मौत से जूझ रहे मजदूरों के लिए उम्मीद की किरण
फोटो क्रेडिट – एजेंसियां
नई दिल्ली : मेघालय में अवैध कोयले खदान में पिछले 15 दिन से फंसे मजदूरों को निकालने के लिए एयरफोर्स की टीम रवाना हो गई है. वह अपने साथ खदान से पानी निकाले के लिए 20 बड़े पंप भी साथ ले गई है. वहां पर फंसे मजदूरों को सबसे बड़ी मुश्किल खदान में भरे पानी की वजह से आ रही है. श्रमिक 370 फुट गहरे अवैध खदान में फंसे हुए हैं.
एयरफोर्स के सूत्रों के मुताबिक, मजदूरों के बचाने के लिए भारतीय वायुसेना के एयरक्राफ्ट C-130J ने NDRF के जवानों और जरूरी उपकरणों को लेकर भुवनेश्वर से उड़ान भर ली है। यह एयरक्राफ्ट गुवाहाटी में लैंड करेगा. ये जवान जयंतिया हिल्स जिले में स्थित इस खदान में दोपहर तक पहुंचेंगे. भारतीय वायु सेना के प्रवक्ता रत्नाकर सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने वायु सेना से बचावकर्मियों को भुवनेश्वर से या तो गुवाहाटी तक या शिलांग हवाई अड्डे तक शुक्रवार को पहुंचाने का आग्रह किया है.
भारतीय वायु सेना और कोल इंडिया के बचावकर्मी ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले में स्थित इस खदान में अब उपकरणों के साथ बचाव कार्य में जुट गए हैं. मेघालय की इस खदान में पिछले 15 दिनों से फंसे हुए खनिकों को बचाने के कार्य में पंप उत्पादन करने वाली दिग्गज भारतीय कंपनी किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड ने मदद की पेशकश की है. कंपनी ने खदान से पानी निकालने में जरूरी उपकरण उपलब्ध करा रही है. इससे पहले किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड की दो टीम मदद के लिए गुरुवार को यहां पहुंची.
राज्य में भाजपा गठबंधन वाली सरकार होने के बावजूद केंद्र से इन फंसे हुए मजदूरों के लिए अब तक मदद नहीं मिलाने की देशव्यापी निंदा की जा रही थी , बताया जाता है की NGT के प्रतिबन्ध के बावजूद सत्तापक्ष के एक वजनदार व्यक्ति के द्वारा लम्बे समय से इस अवैध खदान का संचालन किया जा रहा था .
पत्रकार धीरेश सैनी लिखते हैं – मेघालय की कोयला खदान के मज़दूर. कौन सी कोयला खदान? अवैध कोयला खदान. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल NGT के प्रतिबंध के बावजूद लगातार संचालित की जा रही नयी-नयी खदानें. मेघालय के जनजीवन को, उसके ट्राइबल्स को, प्रकृति को उजाड़ रही खदानें. बेबस मनुष्यों को ग़ैरइंसानी परिस्थितियों में फंसाकर उनकी जान को जोखिम में डालकर मुट्ठी भर धनपशुओं की मुनाफाखोरी के लिए संचालित की जा रही खदानें. मेघालय की अवैध कोयला खान में फंसे मज़दूर जिनका अब यह भी नहीं पता कि वे जीवित हैं भी या नहीं, क्या इसी दुनिया के नागरिक हैं? क्या उनका कोई देश है? क्या किसी भारत या किसी विश्व का दिल उनके लिए धड़कता है?
13 से 15 मज़दूर East Jaintia Hills के Ksan गाँव के इलाक़े की एक कोयला खदान में 13 दिसम्बर को फँसकर रह गए.ये खदान rat hole mines कहलाती हैं. अवैध रूप से नीचे-नीचे hole करके बेबस मज़दूरों की जान जोखिम में डालकर किया जाने वाला खनन.
नदी के पास की इस खदान में अचानक पानी भर जाने से ये मज़दूर फँस गए। मज़दूर फँस गए तो क्या? नेशनल मीडिया, खासकर कथित राष्ट्रीय भाषा की कथित मुख्यधारा के मीडिया तक यह बात पहुंचने में 10-12 दिन लगे. एक मामूली ख़बर की तरह.यह बताने में कि संसाधनों के अभाव में बचाव अभियान रोक दिया गया था .
8 नवंबर को इन्हीं जयंतिया हिल्स इलाके में जानी-मानी एक्टिविस्ट एग्नेस खारशियेंग, उनकी साथी अमिता संगमा और उनके ड्राइवर पर कोल माफिया ने जानलेवा हमला किया था.एग्नेस और अमिता NGT के प्रतिबंध के बावजूद चल रही नयी कोयला खदानों के बारे में सबूत इकट्ठा कर रही थीं.
एग्नेस मौत के मुँह से लौटी हैं और अभी स्वस्थ नहीं हो सकी हैं. उनका जैसा व्यक्तित्व है और जिस तरह की यह वारदात थी, मेघालय की राजधानी में प्रतिरोध तय था। तमाम दबाव के बावजूद और पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के मुखर होने के बावजूद मेघालय की बीजेपी-एनपीपी गठबंधन सरकार इस केस की सीबीआई जांच के लिए तैयार नहीं हुई.
यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि सत्तारूढ़ दल का एक बड़ा नेता निदामन चुलेट इस वारदात में आरोपी है और यह भी कि मेघालय के विधानसभा चुनाव के दौरान अवैध खनन पर प्रतिबंध के इस मसले पर ‘राहत’ के वादे किए जा रहे थे.याद यह भी रखा जाए कि चुनाव में खनन माफिया का पैसा इस्तेमाल किए जाने की आशंका की ख़बरें आई थीं.