नई दिल्ली। केंद्र में पांच साल के शासन के बल पर मोदी लहर ने विपक्षी दलों पर ऐसा कहर ढाया कि अच्छे-अच्छे दलों के किले ढह गए. सबसे ज्यादा नुकसान देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को हुआ. पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी जहां अमेठी से हार की कगार पर हैं वहीं पार्टी के स्टार कहे जाने वाले और श्री गांधी के करीबी लोग भी चुनाव हार चुके हैं. पार्टी की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वह दर्जन भर राज्यों में अपना खाता तक नहीं खोल पाई.
जहां विधानसभा चुनाव जीते वहां भी हालत खराब
अभी छह महीने पहले की ही बात है. कांग्रेस ने हिंदी हार्ट लैंड कहे जाने वाले तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में सत्ता परिवर्तन कर अपनी मजबूती का एहसास करा दिया. राजनीतिक पंडितों का कहना था कि इन राज्यों में मिली जीत का असर लोकसभा चुनाव पर देखा जाएगा. लेकिन हुआ इसका उल्टा. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस के हाथ दो-दो सीटें लगीं वहीं राजस्थान से तो पार्टी का सूपड़ा ही साफ हो गया. यहां पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे भी चुनाव हार गए. मध्य प्रदेश में तो कांतिलाल भूरिया, ज्योर्तियादित्य सिंधिया, दिज्विजय सिंह जैसे बड़े नाम भी नहीं जीत पाए. कमलनाथ को अपने बेटे को जिताने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा. मध्यप्रदेश की स्थिति यह है कि कमलनाथ के नेतृत्व से कई विधायक खफा हैं और सपा और बसपा के गठबंधन से चल रही कमलनाथ सरकार के भविष्य पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं.
इन राज्यों में नहीं मिली कांग्रेस को एक भी सीट
गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाड़ु, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, दादर नागर हवेली शामिल है.
प्रियंका की एंट्री भी नहीं बदल सकी किस्मत
कांग्रेस को इस चुनाव से काफी उम्मीद थी. क्योंकि उसने अचानक चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की एंट्री करा दी. लेकिन उनका चुनाव प्रचार भी काम नहीं आ सका. उत्तर प्रदेश में ही उन्हें केवल एक सीट रायबरेली पर संतोष करना पड़ा. महाराष्ट्र में 7, पंजाब में 8, पश्चिम बंगाल में 2, छत्तीसगढ़ में 2, झारखंड और कर्नाटक में 2, तेलंगाना में 4, सीटों से ही संतोष करना पड़ा.
कई बड़े चेहरे हारे या पीछे हैं
कांग्रेस को चुनाव में हुए नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके कई बड़े चेहरे चुनाव में हार गए हैं. स्वयं राहुल गांधी अमेठी सीट से हार की कगार पर हैं. स्मृति ईरानी ने यहां निर्णायक बढ़त ले ली है. इसके अलावा ज्योर्तियादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया, दिज्विजय सिंह, शीला दीक्षित, शत्रुघ्न सिन्हा, सुष्मिता देव, सुबोधकांत सहाय, वीरप्पा मोईली, बीके हरिप्रसाद, मल्लिकार्जुन खडग़े, प्रिया दत्त, संजय निरूपम, मिलींद देवड़ा, राज बब्बर (पीछे), अशोक चव्हाण (पीछे), रेणुका चौधरी (पीछे) जितिन प्रसाद, सलमान खुर्शीद, हरीश रावत, मीरा कुमार, कीर्ति आजाद, विजेंदर, जैसे दिज्गज हार चुके हैं.

 

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