकगण आपसे निवेदन करते हुए अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर उपरोक्त वर्णित सभी बिन्दुओं पर आवश्यक एवं त्वरित कार्यवाही करने की मांग की गई। ज्ञापन सौपने वालों में आदिवासी विधायकगणों में कवासी लखमा, श्रीमती अनिला भेंडिया, मोहन मरकाम, शिशुपाल शोरी, देवेन्द्र बहादुर सिंह, लखेश्वर बघेल, सन्त राम नेताम, इन्द्रशाह मंडावी, चिन्तामणि महराज, यू. डी. मिंज, डॉ. लक्ष्मी ध्रुव, गुलाब कमरो, बृहस्पत सिंह, डॉ. प्रीतम राम, विनय कुमार भगत, लालजीत सिंह राठिया, डॉ. के.के. ध्रुव, पुरूषोत्तम कंवर, मोहित राम, अनूप नाग, चंदन कश्यप, राजमन वेंजाम, विक्रम मंडावी, जिला पंचायत अध्यक्ष सुकमा हरिश कवासी लखमा उपस्थित थे ।

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