पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए विज्ञान का विकास हो- राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके
रायपुर ( इंडिया न्यूज रूम) छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि विद्यार्थी वैज्ञानिक सोच विकसित करें. आज के विद्यार्थी ही कल के वैज्ञानिक होंगे और वे ही कल वैज्ञानिक के रूप में पूरे विश्व में हमारे देश का नाम रोशन करेंगे तथा विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए शोध करेंगे. सुश्री उइके आज यहां बी.टी.आई. ग्राउंड में आयोजित छहः दिवसीय 46वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रही थी. इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में किया गया.

राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि विज्ञान का विकास इस तरह से किया जाना चाहिए कि पर्यावरण संरक्षित रहे और प्रकृति द्वारा प्रदत्त सारे लाभों को प्राप्त किया सकें. उन्होंने कहा कि विज्ञान का उपयोग विकास के लिए हो, विनाश के लिए नहीं. सुश्री उइके ने कहा कि आज जो हमारे समक्ष शुद्ध पेयजल-वायु की उपलब्धता जैसे अनेक चुनौतियां है, जिनके लिए शोध करने की आवश्कता है, ताकि हमारा विकास सतत् और सम्पूर्ण हो. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम को जन्मदिवस पर स्मरण करते हुए कहा कि उनके महत्वपूर्ण योगदान के फलस्वरूप विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है.
राज्यपाल ने भारत देश के वैज्ञानिक विरासत को गौरवशाली बताते हुए कहा कि हमारे देश में आर्यभट्ट जैसे महान गणितज्ञ हुए, जिन्होंने पाई के मान से लेकर चंन्द्रग्रहण और सूर्य ग्रहण की बारीकियां सहजता से निकाल ली. उन्होंने कहा कि विज्ञान और गणित विषय शिक्षा विभाग के साथ ही विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए भी चिंता के विषय रहे हैं. इन्हीं चिंताओं का समाधान करने में यह राष्ट्रीय प्रदर्शनी मददगार सिद्ध होगी. राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ में संचालित पानी बचाओ और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ आदि कार्यक्रमों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बधाई दी.

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लिए यह सौभाग्य की बात है कि इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी के आयोजन की जिम्मेदारी दो बार छत्तीसगढ़ को मिली है. उन्होंने कहा कि आज के युग में जीवन के विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए विज्ञान जरूरी है. डॉ. टेकाम ने कहा कि इस प्रदर्शनी में 27 प्रदेश के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है और 147 से अधिक मॉडल प्रदर्शित किए गए हैं. मुख्यमंत्री श्री बघेल ने नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी की संकल्पना दी है. इसके माध्यम से जलस्रोतों का संरक्षण के साथ पुनरूद्धार किया जा रहा है, गरूवा-जैविक खेती के माध्यम से कृषि का विकास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण समेत अनेकों चुनौतियां हैं, जिनका सामना करने में इस प्रदर्शनी में दिखाए गए मॉडल निश्चित ही सहायक सिद्ध होंगे.
रायपुर के महापौर प्रमोद दुबे ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनी बच्चों की प्रतिभा और सृजनात्मकता के विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने पालिथिन के उपयोग न करने का आग्रह करते हुए कहा कि इस अवसर पर हमें पालिथिन छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए.

स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने बताया कि हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की विज्ञान में गहरी रूचि थी और वे चाहते थे कि सभी भारतीओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण हो. पंडित नेहरू के वैज्ञानिक सोच के फलस्वरूप ही देश में चहुंओर वैज्ञानिक प्रगति हुई और आई.आई.टी. सहित अन्य तकनीकी संस्थान स्थापित हुए. आज पूरे विश्व में हमारे देश के वैज्ञानिक कार्यरत हैं और शोध कार्यों के माध्यम से अनेकों पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं. इसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को साकार करने के लिए यह राष्ट्रीय स्तर की 46वीं प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है. उन्होंने छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों से कहा कि वे प्रदर्शनी का अवलोकन करें और बाहर से आए हुए प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करें.
कार्यक्रम में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, नई दिल्ली के केन्द्रीय निदेशक ऋषिकेश सेनापति ने इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी की अवधारणा और महत्ता के संबंध में विस्तार से जानकारी दी. समग्र शिक्षा एवं राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद छत्तीसगढ़ के निदेशक पी. दयानंद ने भी संबोधित किया.

राज्यपाल ने प्रदर्शनी का किया अवलोकन

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने 46वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए गए विभिन्न मॉडलों का अवलोकन किया और विद्यार्थियों से उनके संबंध में जानकारी ली. उन्होंने मॉडल प्रदर्शित करने वाले विद्यार्थियों से बड़ी आत्मीयता से बातचीत कर उनका उत्साहवर्धन किया. सुश्री उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों से आए विद्यार्थियों ने बहुत आकर्षक और ज्ञानवर्धक मॉडल प्रदर्शित किए हैं. राज्यपाल ने नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी के मॉडल के स्टाल का निरीक्षण किया. इसके साथ ही उन्होंने गोबर से बनाए गए उत्पादों की जानकारी ली और गोबर से निर्मित दीए और छत्तीसगढ़ी व्यंजन के बारे में भी जानकारी ली.

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा, क्रेडा, विज्ञान प्रसार, कृषि विवि रायपुर, स्कूल शिक्षा विभाग तथा अन्य कई संस्थाओ के स्टाल वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा विकास योजनाओं की जानकारी देने हेतु प्रदर्शनी स्थल पर लगाए गए हैं, प्रतिदिन विभिन्न ज्ञानवर्धक व्याख्यानों का आयोजन भी किया जा रहा है, 15 अक्टूबर को शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोक सांस्कृतिक विरासत को विभिन्न नृत्यों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया.

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