इतना असंवेदनशील नहीं हो सकता कोई- पुलिस अधीक्षक

सूरजपुर ।सूरजपुर पुलिस सुर्खियों में है,आरोप हैं कि प्रतापपुर के धोन्धा के पास बेरियर से वापस भेजने के कारण बीमार महिला की मौत हो गई थी।मामले को लेकर राजनीति भी चालू हो गई है लेकिन ऐसे लोग भी हैं जिन्हें मामला एक षणयंत्र का हिस्सा लग रहा है और वे मामले की वृहद जांच की मांग कर रहे हैं।जानकारों का कहना है कि 4 महीने में बेरियर से किसी को वापस नहीं भेजा गया तो उन्हें क्यों भेजा जाएगा,वे मामले में वाहन के ड्राइवर और परिवार के एक सदस्य पर लापरवाही बरतने का आरोप भी लगा रहे हैं।

गौरतलब है कि वाड्रफनगर के गैना की बिहानी देवी पति रामाधार पनिका कुछ दिनों से बीमार थी,रघुनाथनगर में इलाज के बाद उसे वाड्रफनगर के हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था जहां से उसे अम्बिकापुर रिफर कर दिया गया था।बीमार महिला की उस समय मौत हो गई थी जब परिजन धोन्धा पुलिस बेरियरसे वापस घर ले जा रहे थे,वाहन के ड्राइवर द्वारा गांव से पहले ही जंगल में शव के साथ परिजनों को छोड़ दिया गया था जिसके बाद यह बात सामने आने लगी थी कि पुलिसकर्मियों द्वारा बेरियर वापस भेजे जाने के कारण महिला की मौत हो गई, वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने इलाज के लिए अम्बिकापुर नहीं जाने दिया क्योंकि उनके पास ई पास नहीं था जबकि उन्होंने हॉस्पिटल की पर्ची दिखाई थी।इन आरोपो के बीच जानकार इस बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि बेरियर से उन्हें वापस भेज दिया गया,इनका कहना है कि लम्बे समय से लगे बेरियर से पहले वापस भेजने की बातें सामने नहीं आई थी फिर इन्हें पुलिस वापस क्यों भेजेगी।मामले में ये बातें भी सामने आ रही हैं कि पहले गाड़ी का ड्राइवर बेरियर तक आया था और उसने इलाज के लिए अम्बिकापुर जाने की बात कही,पुलिस वालों ने उससे पास के बारें में पूछा जरूर था जिसके बाद ड्राइवर वापस गाड़ी के पास चला गया और परिजनों को बेरियर में जाकर बात करने कहा।गाड़ी में बैठे लोगों में से एक बेरियर के पास गया,सामान्य पूछताछ उससे भी हुई लेकिन फिर वह वापस गाड़ी में गया और घर के लिए चले गए।वहां ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों को भी समझ नहीं आ रहा है कि जब वे किसी को वापस नहीं भेजेते तो उन्हें कैसे भेजेंगे,उन्हें इन लोगों की याद भी नहीं क्योंकि दिन भर सैंकड़ों गाड़ियां यहां से गुजरती हैं और सामान्य पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाता है।सवाल इस बात पर भी उठ रहे हैं कि ड्राइवर की मंशा ठीक होती तो वह शव को गांव से पहले क्यों छोड़कर जाता,बरहाल मामला सुर्खियों में है,पुलिस पर आरोपो के बीच उनके बचाव में भी बातें हो रही हैं और अब स्थिति जांच के बाद हक स्पष्ट हो पाएगी।

करीब चार माह से है बैरियर, पहले कभी नहीं आई कोई बात सामने

कोरोना से सुरक्षा के मद्देनजर धोन्धा मोरन के पास पुलिस का बेरियर पिछले चार महीनों से है जो जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर आरम्भ हुआ था।यह अम्बिकापुर बनारस हाइवे में है और रोज सैंकड़ों गाड़ियां इस बेरियर से होकर गुजरती हैं लेकिन ऐसा गम्भीर मसला सामने नहीं आया।इतना जरूर है कि एक प्रक्रिया के तहत आने जाने वालों से कारण व अन्य जानकारी जरूर ली जाती है।मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले तीन गर्भवती महिलाओं को पास व डॉक्टर की पर्ची न होने के बावजूद अम्बिकापुर जाने दिया गया था,ऐसे और भी मामले हैं जो यह बताते हैं कि यहां से किसी को वापस नहीं भगाया जाता है।

वापस जाते वक्त हॉस्पिटल क्यों नहीं गए परिजन..

जानकारों के अनुसार यह एक बड़ा सवाल है कि मृतक महिला के परिजन वापस घर जाते वक्त वाड्रफनगर या अन्य किसी हॉस्पिटल में क्यो लेकर नहीं गए।अगर उन्हें बेरियर से वापस भेजा भी गया तो उनका पहला काम यही था कि महिला के इलाज के लिए उसे पास के अन्य किसी हॉस्पिटल या डॉक्टर के पास लेकर जाते।

इतना असंवेदनशील नहीं हो सकता कोई-पुलिस अधीक्षक

इस सम्बंध में चर्चा के दौरान पुलिस अधीक्षक सूरजपुर राजेश कुकरेजा ने कहा कि आज के समय में इतना असंवेदनशील कोई नहीं हो सकता कि किसी को इलाज के लिए रोके।वहां पर बेरियर चार महीने से है और रोज बड़ी संख्या में लोग पार होते हैं,कभी कोई शिकायत सामने नहीं आई।महिला के मौत की तकलीफ सबको है और अपने स्तर पर मामले की जांच भी करा रहे हैं,जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

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