कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन खोजने में पूरी दुनिया के रिसर्चर्स जुटे हैं। 120 से ज्यादा कैंडिडेट्स में कम से कम 10 वैक्सीन ऐसी हैं जिनका क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। इनमें Moderna की mRNA-1273 और ऑक्सफर्ड की AZD1222 भी शामिल हैं। AZD1222 दुनिया की पहली ऐसी कोरोना वैक्सीन है जो फेज 3 में एंटर कर चुकी है। उसके प्रॉडक्शन का जिम्मा ब्रिटिश फार्मा कंपनी AstraZeneca पर है। AstraZeneca ने भारत में Serum Institute of India (SII) से टाईअप किया है। SII ने इस साल के अंत तक 400 मिलियन डोज तैयार करने पर हामी भरी है। यानी दुनिया की ‘सबसे अडवांस्ड’ कोरोना वैक्सीन का प्रॉडक्शन भारत में भी हो रहा है। इसके अलावा यूके, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड की फैक्ट्रियों में भी यह वैक्सीन तैयार की जा रही है।
ऑक्सफर्ड की वैक्सीन का मास प्रॉडक्शन शुरू
जनवरी में ऑक्सफर्ड वैक्सीन ग्रुप और जेनर इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन पर रिसर्च शुरू की थी। शुरू में 160 स्वस्थ लोगों पर टेस्ट हुआ। अब यह वैक्सीन फेज 3 में हैं। इसे आम सर्दी-जुकाम देने वाले वायरस से बनाया गया है। यह शरीर में स्पाइक प्रोटीन के प्रति इम्यून रेस्पांस पैदा करेगी और इन्फेक्शन को फैलने से रोकेगी। वैक्सीन का वैक्सीन का मास प्रॉडक्शन शुरू हो चुका है।
Moderna की वैक्सीन भी रेस में आगे
अमेरिकन कंपनी Moderna की mRNA वैक्सीन भी इम्यून सिस्टम को कोरोना के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने की ट्रेनिंग देने की कोशिश करती है। यह वैक्सीन फिलहाल फेज 2 ट्रायल में है। कोरोना वायरस का जेनेटिक सीक्वेंस पता चलने के 66 दिन के भीतर ही इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया था।
फेज 2 में हैं कई वैक्सीन के ट्रायल
कोरोना वैक्सीन बनाने में दुनिया की दिग्गज यूनिवर्सिटीज से लेकर फार्मा कंपनियां जुटी हुई हैं। BioNTech, Novavax, Sinovac, Pfizer के अलावा कई वैक्सीन ट्रायल के पहले या दूसरे दौर में हैं।
सवाल बरकरार, कब तक आएगी वैक्सीन?
आमतौर पर वैक्सीन बनाने में 10 साल का समय लगता है। मगर कोरोना ने जैसे हालात पैदा किए हैं, उसे देखकर जल्द से जल्द इसका टीका खोजने की कोशिश है। कई एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि साल के आखिर तक वैक्सीन मिल जाएगी। मगर फिर उसके प्रॉडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी चुनौतियां सामने होंगी।
…तो कभी नहीं मिलेगी कोविड-19 की वैक्सीन?
महामारीविदों का एक धड़ा ऐसा भी है जो चेतावनी दे रहा है कि शायद हमें कोरोना की वैक्सीन कभी नहीं मिलेगी। उनका दावा है कि हमें इस वायरस के साथ ही जीना होगा। हालांकि बहुत सारे साइंटिस्ट्स उम्मीद से लबरेज दिखते हैं और साल के आखिर या अगले साल की शुरुआत तक वैक्सीन डेवलप हो जाने का दावा कर रहे हैं।