आजकल मोबाइल फोन तो खाना खाने और सोने से भी ज्यादा जरूरी हो गया है। अब स्कूल जाने वाले बच्चों के पास भी स्मार्टफोन रहने लगा है। एक्स्पर्ट्स का भी ये मानना है कि बच्चों को टीएनज उम्र में ही मोबइल फोन थमा देना उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए ठीक नहीं है।
जी हां, अगर आपने भी अपने टीएनज बच्चे को मोबाइल फोन दे रखा है तो ये उसकी सेहत को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। यहां हम आपको टीएनज में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से होने वाले नुकसानों के बारे में बताने जा रहे हैं।
टीन टेंडोनाइटिस
यदि बच्चों को कम उम्र में ही मोबाइल दे दिया जाए तो जाहिर सी बात है कि उन्हें मैसेज टाइप करने की लत तो लग ही जाएगी। वहीं ज्यादा मैसेज टाइप करने से बच्चे को टीन टेंडोनाइटिस यानी टीटीटी हो सकता है। इसमें गलत पोस्च्र के कारण हाथ, पीठ और गर्दन में दर्द हो सकता है। इसके कारण नजर भी प्रभावित हो सकती है।
तनाव
पूरा दिन फोन पर लगे रहने और मैसेज करने वाले बच्चे बाहर दोस्तों के साथ घूमने और खेलने बहुत कम ही जाते हैं। अध्ययनों की मानें तो फोन पर ज्यादा समय बिताने वाले बच्चों में थकान और तनाव का खतरा रहता है। कुछ मामलों में मानसिक विकार भी हो सकते हैं।
नींद न आना
अधिकतर बच्चे सोते समय मोबाइल फोन को अपने पास ही रखते हैं। फोन बजने पर बार-बार नींद टूटती है और इससे बच्चे में नींद की कमी की समस्या होने लगती है।
कैंसर का खतरा
अध्ध्यनों में सामने आया है कि मोबाइल फोन से निकली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन लंबे समय तक फोन को पकड़े रहने पर ऊतकों द्वारा सोख ली जाती हैं। टीएनज उम्र में तंत्रिका तंत्र का विकास हो रहा होता है और इनमें वयस्कों की तुलना में मोबाइल फोन के कारण ब्रेन कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है।
चिंता
किसी से बात करने के अगर मैसेज करना ही एकमात्र तरीका रह जाए तो इस वजह से टीएनज बच्चों में एंग्जायटी पैदा हो सकती है। दोस्तों को तुंरत रिप्लाई आना जहां खुशी देता है, वहीं घंटों इंतजार करने से चिंता बढ़ती है।
टीएनएज बच्चों के लिए मोबाइल फोन के सेफ्टी टिप्स
*बच्चे को मोबाइल फोन देने से पहले ये तय कर लें कि उसे दिन में कितना समय और पैसा खर्च करना है।
*उसे हिदायत दें कि दोस्तों के तुंरत रिप्लाई का इंतजार करना उसकी सेहत के लिए ठीक नहीं है।
*पढ़ाई करते समय मोबाइल फोन को बंद रखें।
*सोने से पहले भी फोन को ऑफ करने की आदत डालें।
*बच्चे को समझाएं कि फोन का कम इस्तेमाल करने से कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। दिन में 20 मिनट से फोन पर बात करना उसके लिए सही नहीं है।
बच्चों के लिए मोबाइल फोन का कम इस्तेमाल करने की बात समझना मुश्किल है, लेकिन पेरेंट्स होने के नाते आपको तो इस चीज को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

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