कोलकाता, एजेंसियां, पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन हो गया है। उन्होंने कोलकाता में अपने आवास पर आज सुबह अंतिम सांस ली। वह 80 साल के थे। बंगाल के पूर्व सीएम ने गुरुवार सुबह 8.20 बजे अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार थे।

उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी, जिसकी वजह से उन्हें जुलाई में अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था। वह काफी समय से सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और बुढ़ापे से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। उनका कोलकाता में उनके घर पर ही इलाज चल रहा था।

उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटी है। भट्टाचार्य अपने स्वास्थ्य के कारण पिछले कुछ वर्षों से सार्वजनिक जीवन से दूर थे। उन्होंने 2015 में सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति से इस्तीफा दे दिया था और 2018 में राज्य सचिवालय की सदस्यता छोड़ दी थी।

बंगाल में उन्होने की थी औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत –
एक समय तक पश्चिम बंगाल की आय का प्राथमिक साधन मुख्यतः कृषि थी, लेकिन बुद्धदेव ने इस स्थिति को बदलने के लिए अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा जोखिम उठाते हुए औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने बंगाल में फैक्टरियों की स्थापना हेतु विदेशी और राष्ट्रीय पूंजी को आमंत्रित किया। इनमें से दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो भी शामिल रही, जिसका उत्पादन प्लांट कोलकाता के पास स्थित सिंगुर में स्थापित किया गया था। जिसका माओवादी संगठनों  तथा ममता बैनर्जी और उनकी पार्टी ने कड़ा विरोध किया था

इसके अलावा उनकी योजना राज्य में अन्य बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत करने की भी थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर विरोध के चलते वह सफल नहीं हो सके और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
कौन थे बुद्धदेव भट्टाचार्य?
भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे। वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रह चुके थे। बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य की पढ़ाई की थी और बंगाली (ऑनर्स) में बीए की डिग्री ली थी। वह बाद में सीपीआई (एम) से जुड़ गए थे। उन्हें सीपीआई की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन डीवाईएफ का राज्य सचिव बनाया गया थे, जिसका बाद में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया था।

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