समान अंक के बाद भी टॉपर्स कैसे चुने जाते हैं नीट में ?

NEET में शोएब और आकांक्षा दोनों को 720 में 720 नम्बर मिले, फिर टॉपर शोएब क्यों?

नीट परीक्षा का रिजल्ट आ चुका है। शोएब आफताब ने इस परीक्षा में टॉप किया है। उसे 720 में से 720 अंक मिले हैं। उसके अलावा आकांक्षा सिंह को भी 720 नम्बर मिले हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। लोग जानना चाहते हैं कि जब दोनों को ही 720 नम्बर मिले हैं तो शोएब को टॉपर क्यों घोषित किया गया है? चलिए बताते हैं, लेकिन उससे पहले दोनों के बारे में जान लीजिए। शोएब आफताब उड़ीसा के राउरकेला का रहने वाला है। पिता बिजनेस करते हैं और माँ गृहणी है। शोएब बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहता था, लिहाज़ा तैयारी के लिए पहुँच गया राजस्थान के कोटा शहर। लगातार ढाई साल तक पढ़ता रहा, न छुट्टी ली और न ही एक भी बार अपने घर या सिर्फ़ पढ़ाई को ही लक्ष्य बना लिया। वो कहता हैं-
“मेरे परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है। मैं बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहता था। मुझे मेरे परिवार का बहुत सपोर्ट मिला, खास तौर पर मम्मी जो मेरे साथ हर परिस्थिति में खड़ी रहीं।”
आकांक्षा वैसे तो यू.पी. के कुशीनगर की रहने वाली है लेकिन उसने नीट की तैयारी दिल्ली से की थी। उसने 10वीं तक की पढ़ाई गांव से की और उसके बाद दिल्ली आ गई, ताकि डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सके। उसके पिता एयरफोर्स से रिटायर डॉक्टर हैं और उसकी माँ टीचर हैं। आकांक्षा कहती है-
“दिल्ली में मेरे पिता मेरे साथ रहते थे, ताकि मैं स्कूल की पढ़ाई के साथ साथ नीट की तैयारी भी कर सकूँ और डॉक्टर बन पाऊँ।”

शोएब कैसे बना टॉपर?

चलिए अब आपको बताते हैं कि दोनों के ही नम्बर जब 720 थे तो शोएब टॉपर कैसे बन गया। इस सवाल के जवाब को समझने के लिए आपको नीट रिज़ल्ट की प्रणाली को थोड़ा सा समझना होगा। नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी यानी NTA की टाई ब्रेकर नीति की मदद से इसका निर्धारण किया जाता है। होता यह है कि अगर दो छात्रों के एक जैसे नम्बर आते हैं तो उस छात्र को वरीयता मिलती है जिसके बायालॉजी में अधिक नम्बर होते हैं लेकिन यदि बायो में भी एक जैसे नम्बर हों तो केमिस्ट्री में अधिक नम्बर वाले को वरीयता दी जाती है। इसके बाद भी अगर टाई की स्थिति बनती है तो फिर ये देखा जाता है कि किसने कम गलत सवाल किए हैं और आखिर में यहाँ भी मामला फँस जाए तो जिस छात्र की उम्र अधिक होती है उसे रैंकिंग में वरीयता दी जाती है। शोएब और आकांक्षा वाला मामला भी कुछ ऐसा ही है यानि शोएब और आकांक्षा हर पैमाने पर एक जैसे साबित हुए जिसके बाद उम्र वाले फैक्टर के चलते शोएब टॉपर बन गया।
कुछ और मामलों में भी यही हुआ। जानकारी के मुताबिक इसी नीति को तेलंगाना की तूम्मला स्निकिथा, राजस्थान के विनीत शर्मा, हरियाणा की अमरिशा खैतान और आंध्र प्रदेश की गुत्थी चैतन्य सिंधू की रैंकिग के लिए इस्तेमाल किया गया। इनको 720 में से 715 नम्बर मिले थे और टाई ब्रेकर नीति के चलते क्रमश: तीसरी, चौथी, पांचवीं और छठी रैंक दी गयी।