लॉकडाउन के बीच गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर IRS अधिकारियों द्वारा दिया गया सुझाव उन पर भारी पड़ गया है. केंद्र सरकार को उनका सुझाव रास नहीं आया. रविवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टेमेंट के उन 50 आईआरएस अफसरों के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है, जिन्होंने कोरोना से जुड़े राहत उपायों के लिए राजस्व जुटाने की एक अवांछित रिपोर्ट तैयार की है. साथ ही इस रिपोर्ट को बिना अनुमति के सार्वजनिक भी कर दिया.

बोर्ड ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए कुछ आईआरएस अधिकारियों के सुझावों के बारे में सोशल मीडिया पर रिपोर्ट प्रसारित हो रही है. ये स्पष्ट किया जाता है कि सीबीडीटी ने आईआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों से इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी नहीं कहा. इन अधिकारियों की ओर से उनके व्यक्तिगत विचारों और सुझावों को सार्वजनिक करने से पहले कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी, जो कि मौजूदा आचरण नियमों का उल्लंघन है.

इस मामले में आवश्यक पूछताछ शुरू की जा रही है. ये रिपोर्ट किसी भी तरीके से सीबीडीटी और वित्त मंत्रालय के आधिकारिक विचारों को नहीं दर्शाती है. बता दें कि CBDT प्रत्यक्ष टैक्स नीतियों के लिए सर्वोच्च नीति बनाने वाली संस्था है.

वहीं, आईआरएस एसोसिएशन ने ट्वीट करके कहा, ’50 युवा आईआरएस अधिकारियों द्वारा नीतिगत उपायों का सुझाव देने वाले (फोर्स) दस्तावेज को सीबीडीटी को विचारा के लिए भेजा गया. ये संपूर्ण आईआरएस या आयकर विभाग के आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.’

अमीरों से 50 फीसदी टैक्स लेने का दिया गया था सुझाव

बता दें कि देश के 50 आईआरएस अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव भेजकर बताया था कि देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था को कैसे पुनर्जीवित किया जा सकता है. इसमें अमीर लोगों से कोविड टैक्स के नाम पर 40 फीसद तक टैक्स लेने का सुझाव दिया गया था.

आईआरएस अधिकारियों की ओर से प्रधानमंत्री को भेजे गए सुझाव में कहा गया था कि जो लोग एक साल में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाते हैं, उनकी टैक्स रेट 40 फीसद तक बढ़ाई जा सकती है. कुछ अन्य सुझाव भी दिए गए हैं, जिनमें संपदा कर (वेल्थ टैक्स) दोबारा शुरू करना, 10 लाख रुपये से ज्यादा कर योग्य कमाई पर 4 फीसद तक कोविड-19 अधिभार (एक बार में लिया जा सकने वाला अधिभार), गरीबों के खाते में एक महीने में 5 हजार रुपये तक डायरेक्ट कैश ट्रांसफर और हेल्थकेयर सेक्टर में कॉरपोरेट व बिजनेस के लिए 3 साल के टैक्स हॉलिडे का ऐलान शामिल था.

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