डेप्युटी सेक्रटरी, हेल्थ मिनिस्ट्री

नई दिल्ली:- देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि अपनी सुरक्षा के उपाय करने चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रटरी लव अग्रवाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण के मामले में देश भले ही सातवें नंबर पर है लेकिन यह विश्लेषण सही नहीं है क्योंकि अन्य देशों की आबादी की तुलना में भारत की आबादी बहुत ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में रिकवरी रेट लगातार सुधर रहा है और दुनियाभर के देशों में सबसे कम केस मृत्यु दर है। उन्होंने कहा कि अब तक 95527 लोगों को कोरोना से छुटकारा मिल चुका है और देश की रिकवरी रेट 48.07 प्रतिशत है।

अग्रवाल ने कहा, ‘आज देश में केस बढ़ रहे हैं। देश सातवें नंबर पर है। यह अनैलिसिस डाउटफुल कंपैरिजन पेश करता है। इसकी तुलना हमारी आबादी के हिसाब से होनी चाहिए। हम बाकी देशों के बहुत ठीक स्थिति में हैं। हमारे देश में काफी स्थिरता है। आज के डेटा के मुताबिक 14 देश जो हमारे देश की आबादी से मिलते जुलते हैं वहां लगभग 22 प्रतिशत ज्यादा केस सामने आए हैं और 55 प्रतिशत ज्यादा मौतें हुई हैं।’
मत्यु दर 2.82 प्रतिशत
उन्होंने कहा, ‘हम कैसे जल्दी केस की पहचान करें और कैसे उनका इलाज करें। इन प्रयासों के तहत 15 अप्रैल को मृत्यु दर 3.15 प्रतिशत था जो घटकर 2.82 प्रतिशत हो गई है, जो कि दुनिया में सबसे कम है। ऐसे भी देश हैं जहां मृत्यु दर 19 प्रतिशत से ज्यादा है। अगर हम प्रति लाख मृत्यु दर देखते हैं तो यह भी सबसे कम है। आज एक और मुख्य विषय समझने की जरूरत है।’

60-70 आयु वर्ग में 38 फीसदी मौतें
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि बुजुर्गों और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों का ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। कोरोना से जान गंवाने वालों में 38 प्रतिशत लोग 60-74 वर्ष आयु वर्ग के हैं और 12 प्रतिशत 70 वर्ष से ऊपर के हैं।
अग्रवाल ने कहा, ‘ज्यादातर मौतें अन्य बीमारियों के साथ होने और ज्यादा उम्र की वजह से हो रही हैं। इन दोनों अंशों को देखें तो बुजुर्ग लोग ज्यादा रिस्क में हैं और जिनको डाइबिटीज, रेस्पेरेटरी डिजीज हैं, वे हाई रिस्क में हैं। उनका सहयोग बहुत जरूरी है। जरूरी है कि वे सोशल डिस्टैंस बनाकर रखें। लोग अपना चेकअप करता रहें और इम्युनिटी बूस्टिंग पर भी काम करें।’

‘कोरोना के साथ जीना सीखें’
उन्होंने कहा, ‘हम बाहर जाने से बचें। टेक्नॉलजी का प्रयोग किया जाए। इससे चेक किया जा सकता है कि हम कोविड पेशंट के आसपास तो नहीं हैं। अगर हमें लगे कि मदद की जरूरत है तो मेडिकल सपॉर्ट लें। हम कोई भी ऐसा काम न करें जिससे हमारे परिवार को नुकसान हो। जागरूक रहें, सुरक्षा पर ध्यान दें, समय पर इलाज करवाएं। अब तक हमारे प्रयास सुरक्षा के लिए रहे हैं। हम अनलॉक की स्थिति में हैं कि कैसे वायरस के साथ आगे का काम करें। लॉकडाउन का सकारात्मक उपयोग किया गया। हेल्थकेयर के सिस्टम पर काम किया गया और लोगों को जागरूक किया गया।’

 

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