कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

वाशिंगटन। अमेरिका की एक अदालत ने 2008 मुंबई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के लिए भारत द्वारा भगोड़ा करार दिए गए पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा की जमानत याचिका खारिज कर दी। डेविड कोलमैन हेडली के बचपन के दोस्त राणा (59) को 2008 मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में शामिल होने के लिए भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर लॉस एंजिल्स में 10 जून को फिर से गिरफ्तार किया गया था। इस हमले में छह अमेरिकियों समेत 166 लोग मारे गए थे। भारत में वह भगोड़ा अपराधी घोषित है।
लॉस एंजिल्स में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने 21 जुलाई को अपने 24 पृष्ठों के आदेश में राणा को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उसके फरार होने का खतरा है। अमेरिकी सरकार ने यह दलील देते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का विरोध किया कि अगर वह कनाडा भाग जाता है तो उसके भारत में मौत की सजा से बचने की आशंका है।

अमेरिका के सहायक अटॉर्नी जॉन जे लुलेजियान ने अदालत में कहा कि ”किसी भी मुचलके पर जमानत देने से अदालत में राणा की मौजूदगी सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी। उसे जमानत देने से अमेरिका को अपने विदेश मामलों में शर्मिंदा होना पड़ सकता है और उसके भारत के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं।”

हीं, राणा के वकील ने कहा कि 26/11 के आरोपी के फरार होने का खतरा नहीं है और उन्होंने उसे जमानत पर रिहा करने के लिए 15 लाख डॉलर का मुचलका भरने का प्रस्ताव रखा। राणा ने अपने बचाव में कहा कि अमेरिका का सह-आरोपी हेडली को भारत प्रत्यर्पित न करने का फैसला असंगत है और यह उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाता है।
पाकिस्तान में जन्मे राणा ने वहां के आर्मी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की और एक दशक से अधिक समय तक पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम किया। वह अब कनाडाई नागरिक है, लेकिन वह शिकागो में रहता था, जहां उसका कारोबार था। अदालत के दस्तावेजों के अनुसार वह कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड में भी रहता है और वहां की यात्रा करता रहता है तथा सात भाषाएं बोलता है।

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