बांग्लादेश में कोरोनावायर से संक्रमितों की आधिकारिक संख्या इस वक़्त 27 है. देश में अब तक दो मरीजों की मौत हो चुकी है. जो आख़िरी तीन केस वहां सामने आए हैं उनमें से दो लोग विदेश से लौटे थे, जबकि तीसरा व्यक्ति एक संक्रमित के संपर्क में आया था. वहां सभी स्कूल, कॉलेज, सामुदायिक भवन, सिनेमाहॉल बंद हैं.

वायरस को रोकने के लिए लोगों के एक साथ जमा होने पर पाबंदी लगा दी गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बांग्लादेश से लॉकडाउन करने की अपील की है. ख़ासकर राजधानी ढाका समेत बड़े शहरों में इसे लागू करने की गुज़ारिश की गई है. उधर, चीन ने बांग्लादेश को भरोसा दिया है कि वो इस बीमारी से लड़ने में उसकी मदद करेगा. चीन डॉक्टरों, नर्सों की टीम के साथ-साथ मेडिकल का सामान भेजने को तैयार हो गया है.

एक तरफ़ बांग्लादेश जहां अपने बूते इस बीमारी से लड़ने की कोशिश में जुटा है, वहीं सार्क देशों के लिए बनाए गए फंड में भी उसने 15 लाख डॉलर देने का फ़ैसला किया है. ग़रीब मुल्कों में शुमार बांग्लादेश दुनिया में तेज़ी से फैल रही इस बीमारी की रोकथाम के लिए चौकन्ना है.

3 डॉलर की किट है तैयार

तीन दिन पहले ही वहां की सरकार ने कोरोना टेस्ट के लिए कम बजट की किट बनाने का फैसला किया है. कोविड-19 की जांच के लिए घरेलू किट का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है. दावा किया गया है कि इस किट की क़ीमत 3 डॉलर होगी और ये 15 मिनट के भीतर बता देगा कि कोई संदिग्ध कोरोनावायरस का मरीज है या नहीं.

बांग्लादेश में अब तक 27 मामले
इस वायरस टेस्टर को बनाने के लिए बांग्लादेश के वैज्ञानिकों का एक समूह जुट गया है और अगले तीन हफ़्ते में बाज़ार में ये किट उपलब्ध हो जाएगा. इस रिसर्च टीम के अगुवा प्रोफ़ेसर डॉक्टर बिजॉन कुमार सिल ने इससे पहले सार्स कोरोनावायरस जांचने वाली किट बनाई थी. उन्होंने 2003 में सिंगापुर में फैली इस बीमारी का पता लगाने के लिए इस किट को तैयार किया था.

गुरुवार को बांग्लादेश की सरकार ने इसे तैयार करने का फ़ैसला किया. बांग्लादेश में स्वास्थ्य मुद्दों पर काम करने वाले एनजीओ गणस्वास्थ्य केंद्र के संस्थापक डॉक्टर ज़फ़रुल्ला के मुताबिक़, “गणस्वास्थ्य-RNA बायोटैक लैब में हमारे वैज्ञानिक बीते दो-ढाई महीने से जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “आख़िरकार हम रैपिड डॉट ब्लॉट (किट) तैयार करने में क़ामयाब हो गए हैं. ये एक बेहद सस्ती किट है जो कोविड-19 का 15 मिनट में पता लगा लेती है.” इस टीम में डॉक्टर निहाद अदनान, डॉक्टर मोहम्मद राइद जमीरुद्दीन, डॉक्टर फ़िरोज़ अहमद और डॉक्टर माहीबुल्लाह खांडाकर शामिल हैं.

असल में इन वैज्ञानिकों ने किट पहले ही तैयार कर लिया है, लेकिन बड़े पैमाने पर इसे बाज़ार में उतारने के लिए सरकार की हरी झंडी का इंतजार था , दवा के लिये लगने वैली कुछ सामग्री ब्रिटेन से मंगाई गई है आगामी 10 दिनों में उसके आने के कुछ ही हफ्ते में लगभग 3 डॉलर की लागत मूल्य का टेस्टिंग किट तैयार ही जाएगा।
विश्व जनस्वास्थ्य सम्मेलन का आयोजन वर्ष 2018 में इसी गणशक्ति स्वास्थ्य संघ एन जी ओ की मेजबानी में किया गया था । जिसके द्वारा पूर्व में भी कम कीमत की दवाओं की उपलब्धता का आंदोलन चलाया गया था।

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