संविधान की धारा 370 को खत्म करने तथा जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम को देश के संघीय ढांचे, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और कश्मीरियत पर खुला हमला

रायपुर(इंडिया न्यूज रूम) छत्तीसगढ़ की पांच वामपंथी पार्टियों ने संविधान की धारा 370 को खत्म करने तथा जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम को देश के संघीय ढांचे, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और कश्मीरियत पर खुला हमला बताया है और इसके खिलाफ कल पूरे राज्य में नागरिक-प्रतिवाद प्रदर्शन करने की घोषणा की है. रायपुर में ये आयोजन बूढा तालाब के किनारे धरना स्थल में शाम 5 बजे से होगा.

एक बयान में माकपा के संजय पराते, भाकपा के आरडीसीपी राव, भाकपा (माले-लिबरेशन) के बृजेन्द्र तिवारी, भाकपा (माले-रेड स्टार) के सौरा यादव और एसयूसीआई (सी) के विश्वजीत हरोड़े ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर राज्य के भारत में विलय की प्रक्रिया अन्य देशी रियासतों के विलय से भिन्न थी, इसीलिए कश्मीर की जनता की अस्मिता, पहचान और स्वायत्तता की रक्षा का वादा तत्कालीन भारत सरकार ने किया था और इसे पूरा करने के लिए संविधान में धारा 370 का प्रावधान किया गया था. इसलिए मोदी सरकार का यह कदम न केवल जम्मू-कश्मीर की जनता के साथ विश्वासघात है, बल्कि राष्ट्रीय एकता व संघीय गणराज्य की अवधारणा पर ही हमला है, जो देश में किसी भी प्रकार की विविधता को बर्दाश्त करने के लिए ही तैयार नहीं है.

वामपंथी नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार का यह कदम पारस्परिक राजनैतिक संवाद के जरिये कश्मीर समस्या को हल करने के उसके वादे के भी खिलाफ है, जो उसने संसद में तीन साल पहले दिया था. इसके बजाय उसने मुख्य राजनैतिक पार्टियों के नेताओं को गिरफ्तार करने व जनता की आवाजाही को प्रतिबंधित करने का ही तानाशाहीपूर्ण कदम ही उठाया है. इससे घाटी में अलगाववाद की भावना और मजबूत होगी.

धारा 370 हटाने के लिए दिए जा रहे तर्कों को बेनकाब करते हुए वाम नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने ही जून महीने में नागालैंड में अलग झंडे, अलग पासपोर्ट पर सहमति दी है और धारा 370 जैसे प्रावधान ही धारा 371 के रूप में नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्रप्रदेश, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा व हिमाचल प्रदेश में लागू है, जहां बाहरी प्रदेश का कोई निवासी जमीन नहीं खरीद सकता. वामपंथी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने दरअसल जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने के मुस्लिम विरोधी संघी एजेंडे को ही लागू किया है.

पांचों वामपंथी पार्टियों ने देश की विविधता और संविधान की मूल भावना की रक्षा के लिए चिंतित सभी लोकतंत्रप्रेमी ताकतों से अपील की है कि मोदी सरकार द्वारा कश्मीर में जम्हूरियत को कुचलने वाले इस कदम के खिलाफ कल 7 अगस्त को पूरे प्रदेश में आयोजित नागरिक-प्रतिवाद आंदोलन में शामिल हों.

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