रायपुर(इंडिया न्यूज रूम) 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में आज अटल नगर, नवा रायपुर, मंत्रालय में छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री परिषद के सदस्यों, वित्त आयोग के सदस्यों तथा राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई.

बैठक में सबसे पहले छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री ने वित्त आयोग अध्यक्ष और सदस्यों का   स्वागत किया और कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में विकास की व्यापक संभावनाओं के साथ विशिष्ठ चुनौतियां है.संभावनाओं का दोहन और चुनौतियों का सामना करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य को विकास का लंबा सफर तय करना शेष है. उन्होंने राज्य के विकास के लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों, कार्यक्रमों और कार्यो की जानकारी दी और आयोग को छत्तीसगढ़ के विकास और यहां के नागरिकों के हित में कार्य करने की दृष्टि से अनेक प्रस्ताव दिए और आयोग से इस संबंध में सहयोग देने का आग्रह किया. उन्होंने छत्तीसगढ़ में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और कुपोषण के लिए वित्त आयोग से विशेष रूप से अनुरोध किया.

बैठक में राज्य के मानव विकास सूचकांक, पर्यावरण सरंक्षण, वामपंथी उग्रवाद, क्षेत्रीय असंतुलन, वन क्षेत्रों में विकास और यहां की चुनौतियों, समस्याओं और पर विस्तार से चर्चा की गयी और पॉवरपाइंट प्रदर्शन के माध्यम से भी जानकारी दी गयी. आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने बैठक के अंत में छत्तीसगढ़ की परिस्थितियों के साथ यहां की नक्सल एवं वन क्षेत्रों की विशिष्ट समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री एवं विचार-विमर्श के दौरान प्राप्त प्रस्तावों एवं सुझावों पर सहानभूतिपूर्वक विचार करने की बात कही. मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के 27 जिलों में से 14 जिले उग्र वामपंथ से प्रभावित है. इन क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ विकास योजनाओं एवं अधोसंरचना निर्माण की लागत अधिक होती है तथा समय सीमा में वृद्धि हो जाती है. खनिज उत्खनन की औद्योगिक परियोजनाओं से जनजातीय क्षेत्रों में विस्थापन एवं विकास में उनकी समुचित भागीदारी न होने का भी खतरा है. राज्य सरकार अतिरिक्त वित्तीय संसाधन की व्यवस्था करने सहित संतुलित औद्योगिक विकास की हिमायती है.

भारत सरकार द्वारा किसानों की आय दुगुनी का प्रयास के लिए  धान की खेती को लाभदायक बनाने दो बड़े फैसले लिए गए हैं. धान के समर्थन मूल्य के अतिरिक्त प्रति क्विंटल 750 रूपए की दर से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. वर्ष 2018-19 में राज्य सरकार को 6 हजार 21 करोड़ की अतिरिक्त राशि का व्यय भार उठाना पड़ा है. राज्य के लगभग 17 लाख 50 हजार किसानों का ऋण माफी किया गया है. इससे लगभग 9 हजार करोड़ का अतिरिक्त व्यय भार आया है.

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के महत्वकांक्षी कार्यक्रम ’छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी, ऐला बचाना हे संगवारी’ की जानकारी दी और बताया कि इसके तहत जहां नदी-नालों के माध्यम से जल संचयन और सवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं गोठानों के माध्यम से पशुधन के संवर्धन करने, कृषि एवं पशु कचरों एवं गोबर आदि के माध्यम से कम्पोस्ट खाद बनाने, बाड़ी से सब्जी एवं फल आदि पौष्टिक कृषि उत्पाद को बढ़ावा देने का प्रयास है.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कमजोर परिवारों के साथ-साथ सामान्य परिवारों को भी प्रति राशन कार्ड 35 किलो चावल दिया जा रहा है. युनिर्वसल पीडीएस की इस योजना पर 22 सौ करोड़ का अतिरिक्त वार्षिक व्यय संभावित है. राज्य में 400 यूनिट तक बिजली बिल आधा किया गया है. इस पर लगभग 8 सौ करोड़ अतिरिक्त व्यय अनुमानित है.

राज्य में जी.एस.टी. के कारण वर्ष 2022 तक 17 हजार 255 करोड़ की राजस्व हानि का अनुमान है. केन्द्र द्वारा राज्य को दिया जाने वाला जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति अनुदान कम है और यह क्षतिपूर्ति वर्ष 2022 में बंद हो जाएगी. मुख्यमंत्री ने मांग की है कि वर्ष 2022 के बाद आगामी पांच वर्षो तक भी राज्य को क्षतिपूर्ति की राशि प्रदान की जाये.

मुख्यमंत्री ने बताया कि 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से को बढ़ाकर 42 प्रतिशत किया था, लेकिन केन्द्रीय करो पर लिए जाने वाले उपकर एवं अधिभार तथा करों पर दी जाने वाली कटौती एवं छूट के कारण अब तक सही मायने में 42 प्रतिशत राशि राज्यों को प्राप्त नहीं हो सकी है. उन्होंने प्रस्ताव दिया कि केन्द्रीय करों में राज्यों के हिस्से को 42 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिजों के दोहन से पूर्व राज्य को वन क्षतिपूर्ति, भूमि व्यपवर्तन तथा अधोसंरचना निर्माण आदि पर काफी व्यय भार वहन करना पड़ता है. खनन क्षेत्र से होने वाले अपर्याप्त हिस्सा ही राज्यों को प्राप्त होता है.उन्होंने सुझाव दिया कि अनुपातिक हस्तांतरण में 10 प्रतिशत भार के साथ नया मापदण्ड खनन जी.एस.व्ही.ए. (ळैट।) को शामिल किया जाए.

मुख्यमंत्री ने बताया कि सुमित बोस की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समूह ने केन्द्र तथा राज्यों की सभी योजनाओं के लिए एस.ई.सी.सी. के आंकड़ों का उपयोग किए जाने की अनुशंसा की थी. मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव दिया कि एस.ई.सी.सी के वंचित ग्रामीण परिवार संख्या को 10 प्रतिशत भार के साथ एक नया मापदंड शामिल किया जाए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here