दिल्ली ( संवाददाता ) आज समाज में घृणा और आपसी संवाद की भाषा में कटुता का भाव बढ़ता जा रहा है l हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में इसकी दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं, यह एक बड़ी चिंता का विषय है l यूक्रेन, रूस, इसराइल, लेबनान और सीरिया आदि देशों की युद्ध विभीषिका से मानवता खतरे में है l यह विचार वयोवृद्ध दार्शनिक , पूर्व सदर ए रियासत (जम्मू कश्मीर ) पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉक्टर कर्ण सिंह ने व्यक्त किया l

डॉ कर्ण सिंह नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में प्रसिद्ध गांधीवादी  लक्ष्मी दास जी द्वारा लिखित आत्मकथा “संघर्ष की आपबीती” पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे l उन्होंने  लक्ष्मी दास जी की इस संघर्ष गाथा का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रत्येक मानव के जीवन में संघर्ष के क्षण आते हैं परंतु सत्य और जीवन मूल्यों का आधार उनका पथ प्रदर्शक भी बनता है l उन्होंने अपने वर्षों के राजनीतिक जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने भी अनेकों संघर्षों का सामना किया l उन्होंने कहा कि गीता और उपनिषद जैसी मार्गदर्शक ग्रंथ को परिवर्धित नहीं किया जा सकता परंतु संविधान को मानवीय सापेक्षता के अनुसार परिवर्धित किया जाता रहा है l उन्होंने कहा कि हमारे देश को आजादी, अहिंसा के द्वारा मिली , परंतु आजादी के उपरांत हुई हिंसा एक भयानक त्रासदी थी जिसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गवाई और बेघर हुए , उसको नहीं भूलाया जा सकता l आज भी पिछड़ी वर्गों, आदिवासियों को उनका अधिकार देने की आवश्यकता है l पुस्तक के लेखक  लक्ष्मी दास ने संघर्ष की आप बीती पुस्तक के बारे में कहा कि यह उनके जीवन का दस्तावेज है , जिसको उन्होंने पल-पल जिया है l हिमाचल में उनके बहुत ही सामान्य परिवार को सामाजिक बहिष्कार जैसे उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा l   तत्पश्चात गरीबी का लंबा अभिशाप झेलते हुए उन्होंने अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत की l सामाजिक जीवन में विभिन्न स्तरों पर कटु अनुभव का सामना भी किया , यह सब लिखना बहुत कठिन कार्य था परंतु सत्य के बल पर यह सब संभव हुआ l इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कर्नाटक की कानून एवं पर्यटन मंत्री डॉ. एच. के. पाटील ने कहा कि लक्ष्मी दास जी ने अपनी आत्मकथा संघर्ष की आपबीती में अपनी सामाजिक सरोकारों , नैतिक व सामाजिक मूल्यों का निर्वहन किया है l वह बधाई के पात्र है l उन्होंने चिंता जाहिर की कि आज गांधीवादी विचारधारा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है l शासकीय संरक्षण के बिना चल रही गांधी संस्थाओं के समक्ष एक बड़ी चुनौती है l

इस अवसर पर पुस्तक के प्रकाशक , एवं गणमान्य व्यक्तियों द्वारा मुख्य अतिथि डॉक्टर कर्ण सिंह एवं अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर एच. के. पाटील एवं लक्ष्मी दास  का भव्य स्वागत किया गया l समारोह में दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री रहे मंगतराम , हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ .शंकर कुमार सान्याल, गांधी शांति प्रतिष्ठान के  कुमार प्रशांत ,  सुधाकर  , अन्नामलाई , डॉ कमल टावरी ,  ओ. पी. शर्मा , बी. आर.शर्मा , प्रोफेसर धनंजय जोशी , दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव  रमेश नेगी, ध्रुव अग्रवाल ,चार्टड एकाउंटेंट व समाजसेवी और डॉ रमेश कुमार पासी,( अंतरराष्ट्रीय पीस मिशन के अध्यक्ष) , डॉ राजीव रंजन एवं डॉक्टर बी आर चौहान के अतिरिक्त सैकड़ो गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थेl

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