वुहान। वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में दवा/वैक्सीन की कमी का सामना कर रही दुनिया को एक और बड़ा झटका लगा है। बताया जाता है कि एंटी वायरल ड्रग रैंडम क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गया है। इस एंटी वायरल ड्रग का नाम रेमडेसिवयर है, जिसका टेस्ट चीन अपने देश के कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर कर रहा था। इसे लेकर दुनिया भर में उम्मीद थी। इस एंटी वायरल ड्रग का नाम रेमडेसिवयर है। चीनी ट्रायल में पता चला कि यह ड्रग नाकाम रही। रेमडेसिवयर ड्रग से मरीज में कोई सुधार देखने को नहीं मिला। मतलब रेमडेसिवयर ड्रग देने से मरीज के खून में रोगाणु कम नहीं हुए।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के दस्तावेजों से इसकी जानकारी मिली है। इसके फेल होने की रिपोर्ट को डब्लूएचओ ने अपने वेबसाइट पर विस्तार से प्रकाशित किया था। बाद में इस रिपोर्ट को हटा दिया गया। इस पर सफाई देते हुए डब्लूएचओ ने कहा कि ड्राफ्ट रिपोर्ट गलती से अपलोड हो गई थी इसलिए रिपोर्ट को हटा लिया गया। रिपोर्ट में बताया गया था कि कुल 237 मरीजों में से कुछ को रेमडेसिवयर ड्रग दी गयी और कुछ को प्लेसीबो। एक महीने बाद रेमडेसिवयर लेने वाले 13.9त्न मरीजों की मौत हो गयी जबकि इसकी तुलना में प्लेसीबो लेने वाले 12.8प्रतिशत मरीजों की मौत हुई। ऐसी हालात में साइड इफेक्ट के कारण ट्रायल को पहले ही रोक दिया गया। इस ड्रग को बनाया है अमेरिका फर्म गिलिएड साइंस ने।

एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिवयर के बारे में डब्लूएचओ ने गुरुवार को अपने साइट पर रिपोर्ट दी और बताया कि ये कारगर साबित नहीं हुई। तब रेमडेसिवयर को बनाने वाली कंपनी गिलिएड ने आपत्ति दर्ज करायी। गिलिएड कंपनी के वैज्ञानिकों ओर शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान कोविड-19 के मरीजों पर रेमडेसिवीर का काफी अच्छा असर हो रहा है और उसके परिणाम अच्छे हैं, लेकिन इस दवा के प्रभाव को जांचने के लिए अधिक ट्रायल करने की जरूरत है।

गिलिएड साइंस ने फिर ट्वीट कर इस संबंध में रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया कि दवा का परीक्षण अभी काफ कम हुआ है ऐसे में इस के रिजल्ट पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। गिलिएड कंपनी के चीफ मेडिकल ऑफिसर, ने कहा कि शोधकर्ताओं को इस दवा के परिणाम के बार में कुछ भी लिखने या छापने की इजाजत नहीं है। अभी डब्लूएचओ के पास जो रिपोर्ट पहुंची वो गलत है और जल्दबाजी का परिणाम है।

ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल गुरुवार से शुरू हो चुका है। ब्रिटेन में बेहद अप्रत्याशित तेजी के साथ शुरू होने जा रहे इस परीक्षण पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैक्सीन के सफल होने की उम्मीद 80 फीसदी है। ब्रिटेन में 165 अस्पतालों में करीब 5 हजार मरीजों का एक महीने तक और इसी तरह से यूरोप और अमेरिका में सैकड़ों लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण होगा।

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