बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद को बड़ा झटका

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का च्किलाज् हिल गया है। पार्टी के कद्दावर नेता और लालू प्रसाद यादव खास सिपहसालार रहे पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। यही नहीं, राजद के पांच विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) ने भी पार्टी छोड़ कर नीतीश कुमार से हाथ मिला लिया है। दी है। रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे ने पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह इन दिनों कोरोना पॉजिटिव होने के बाद पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाजरत हैं। उन्होंने वहीं से पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा राजद के शीर्ष नेतृत्व को भेज दिया है। वह अपने धुर विरोधी रामाकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह के इस वर्ष 29 जून को राजद में शामिल होने के तय कार्यक्रम से नाराज हैं । सिंह ने पार्टी नेतृत्व को पहले ही बता दिया था कि या तो राजद में वह रहेंगे या रामा सिंह रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि रामा सिंह ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वैशाली से लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और इस दौरान उन्होंने राजद के दिग्गज नेता रघवुश प्रसाद सिंह को शिकस्त दी थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान लोजपा ने वैशाली से रामा सिंह को उम्मीदवार न बनाकर वीणा देवी को मैदान में उतारा था, जिसके बाद से वह पार्टी से नाराज चल रहे थे। इसके बाद से यह कयास लगाया जा रहा था कि रामा सिंह राजद में शामिल होंगे और इसको लेकर उन्होंने विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव से मुलाकात भी की थी। इसके बाद 29 जून को उनके राजद में शामिल होने का कार्यक्रम तय किया गया।

उधर, संजय प्रसाद, कमरे आलम, राधाचरण सेठ, रणविजय सिंह और दिलीप राय ने एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया है। इसकी पुष्टि विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कर दी है। पांचों नेता नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल हो गे हैं। इस्तीफा देने वाले सभी विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) लालू प्रसाद यादव के करीबी बताए जा रहे हैं। यह सभी आरजेडी की मौजूदा वंशवाद की राजनीति और तेजस्वी यादव के नेतृत्व से कथित रूप से परेशान थे। दरअसल, 7 जुलाई को विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। आरजेडी की ओर से तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाने की चर्चा से इन लोगों में गहरी नाराजगी थी।

आरजेडी के पास मौजूदा विधायकों की संख्या के आधार पर 9 में से तीन सीटों पर उसकी जीत पक्की है। ऐसे में तेज प्रताप यादव की भी जीत पक्की है। तेज प्रताप यादव को विधान परिषद भेजे जाने से कई नेता नाराज हैं। इन्हीं नाराज नेताओं में 5 विधान परिषद सदस्य भी हैं, जिन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले इन नेताओं का पार्टी छोडऩा तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।

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