पूरे प्रदेश में सौंपे गए पंचायतों के जरिए प्रधानमंत्री को ज्ञापन

रायपुर:- कोरोना संकट के मद्देनजर किसानों, ग्रामीण गरीबों व प्रवासी मजदूरों को राहत देने की मांग पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर छत्तीसगढ़ के अनेक पंचायतों में सरपंचों के जरिए प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गए हैं। इन ज्ञापनों के जरिए कोरोना संकट के कारण आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा कमजोर इन तबकों की मदद के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कदम उठाने की मांग प्रधानमंत्री से की गई है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने बताया कि इन ज्ञापनों के जरिए सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया गया है कि बाजार की विपरीत परिस्थितियों व सरकार की खेती-किसानी के संबंध में प्रतिकूल नीतियों के बावजूद इस देश के किसानों ने खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित की है तथा अनाज के मामले में आज देश इतना आत्मनिर्भर है कि सरकार के गोदामों में आठ करोड़ टन अनाज जमा है। किसानों के इस योगदान की प्रधानमंत्री ने भी काफी प्रशंसा की है।

किसान समुदाय के इस योगदान के आधार पर संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आंदोलन से जुड़े विभिन्न किसान संगठनों व नेताओं ने कोरोना संकट में उनकी खेती-किसानी व आजीविका को हुए नुकसान की नगद भरपाई करने, बाजार में मांग पैदा करने के लिए हर ग्रामीण परिवार को अगले 6 माह तक 10000 रुई प्रति माह मदद करने, मुफ्त में पर्याप्त पोषण आहार उपलब्ध कराने तथा मनरेगा के जरिए रोजगार देने की मांग की है। उन्होंने 6000 रुपये की प्रधानमंत्री सम्मान निधि को भी अपर्याप्त व असम्मानजनक बताते हुए इसे बढ़ाकर 18000 रुपये करने की मांग की है। ज्ञापन में मांग की गई है कि कृषि संकट का स्थाई हल निकालने के लिए फल, सब्जी, दूध, व अंडे सहित सभी कृषि वस्तुओं का समर्थन मूल्य उसकी लागत का डेढ़ गुना तय किया जाए तथा इसे खरीदने के लिए सरकार कानूनन बाध्य हो। किसानों व ग्रामीण गरीबों को बैंकिंग व साहूकारी कर्ज से मुक्त करने की मांग भी किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री से की है।

किसान सभा नेता पराते ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को जिस तरह केंद्र सरकार ने डील किया है, उससे किसान संगठन बहुत नाराज हैं। उनका कहना है कि प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है और चूंकि इस जिम्मेदारी को सरकार सही ढंग से पूरा नहीं कर रही है, हर प्रवासी मजदूर को 5000 रुपए विशेष प्रवास भत्ता दिया जाए। ज्ञापन में मांग की गई है कि हर प्रवासी मजदूर का अलग मनरेगा व राशन कार्ड बनाया जाए, ताकि उसे पोषण आहार व गांवों में रोजगार का मिलना सुनिश्चित हो सके। इसके लिए उन्होंने बजट आबंटन बढ़ाने की भी मांग की है।

प्रदेश के क्वॉरेंटाइन केंद्रों व राहत शिविरों में प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार का भी किसान संगठनों ने विरोध किया है और कहा है कि सरकार की घोषणाएं अलग है और हकीकत अलग। इन प्रवासी मजदूरों को भरपेट पौष्टिक खाना तक नहीं दिया जा रहा है और न ही सभी प्रवासी मजदूरों का सही तरीके से कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। यही कारण है कि प्रदेश में कोरोना का हमला बढ़ रहा है।

(सभी किसान संगठनों और नेताओं की ओर से संजय पराते मो. 094242-31650 और विजय भाई मो. 07828658935 द्वारा जारी)

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