सेंटर फॉर साईंस एंड इनवॉयरमेंट ने की सराहना

रायपुर(india news room) देश की प्रतिष्ठित पर्यावरणीय संस्था सेंटर फॉर साईंस एंड एनव्हायरनमेंट ने छत्तीसगढ सरकार द्वारा डीएमएफ फंड को लोकोन्मुखी बनाने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जिला खनिज संस्थान न्यास नियम(2015)में किए गए संशोधनों की सराहना की है. सीएसई ने कहा है कि खनन प्रभावित लोगों को डीएमएफ की निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने एवं उनके हितों की रक्षा के लिये छत्तीसगढ़ में जिला खनिज न्यास नियम में किए गए संशोधन देश के अन्य राज्यों के लिये भी मिसाल है. राज्य सरकार द्वारा डीएमएफ में संशोधन कर खनन प्रभावित क्षेत्रो के ग्राम सभा सदस्यों को डीएमएफ के गवर्निंग बॉडी में शामिल करने का प्रावधान किया गया है.

संशोधन के अनुसार खनन से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्रों की ग्राम सभा से 10 सदस्यों को डीएमएफ की शासी परिषद में शामिल किया जाएगा. अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा के कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी से होने चाहिए. महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. संशोधन के पूर्व प्रभावित क्षेत्रो की ग्राम सभा से मात्र दो सरपंच शासी परिषद का हिस्सा थे. सीएसई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में उप महानिदेशक चंद्र भूषण ने बताया कि खनन प्रभावित आम लोगों को सशक्त बनाने में यह एक महत्वपूर्ण कदम है. छत्तीसगढ़ में“नैसर्गिक खनिज उत्खनन के लाभ को प्राप्त करने हेतु लोगों के अधिकारों को डीएमएफ द्वारा मान्यता दी गई है. सेंटर फॉर साईंस एंड इनवॉयरमेंट ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा डीएमएफ नियमों में संशोधन से राज्य में खनन क्षेत्र में आने वाले जिलों में प्रभावित लोगों के जीवन और आजीविका में सुधार की अपार संभावनाएं खुलेंगी. छत्तीसगढ़ 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के कुल संग्रह के साथ डीएमएफ के मामले में शीर्ष राज्यों में शुमार है.

डीएमएफ में संशोधन कर लोगो की आकांक्षाओ को पूरा करने हेतु आवश्यकता आधारित 5 साल का विजन प्लान तैयार करने का प्रावधान किया गया है. कम से कम 50 प्रतिशत व्यय प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों के लिए जाने के प्रावधान के साथ ही प्राथमिकता क्षेत्र जैसे पेयजल, आजीविका, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा आदि के लिए कम से कम 60 प्रतिशत व्यय करने का प्रावधान किया गया है. सीएसई के उप महानिदेशक भूषण ने छत्तीसगढ सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा है कि “डीएमएफ निधि के अनियोजित व्यय को रोकने के लिए यह बहुत जरूरी कदम हैं. पहले छत्तीसगढ में शहर के पार्किंग स्थल, एयरपोर्ट रनवे, कन्वेंशन हॉल आदि पर पैसा खर्च किया जा रहा था. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस साल की शुरुआत में भी इस पर ध्यान दिया और इस तरह के निर्माण को रोक दिया”.

छत्तीसगढ़ में अब डीएमएफ निधि के माध्यम से वन आधारित आजीविका वृद्धि को एक प्राथमिकता दी गई है. निधि का उपयोग उन लोगों के आजीविका के अवसरों के लिए किया जाएगा जिनको वनाधिकार को मान्यता दी गई है. डीएमएफ निधि को मानव संसाधनों जैसे स्वास्थ्य केंद्रों और शैक्षणिक संस्थानों में कर्मचारियों के भर्ती, खनन प्रभावित क्षेत्रों के छात्रों के लिए कोचिंग और शिक्षण शुल्क आदि के लिए खर्च किया जाना चाहिए. डीएमएफ की बेहतर सार्वजनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने सोशल ऑडिट (सामाजिक अंकेक्षण) पर भी जोर दिया गया है.

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