46वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी का समापन
रायपुर 20 अक्तूबर  19  छत्तीसगढ केे लोक स्वास्स्थ्य यांत्रिकी एवं ग्रामोद्योग मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने देशभर से आए सभी बाल वैज्ञानिकों से अपील की है कि मानव समाज के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए अपने अविष्कारों से जीवन को सुगम और सरल बनाने की दिशा में नई पहल प्रारंभ करें. गुरू रूद्रकुमार कल राजधानी के रायपुर के शंकर नगर स्थित बीटीआई मैदान में आयोजित पांच दिवसीय 46वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने समारोह में उपस्थित देशभर से आए बाल वैज्ञानिकों और शिक्षकों को बधाई और शुभकामना देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की. उन्होंने अतिथियों के साथ प्रदर्शनी के स्टालों का भ्रमण कर बाल वैज्ञानिकों से मुलाकात कर जानकारी ली और उनका उत्साहवर्धन किया. समारोह में अतिथियों द्वारा स्मारिका का विमोचन भी किया गया.

मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने कहा कि आयोजन का उद्देश्य 14 से 18 वर्ष के जिज्ञाषु बच्चों को उनके विज्ञान, गणित की समझ, नवाचार, क्षेत्रीय और वैश्विक समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता के लिए मंच प्रदान करना है.बच्चों को गणित एवं विज्ञान के माध्यम से मानव जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए प्रोत्साहित करना है. प्रदर्शनी में बच्चों को अपने कार्यों के प्रदर्शन और उन्हें दर्शकों व साथियों के साथ आदान-प्रदान करने का अवसर मिला. प्रदर्शनी ने बच्चों की राष्ट्रीय स्तर पर सहभागिता और गुणवत्तापूर्ण मॉडलों के प्रदर्शन का अवसर उपलब्ध कराया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी की मुख्य थीम ’’जीवन की चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान’’ है, इसलिए प्रत्येक प्रतिभागी मानव जीवन को सुगम और सरल बनाने की दिशा में गणित और विज्ञान के माध्यम से वैज्ञानिक तरीकों की खोज करने के लिए अपनी बुद्धि, कौशल का उपयोग कर रहा है.

श्री रूद्रकुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परम्परा और लोक कलाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस आयोजन के माध्यम से देशभर से आए हुए बाल वैज्ञानिकों को विज्ञान के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की कला और परम्परा तथा संस्कृति को सीखने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ.

समारोह को संबोधित करते हुए विधायक  कुलदीप जुनेजा ने कहा कि प्रदर्शनी का अवलोकन करते समय बच्चों द्वारा जिस तरीके से अपने मॉडल के विषय में जानकारी देकर समझाया जा रहा था, उससे प्रतीत हो रहा है कि यह बच्चे देश नहीं दुनिया में भी नाम रोशन करेंगे. एन.सी.ई.आर.टी. के संयोजक प्रोफेसर दिनेश कुमार ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आयोजित यह प्रदर्शनी अद्वितीय रही. 1971 से बच्चों की जिज्ञासा के लिए एक मंच प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि आयोजकों द्वारा की गई व्यवस्था सराहनीय है. यह छत्तीसगढ़ सरकार की राज्य के बच्चों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है. छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ने भी उद्घाटन के समय प्रदर्शनी में बच्चों के साथ दो घंटे से अधिक का समय दिया. राष्ट्रीय प्रदर्शनी में 34 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश के 139 मॉडल प्रस्तुत किए गए, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के बच्चों द्वार 19 मॉडल प्रस्तुत किए गए. उन्होंने इसके साथ प्रदर्शनी में आए प्रतिभागियों, संस्थाओं की जानकारी भी दी.

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की संयुक्त संचालक डॉ. सुनीता जैन ने स्वागत भाषण देते हुए बताया कि प्रदर्शनी में राज्य की कला और संस्कृति से देशभर से आए बच्चों को परिचित कराने के लिए लर्निंग कैम्प का आयोजन किया गया. 600 शिक्षकों का मेगा शो का पहली बार आयोजन किया गया. सुबह के सत्र मे 8 अनुभवी वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने व्याख्यान देकर बच्चों को तकनीकी जानकारी दी. संध्या के सत्र में छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति के साथ ही देशभर से आए प्रतिभागियों ने अपने राज्य की कला और संस्कृति की शानदान प्रस्तुति दी. इसके अलावा राज्य शासन की प्रमुख योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी का प्रदर्शन मॉडल के माध्यम से किया गया।. राज्य के विभिन्न जिलों से आए स्कूली बच्चों ने प्रदर्शनी के अवलोकन के साथ ही राजधानी के प्रमुख स्थलों का शैक्षणिक भ्रमण भी किया.

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के संयुक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे ने धन्यवाद ज्ञापित किया. इस अवसर पर नेताजी सुभाषचन्द्र वार्ड की पार्षद दिशा धोतरे, आयोजन के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव, एन.सी.ई.आर.टी. की प्रोफेसर सुनीता फरक्या, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग  गौरव द्विवेदी, संचालक लोक शिक्षण  एस.प्रकाश, संचालक एस.सी.ई.आर.टी. पी. दयानंद उपस्थित थे.

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