मुंबई (एजेंसी):- आज पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है और रोजाना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वहीं चीन का वुहान शहर इस महामारी के खौफ को पीछे छोड़ आगे बढ़ चुका है। चीन ने इस महामारी से लड़ने के लिए वो हर कदम उठाए जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता था। हालांकि चीन में यह वायरस दूसरे हिस्सों में नहीं फैला, लेकिन आज पूरी दुनिया इस महामारी की चपेट में है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि चीन ने ऐसा किया क्या कि वह इस महामारी से बचा रह गया? पत्रकारों से चर्चा के दौरान इस सवाल के जवाब को लेकर एक अहम दस्तावेज लगा है जो कि एक पीपीटी फॉरमेट में है और इसे चीन के एक डॉक्टर ने बनाया है।

कोरोना महामारी को लेकर यह ऐसी बात है जिसे हर हिंदुस्तानी जानना चाहता है तो आपको हम बताते हैं कि वुहान शहर में ग्राउंड रिपोर्ट बनाने के लिए चीन से 16 डॉक्टरों को इस काम के लिए वुहान शहर में भेजा गया कि वह शहर के अंदर जाकर यह पता लगाएं कि आखिर यह वायरस कैसे पैदा हुआ और कैसे इंसानों में फैला। इस वायरस से कैसे बचा जा सकता है? क्या सावधानियां बरतनी हैं ? जो दवाइयां मरीजों को दी जा रही हैं वह कितनी कारगर हैं या जो थेरेपी प्रयोग में लाई जा रही हैं, मरीजों को ठीक करने के लिए वह कितनी कारगर है। जिस भारतीय डॉक्टर ने चीन के डॉक्टर की बनाई पीपीटी को चीनी से हिंदी में अनुवाद किया था उस डॉक्टर ने इस पीपीटी को भारतीय दूतावास जो कि चीन में मौजूद है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को भी भेजी है। इस पीपीटी में चीन ने क्या सावधानियां बरती उसका उल्लेख है। भारतीय डाक्टर ने उन सावधानियों को भारत में भी प्रयोग में लाने का अनुरोध किया गया है ताकि देश में फैल रही इस महामारी को रोका जा सके। इस पीपीटी को बनाने वाले डॉक्टर का नाम आकाश अबोटि है और वह एमबीबीएस सुनयत सेन मेडिकल यूनिवर्सिटी गुआंजहोउ चीन से हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्या विशेष है इस पीपीटी में जो अब तक देश में नहीं हुआ है।

चीन से कैसे फैला ये वायरस दुनिया में
जब यह वायरस चीन के वुहान शहर में आया तब चीन में नया साल मनाने की तैयारियां पूरे चरम पर थी और उस वक्त चीन में तकरीबन एक महीने तक छुट्टी का भी वक्त होता है। ऐसे में जो लोग चीन से बाहर होते हैं वह चीन में आते हैं और जो लोग चीन के नहीं होते हैं वह अपने देशों में जाते हैं। इस दौरान चीन को इस वायरस की भी क्षमता का पता नहीं था लिहाजा लोग एक-देश से दूसरे देश आते रहे और यही संक्रमण की पहली और सबसे बड़ी वजह बनी। इसकी वजह से यह संक्रमण चीन से निकलकर दुनिया के अलग-अलग देशों में पहुंचा।

वुहान शहर में सख्त लॉकडाउन
चीन के वुहान शहर में जब इस कोरोना वायरस की पुष्टि हुई तब उन्होंने तुरंत शहर के सभी रास्तों पर आवाजाही को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया। तमाम अंदरूनी सड़कों को खोद दिया गया। इसके अलावा सिर्फ एंट्री और एग्जिट प्वाइंट को खुला रखा गया और वहां पर सेना को तैनात किया गया और इस बात को सुनिश्चित किया गया कि कोई भी व्यक्ति इस लॉकडाउन के दौरान घर से बाहर ना निकले। सारी दुकानों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। सिर्फ मेडिकल स्टाफ को आने जाने की परमिशन थी।

जांच करवाने को आगे आए लोग
भारत में यह भी देखा गया है कि इस महामारी के दौरान लोग इसे छिपाने में भी लगे हुए हैं मसलन वह इस बीमारी से ग्रसित हैं या नहीं यह जानना या बताना नहीं चाहते हैं जबकि वहां शहर में तमाम नागरिकों ने सामने से इस बीमारी की जांच करवाने का फैसला किया था और वह जांच करवाते भी रहे ताकि इस बीमारी को जल्द से जल्द खत्म किया जा सके।

पहले पहचान, फिर प्लानिंग से इलाज
सबसे पहले जिन लोगों में कोरोना या फिर निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई दिए उन तमाम लोगों की पहचान की गई और सभी लोगों को एक अस्पताल में ही रखा गया। इसके साथ ही रिसर्च भी शुरू कर दिया गया कि इस बीमारी को जल्द से जल्द कैसे रोका जा सके। इसकी न्यूज़ हम सब ने देखी भी थी कि चीन में शहर में महज 10 दिनों में एक हजार बेड का अस्पताल तैयार कर दिया गया था। जैसे ही मरीजों को अस्पताल में लाया गया उनका इलाज शुरू हुआ वैसे ही सरकार ने लोगों के घरों को सैनेटाइज करवाया। चीन में इस बात का भी ख्याल रखा की इस दौरान दूसरे मरीजों का नुकसान ना हो। कोरोना के लिए एक अस्पताल, कैंसर के अलग अस्पताल ऐसी अलग-अलग बीमारियों के लिए जो अस्पताल होने चाहिए थे वह अलग-अलग बनाए गए। सामान्य बीमारियों के लिए भी अलग अस्पताल खोले रखे गए ताकि दूसरे लोगों की भी जो बीमारियां हैं उनका इलाज होता रहे।

ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल
सबसे पहले चीन में अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई, जिनमें चार प्रमुख कैटेगरी थी और इन कैटेगरी के अनुसार ट्रीटमेंट प्रोटोकोल को फॉलो किया गया। इसमें Alpha interferon, Lopinavir(एचआईवी के लिए यूज़ होता है)/Ritonavir, Ribavirin, Remdesivir(इबोला वायरस के लिए यूज़ होता है) जैसी दवाइयों ने सबसे बड़ा काम किया। इसके अलावा प्लाज्मा थेरेपी, ऑक्सीजन थेरेपी, ब्लड यूरीफिकेशन थेरेपी ने मरीजों के स्वस्थ होने में काफी मदद की।

प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी ने 18 साल से लेकर के 50 साल की उम्र के लोगों में बहुत अच्छा रिजल्ट दिया था इसलिए चीन में प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग इसी आयु वर्ग के मरीजों के ऊपर इस्तेमाल किया गया था। इस आयु वर्ग के उपर या नीचे के मरीजों का प्लाज़्मा लेना खतरनाक हो सकता है। कोरोनॉ मरीजों के लिए सबसे आवश्यक और नई ऑक्सीजन थेरेपी जो भारत में बहुत कम इस्तेमाल हो रही है। चीन में इस थेरेपी से कोरोना पॉजिटिव मरीजों को खूब फायदा हुआ है। ऑक्सीजन थेरेपी का मतलब यह होता है कि सीधे फेफड़ों में लिक्विड या गैस रूप में ऑक्सीजन पहुंचाना।

लॉकडाउन का सख्ती से पालन, सब कुछ रहा बंद
चीन ने सबसे पहले वुहान के सी फूड मार्केट को पूरी तरह से बंद करवा दिया। क्योंकि उन्हें यह शक था कि यह वायरस वहीं से आया है। इसके बाद वुहान की सभी फ्लावर शॉप और गार्डन को भी बंद करवाया गया। ऐसी भी बात सामने आई थी कि कुछ फूलों के पराग कण(पोलन ग्रेन्स) हवा के जरिए भी इस वायरस को फैला सकते हैं। वुहान में सबसे ज्यादा सब्जियां पैदा की जाती हैं और इसे पूरे चाइना में सप्लाई किया जाता है लेकिन इस वायरस के चलते सब्जियों को भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था। वहीं भारत में हम यह देख रहे हैं कि सब्जियों की मंडियां लग रही हैं और लोग वहां पर किसी भी प्रकार से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं, जबकि चीन में लोगों के घरों में जरूरी चीजों को पहुंचाया। लॉकडाउन के दौरान किसी को भी घर से निकलने की आज़ादी नहीं थी। सिर्फ कुछ लोगों को ही सब्जी बेचने की इजाजत थी। जिनको प्रशासन ने कार्ड जारी किए थे। बिना कार्ड के कोई भी नहीं सब्जी बेच सकता था।

दूसरे मरीजों का रखा विशेष ध्यान
चीन के कड़े फैसले और पॉलिसी मेकिंग की वजह से चीन ने जल्द ही इस वायरस को हरा दिया। इस पूरी लड़ाई में कोरोना के अलावा बीपी और डायबिटीज के मरीज या किडनी के मरीजों का भी पूरा ध्यान रखा गया। इस दौरान इन सभी लोगों का अतिरिक्त ध्यान रखा गया। क्योंकि ऐसे मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर होती है और वह आसानी से संक्रमित हो सकते हैं।

आरोग्य सेतु की तरह चीन ने भी मोबाइल एप्लीकेशन बनाया
आज वुहान पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो चुका है। इसके अलावा बाकी शहर भी करोना मुक्त हो चुके हैं। चीन का कारोबार सामान्य रूप से पटरी पर लौट रहा है और जिंदगी भी। मौजूदा समय कुछ पाबंदियों और सावधानियों के साथ पूरा चीन काम पर लौट चुका है। इसकी वजह ये भी रही कि चीन ने इस वायरस को लेकर जनता को बहुत जागरूक किया। इसके चलते लोग खुद जाकर कोविड-19 टेस्ट करवाने लगे। जबकि भारत में लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं। शायद उन्हें क्वारंटीन होने का डर है। आरोग्य सेतु की तरह चीन ने पहले ही एक मोबाइल एप्लीकेशन बनवाया और लोगों के लिए डाउनलोड करना अनिवार्य करवाया। अब जब सबकुछ सामान्य है तो भी ये एप्लीकेशन चीन ने मोबाइल में रखना अनिवार्य किया है ।

दूसरी बीमारी से ग्रस्त मरीजों के लिए कोविड-19 की जांच जरूरी
सोशल डिस्टेंसिंग, मेंटेंनिंग गुड हाइजीन, इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर, पोषक आहार और इसके अलावा एहतियात के तौर पर कुछ बीमारियां जैसे अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, थाइरोइड, डायबिटीज, स्ट्रोक की हिस्ट्री या फिर कोई बड़ी सर्जरी हुई हो तो आपको कोविड-19 की जांच जरूर करवानी चाहिए। क्योंकि कोरोना बिना किसी लक्षण के भी लोगों के शरीर में पाया गया है।

ऐसे जीत पाएंगे कोरोना से जंग
हमें यह समझने की जरूरत है कि कोविड-19 एक प्रकार का एग्रेसिव वायरल इंफेक्शन है तो जाहिर है कि यह काफी समय तक जिंदा रहेगा। हमारे अनुमान से लगभग आने वाले 4 से 8 महीनों तक यह वायरस पूरी दुनिया में अपना असर जारी रखेगा तो इससे डरने की बजाय हमें अपनी रोजाना की जिंदगी पर धीरे-धीरे लेकिन सावधानी के साथ लौटना होगा। आने वाले एक साल तक हमें रेगुलर मास्क को पहनना होगा। साथ ही हाइजीन मेंटेन करनी होगी। हैंड हाइजीन मेंटेन करनी होगी। भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहना होगा। साफ-सुथरा और पौष्टिक खाना खाना पड़ेगा। यह सारी चीजें हमें भी जीवन शैली में अपनाने होंगे तब हम जाकर के कोरोना से जंग को जीत पाएंगे।

ऐसे फैला कोरोना वायरस
चमगादड़ ने चीन में पहले इबोला फैलाया था। अब चमगादड़ की वजह से ही ये कोरोना वायरस भी फैला। चमगादड़ एक जीव है जो अपने शरीर में एक साथ कई वायरस रख सकता है और उससे कोई नया वायरस भी बना सकता है। चीन के वुहान की पुरानी और जर्जर इमारतों में चमगादड़ों का बसेरा था। ये इमारते बारिश की वजह से भीगी थी और नम थी जिनकी सीलिंग और अन्य जगहों पर काफी चमगादड़ थे जिनमें में कुछ मरे हुए भी थे। यही से ये वायरस सी फ़ूड में आया और जिसकी वजह से 7 लोग शुरुआत में निमोनिया के शिकार हुए जिसमें से 6 लोगों की मौत हुई थी। तब चीन को इस वायरस के होने की कोई खबर नहीं थी। जब डॉक्टर्स ने इन मरीजों को एंटीबायोटिक्स दिए और कोई असर नही हुआ तब इसकी छानबीन शुरू हुई और 21 जनवरी को चीन ने इसे महामारी घोषित किया। महामारी के दौरान चीन ने सभी पब्लिक किचन भी बंद कर दिए थे क्योंकि हर व्यक्ति पूर्ण रूप से साफ-सफाई का ध्यान अगर नहीं रखेगा तो भी कोरोना के फैलने का खतरा बरकरार रहता है।

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