मुफ़्त व नि:शुल्क का फ़र्क़ और कल्याणकारी राज्य का दायित्व
संवैधानिक और सामाजिक दायित्व से परे राजनैतिक लुभावने नारे
(आलेख : मुकुल सरल)
देश में जब भी कोई चुनाव होते हैं, ‘मुफ़्त की रेवड़ी’ की चर्चा...
भारत में मिनी पाकिस्तान खोजने का खटराग
यत्र-तत्र-सर्वत्र मिनी पाकिस्तान ढूंढती नैनो बुद्धि
(आलेख : बादल सरोज)
घूम-फिरकर कुनबा फिर अपने प्रिय पाकिस्तान की पनाह में पहुँच गया है। इस बार कोलम्बस बने...
कॉर्पोरेट बस्तर के सेप्टिक टैंक में दफ्न ‘लोकतंत्र’ , न्यू इंडिया का बदलता चेहरा
जांबाज पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या से उठते सवाल
(आलेख : संजय पराते)
यदि पत्रकारिता लोकतंत्र की जननी है या पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ...
भ्रष्ट गठजोड़ मुकेश की निर्मम हत्या का जिम्मेदार
रायपुर प्रेस क्लब में उचित पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए पत्रकारों ने मुद्दे उठाए
सरकार के साथ आम नागरिकों को भी पत्रकारों के साथ खड़ा...
गांधी नेहरू के बाद डॉ आंबेडकर पर हमला क्यों?
जुबान नहीं फिसली है, असल बात जुबान पर आ गई है
(आलेख : सिद्धार्थ रामू स्वतंत्र पत्रकार)
मैंने लिखा था, वे गांधी-नेहरू के बाद अंतिम हमला...
जनवादी लेखक संघ का वैचारिक आयोजन, पुस्तक चर्चा-काव्य पाठ
बद्रीप्रसाद पारकर तथा कमलेश चंद्राकर की पुस्तकों पर चर्चा । समाज में निचले पायदान पर रहने वाले लोगों का जीवन संघर्ष कितना कठिन होता...
छत्तीसगढ़ी के लिए होगा विधानसभा मार्च, सर्व समाज की बैठक में उठा मुद्दा
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस : सर्वसमाज के बीच गूँजा छत्तीसगढ़ राज्य को 'ख' वर्ग में शामिल करने का मुद्दा...विधानसभा मार्च की बनी रणनीति
रायपुर। छत्तीसगढ़ी राजभाषा...
न्यू इंडिया के नए रिश्ते, सरकार पर सवाल
नए भारत के नए निर्माता : भाजपा-संघ के नए आराध्य, नए पॉ पॉ
(आलेख : बादल सरोज)
न्यू इंडिया में एक क्रूर अपराधी के लिए पुलिस...
राजनैतिक- आपराधिक गठबंधनों से पनपती घृणित अपराधियों की जमात
रासपुतिन बोये-रोपे जायेंगे, तो रंगा-बिल्ला ही लहलहाएंगे
यौन अपराधों में वोट की राजनीति का जुड़ाव कितना घातक
(आलेख : बादल सरोज)
यह निर्भया काण्ड से बहुत पहले...
मासूम कृतार्थ की बलि के शरीके जुर्म और भी हैं
तार्किक शिक्षा पर सरकारों की गंभीरता के अभाव में पनपते निजि स्कूलों में पुरातन पंथी ताकतें हावी
आजादी के 7 दशक बाद भी बेहाल व्यवस्था
आलेख...