आंध्र प्रदेश की पुलिस पुलिस ने बनाया था गांजा के परिवहन का प्रकरण
कोंटा, बस्तर संभाग के 4 पत्रकारों के खिलाफ़ गांजा के परिवहन का केस पिछले महीने कोंटा बार्डर के नजदीक चिंतूर पुलिस थाने में बनाया गया था. पत्रकारों द्वारा आरोप लगाया गया कि कोंटा के थानेदार द्वारा रेत के तस्करों से मिलीभगत के कारण इसके रिपोर्टिंग के लिए गए पत्रकारों को फंसाने के लिए उनकी कार में चुपचाप गांजा रख कर चिंतूर थाने को इसकी सूचना दे कर कार्यवाही करवाई गयी थी. कल जिला कोर्ट ने सभी 4 पत्रकारों को इस मामले में 20-20 हजार रुपये की निजी बांड तथा , स्थानीय जमानतदार व्यक्ति की इतनी ही राशि की ज़मानत तथा चार्ज शीट पेश होते तक प्रति सप्ताह मंगलवार को चिंतूर थाने में उपस्थिति दर्ज कराने की शर्त के साथ ज़मानत पर छोड़ने का आदेश दिया.
गांजा तस्करी मामले में फंसाए गए पत्रकार बप्पी राय, शिवेंदु त्रिवेदी, धमेंद्र सिंह और मनीष सिंह को राहत… अदालत ने दी सशर्त जमानत
बस्तर के पत्रकारों के खिलाफ आंध्रप्रदेश के चिंतुर थाने में दर्ज एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तारी के बाद आज राहत की खबर आई। एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत विशेष न्यायाधीश-सह-आई-अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर. शिव कुमार की अदालत ने आज इस मामले में गिरफ्तार किए गए चार पत्रकारों बप्पी राय, शिवेंदु त्रिवेदी, धर्मेंद्र सिंह, मनीष सिंह को 20—20 हजार के निजी बांड और दो स्थानीय जमानतदारों के आधार पर प्रति सप्ताह चिंतुर थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की शर्त पर जमानत दे दी है।
यह याचिका 02 सितंबर को याचिकाकर्ताओं के वकील पी. नंद किशोर ने न्यायालय में जमानत के लिए अपील की थी । विशेष लोक अभियोजक की उपस्थिति में सुनवाई की गई। एक महत्वपूर्ण बिंदु न्यायलय ने जमानत के लिए आधार बनाते अपने आदेश में दर्ज किया है कि इस मामले में सारे गवाह सरकारी गवाह हैं। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं गिरफ्तार किए गए आरोपी क्रमांक ए3 से ए6 को सशर्त के अधीन जमानत देने का विकल्प चुना है कि वे चार्जशीट दाखिल होने तक हर मंगलवार को दिन के समय एसएचओ, चिंतूरू पुलिस स्टेशन के समक्ष उपस्थित होंगे और वे जांच में सहयोग करेंगे तथा न्याय की प्रक्रिया को बाधित नहीं करेंगे।
परिणामस्वरूप, याचिका को अनुमति दी जाती है तथा याचिकाकर्ताओं/ए3 से ए6 को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है, बशर्ते कि वे 20,000/- रुपये के निजी बांड तथा समान राशि के दो स्थानीय जमानतदारों को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट, राजमहेंद्रवरम की संतुष्टि के अनुसार निष्पादित करें, इस शर्त के साथ कि वे चार्जशीट दाखिल होने तक हर मंगलवार को दिन के समय एसएचओ, चिंतूरू पी.एस. के समक्ष उपस्थित होंगे तथा वे जांच में सहयोग करेंगे तथा न्याय की प्रक्रिया को बाधित नहीं करेंगे।
ज्ञातव्य हो कि इस मामले को ले कर तीन प्रदेश के पत्रकारों ने रोष जताया था तथा दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों, गृहमंत्री मंत्रियों को संयुक्त ज्ञापन दिया था. जिला पुलिस अधिकारी को सर्वप्रथम दक्षिण बस्तर पत्रकार संघ की ओर से लिखित शिकायत की गयी थी.
इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन के साथी संगठन आंध्र प्रदेश यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के पदाधिकारियों ने आंध्र के गृहमंत्री महोदया से मिल कर न्याय के लिए गुहार लगायी थी. दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ( आईजेयु ), प्रेस क्लब रायपुर अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर तथा भारती पत्रकार संगठन ने गृहमंत्री छग से मिल के मामले की जानकारी दी थी जिससे षड़यंत्र कारी थानेदार के खिलाफ़ त्वरित कार्यवाही की गयी थी.
दरअसल दक्षिण बस्तर पत्रकार संघ के अध्यक्ष बप्पी राय को सूत्रों से खबर मिली थी कि कोंटा से आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में अवैध रूप से रेत की तस्करी की जा रही है। कोंटा पुलिस के साथ तस्करी करने वालों की सांठ-गांठ है। इन भारी वाहनों को बड़ी आसानी से बॉर्डर पार कराया जाता है। इसी सूचना पर दंतेवाड़ा से बप्पी राय और शिवेंदु उर्फ निशु त्रिवेदी, सुकमा से धर्मेंद्र सिंह और मनीष सिंह गए थे।
उन्होंने रेत तस्करी करते हुए कुछ गाड़ियों को पकड़ा था। इसके बाद वे अपने कैमरे में वाहनों की वीडियो रिकॉर्ड कर रहे थे। इतने में ही तस्कर ने कोंटा थाना प्रभारी अजय सोनकर को फोन कर मौके पर बुला लिया था। अजय सोनकर मौके पर पहुंचे और उन्होंने पत्रकारों के साथ गाली-गलौज करनी शुरू कर दी थी। उन्हें थाने में बिठाने की धमकी दिए थे। किसी तरह यह मामला उस समय शांत हो गया था।
फिर इन पत्रकारों ने कोंटा में एक लॉज में कमरा बुक किया और रात यहीं गुजारी। उनकी गाड़ी होटल के सामने ही पार्किंग में खड़ी हुई थी। आधी रात 2 अज्ञात लोग उनकी गाड़ी के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे। गाड़ी का लॉक और डिक्की खोलने का प्रयास किया गया। यह पूरा माजरा पार्किंग में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था।
2 स्थानीय युवक ले कर गए थे बप्पी राय की कार
कोंटा के रहने वाले इरशाद खान और पवन नाम के दो युवक लॉज पहुंचे। इन्होंने बप्पी राय से उनकी गाड़ी की चाबी ली। उनसे कहा गया कि वे कुछ निजी काम से जा रहे हैं। जल्द ही लौट आएंगे। इसके बाद उनकी गाड़ी लेकर कहीं चले गए थे। कुछ देर बाद लौटे और चाबी बप्पी राय को थमा दी। फिर वे दोनों युवक वहां से चले गए थे। इसके बाद बप्पी समेत अन्य पत्रकार होटल से निकले और सीधे अपनी गाड़ी में बैठकर पेट्रोल डलवाने के लिए कोंटा से सटे आंध्र प्रदेश के एक गांव की तरफ जा रहे थे।
बॉर्डर पार करते ही आंध्र प्रदेश पुलिस के दो जवानों ने उन्हें रोका और सीधे उनकी गाड़ी की डिक्की चेक की। जिसमें से उन्हें 15 किलो गांजा मिला था। उनकी गिरफ्तारी हुई आंध्र प्रदेश चिंतूर थाने की पुलिस ने कुल 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। जिसमें इरशाद खान और पवन को भी आरोपी बनाया गया। ये दोनों फरार हैं।
कोंटा के तत्कालीन थानेदार को हुई जेल
जैसे-जैसे इस मामले की जानकारी बस्तर समेत छत्तीसगढ़ के पत्रकारों को मिली तो इस मामले ने तूल पकड़ लिया। निष्पक्ष जांच की मांग की। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा समेत पुलिस के बड़े अधिकारियों के नाम हर जिले में कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन भी सौंपा गया था। जिसके बाद सुकमा पुलिस ने SDOP परमेश्वर तिलकवार के नेतृत्व में एक जांच टीम बनाई थी।
मामले की जांच में पाया गया कि तत्कालीन कोंटा थाना प्रभारी अजय सोनकर ने होटल में लगे सीसीटीवी कैमरे से छेड़छाड़ की है। उन्होंने DVR को अपने कब्जे में लिया और फुटेज को डिलीट कर दिया है। जांच में तथ्य सही पाए गए तो SP किरण चव्हाण ने तत्काल थाना प्रभारी को निलंबित किया। उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई। उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
आंदोलन भी हुए
दक्षिण बस्तर के 4 पत्रकारों को गांजा केस में फंसाए जाने के मामले ने जल्दी ही तूल पकड़ लिया था । इस मामले की CBI जांच और नेता जी समेत इसमें शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई। खनिज विभाग की संलिप्तता की भी जाँच कराने की मांग की गयी. सुकमा जिले के कोंटा में पत्रकारों ने विशाल प्रदर्शन किया। जिसमें छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 200 से ज्यादा पत्रकार शामिल हुए।
इन चार राज्यों के पत्रकारों ने हाथ और मुंह पर काली पट्टी बांधी, मौन धरना प्रदर्शन किया। करीब 2 घंटे तक प्रदर्शन करने के बाद रैली निकाली गई। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम SDM को ज्ञापन सौंपा गया था । पत्रकारों ने सरकार से मांग को लेकर अल्टीमेटम दिया था कि 3 दिन के अंदर सरकार मामले को लेकर कार्रवाई करे, वरना राजधानी रायपुर में प्रदर्शन किया जाएगा। इस मामले में आंध्र प्रदेश यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के राज्य पदाधिकारियों ने आंध्र के गृहमंत्री से मुलाक़ात करके निर्दोष पत्रकारों के खिलाफ़ फर्जी प्रकरण बनाये जाने की शिकायत की थी.