इस साल में अब तक कुल मौतों की संख्या 186
केरल में वर्ष 1924 के बाद से इस साल बाढ़ से भारी तबाही
तीव्र दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के चलते हुई इस आपदा से राज्य में 39 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा हजारों लोग बेघर हो गए हैं। भूमि सहित किसानों की सभी संपत्तियां इस बाढ़ से तबाह हो गई हैं। कई जगहों पर सड़कें बह गई और इमारतें गिर गई। इन सभी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 8,316 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया था और मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन ने तत्काल राहत के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत निधि से 1,220 करोड़ रुपए का अनुरोध किया था। हालांकि, बीजेपी की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने रविवार को 100 करोड़ के अनुदान की घोषणा की जो राज्य द्वारा अनुरोध की गई कुल राशि का केवल 8प्रतिशत है। पिनाराय विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में ये अनुरोध किया है।
केरल में भारी बारिश की वजह से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है जिसके चलते यहां जनजीवन अस्त व्यस्त है। यहां भूस्खलन के कई मामले सामने आए हैं। हज़ारों की संख्या में लोग बेघर हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने तत्काल राहत के रूप में राज्य को पहले की घोषित सहायता राशि 160.50 करोड़ रुपए में से महज़ 100 करोड़ रुपए देने को मंज़ूरी दी है। तत्काल राहत के रूप में यह अनुदान राज्य की 1,220 करोड़ रुपए की मांग को नज़रअंदाज़ करता है।
पहले चरण में हुए मानसून से नुकसान के लिए 1,220 करोड़ रुपए में से 820 करोड़ रुपए की मुआवज़े के रूप में मांग की गई थी। एनडीआरएफ दिशानिर्देशों के तहत केंद्रीय टीम द्वारा ये सिफारिश की गई थी। इस टीम ने राज्य का दौरा किया था। केरल में दूसरे चरण के दौरान होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय टीम को फिर से भेजने का अनुरोध किया है। लगभग 20,000 घर बर्बाद हो गए हैं, वहीं क़रीब 10,000 किमी सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा, “केरल को इस आपदा के प्रभाव को लंबे समय तक झेलना पड़ेगा।”
ज्ञात हो कि केरल में साल 1924 के बाद इस मॉनसून में सबसे ज़्यादा बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है। इसके कुल चौदह ज़़िलों में से दस ज़िले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बाढ़ की स्थिति ख़तरनाक होने के चलते 27 बांध को खोलना पड़ा। 9 से 12 अगस्त के बीच क़रीब 39 लोगों की मौत हो गई है, और इस साल में अब तक कुल मौतों की संख्या 186 हो गई है। राज्य भर में क़रीब 60,000 से ज़्यादा लोग विभिन्न राहत शिविरों में रह रहे हैं। वहीं 211 स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं सामने आई है। हालांकि आपदा के वास्तविक नुकसान को अभी आकना बाकी है। कृषि क्षेत्र को आने वाले मौसम में उत्पादन में बड़े नुकसान की संभावना है। चाय के क्षेत्र में अकेले मन्नार में 50 प्रतिशत उत्पादन कम होने की उम्मीद है। मन्नार चाय बागानों का केंद्र है जो इडुक्की ज़िले में है जहां काफी नुकसान हुआ है। इससे पहले एसोसिएशन ऑफ प्लांटर्स ऑफ केरल ने कहा था कि अनियमित मौसम की स्थिति के कारण इस क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर 100-125 किलोग्राम चाय का नुकसान हुआ था।
राज्य में लगातार बारिश के चलते प्रमुख नकदी फसलों में से एक रबड़ के पेड़ को भी पत्ते गिरने वाली बीमारी का सामना करना पड़ रहा है जिससे आने वाले महीनों में उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। लगातार बारिश के कारण न केवल रबड़ और चाय बल्कि और भी फसलें प्रभावित हुई हैं जिसका परिणाम उत्पादन और बाज़ारों में दिखाई देगा।