नई दिल्‍ली:- कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों की परेशानी खत्‍म नहीं हो रही। ICU में और वेंटिलेटर्स पर कई दिन गुजारने और डिस्‍चार्ज किए जाने के बावजूद दिक्‍कत फिर हो जा रही है। अस्‍पतालों में यही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। कोरोना का मरीज ठीक होता है, उसे वायरस मुक्‍त घोषित करके डिस्‍चार्ज कर देते हैं। मगर कुछ दिनों या हफ्तों बाद उन्‍हें कोरोना वायरस से जुड़ी कोई और परेशानी घेर लेती है। थकान से लेकर सांस लेने में दिक्‍कत आम लक्षण हैं मगर कुछ केसेज में फेफड़ों में परेशानी के साथ खून के थक्‍के बनना और स्‍ट्रोक तक देखने को मिल रहे हैं।

पेशेंट्स को डिस्‍चार्ज के बाद भी मॉनिटर करने की पड़ रही जरूरत
डिस्‍चार्ज मरीजों में ऐसी दिक्‍कतें सामने आने के बाद अस्‍पतालों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें डेडिकेटेड क्लिनिक्‍स जो पोस्‍ट-कोविड केयर देते हैं से लेकर वॉट्सऐप ग्रुप बनाना तक शामिल हैं। इन ग्रुप्‍स में डॉक्‍टर्स और मरीज शामिल होते हैं जिससे मॉनिटरिंग और फीडबैक प्रोसेस बेहतर हो रहा है।

निगेटिव रिपोर्ट के बावजूद आ रहीं दिक्‍कतें
हाल ही में नोएडा के एक अस्‍पताल को तब अलर्ट किया गया जब एक डिस्‍चार्ज मरीज के ऑक्सिजन लेवल में खासी गिरावट दर्ज की गई और उसे सांस लेने में भी तकलीफ थी। मरीज की हालत और खराब होती, उससे पहले ही उसे फिर भर्ती कर लिया गया। शारदा हॉस्पिटल के प्रवक्‍ता डॉ अजीत कुमार ने कहा, “45 साल के मरीज को जुलाई में डिस्‍चार्ज किया गया था और अगस्‍त की शुरुआत में फिर भर्ती किया गया क्‍योंकि उसके फेफड़ों में इन्‍फेक्‍शन था और ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल कम था। यह हाल तब था जब कोविड-19 की रिपोर्ट निगेटिव आई थी।”

जाने के बाद भी निशान छोड़ रहा कोरोना
दिल्‍ली के सर गंगाराम अस्‍पताल के सीनियर चेस्‍ट फिजिशियन डॉ अरूप बसु के अनुसार, कोविड-19 फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इन्‍फेक्‍शन खत्‍म होने के बावजूद इसके नुकसान का असर रहता है। उन्‍होंने कहा, “मोटे टिश्‍यूज पर मौजूद निशान फेफड़ों को ठीक से काम करने से रोकते हैं और अतिरिक्‍त ऑक्सिजन की जरूरत पड़ सकती है। उन्‍होंने 22 साल के एक मरीज का जिक्र किया जो महीने भर पहले ही ठीक हो चुका था मगर अबतक आईसीयू में है क्‍योंकि उसे हाई फ्लो ऑक्सिजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है।

डॉक्‍टर्स को डर है कि कोरोना महामारी के चलते बड़ी संख्‍या में लोागें के फेफड़े खराब होंगे जिन्‍हें ठीक कर पाना मुश्किल होगा। मरीज को अगर कोई अन्‍य बीमारी जैसे डायबिटीज हो तो उन्‍हें ‘नॉर्मल’ कर पाना और चुनौतीपूर्ण है।

बढ़ रही है ऐसे मरीजों की संख्‍या
मैक्‍स हेल्‍थकेयर हॉस्पिटल (दिल्‍ली) के डायबिटीज डिविजन के प्रमुख डॉ अंबरीश मित्‍तल ने कहा, “मेरे कई मरीज ऐसे रहे जो इन्‍फेक्‍शन से रिकवर हो गए मगर अनस्‍टेबल रहे और उन्‍हें खास केयर की जरूरत पड़ी। चेन्‍नई के अस्‍पतालों में भी ऐसे कोविड मरीजों की संख्‍या बढ़ रही है जिन्‍हें स्‍ट्रोक्‍स, हार्ट अटैक्‍स और धमनियों में थक्‍के जमने की शिकायत हो रही है।

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