सरगुजा जिला के चर्चित पत्रकार मनीष कुमार सोनी को सोशल मीडिया के फेसबुक वॉल में पोस्ट लगाने के आरोप में सरगुजा पुलिस ने ममला दर्ज कर लिया है। मनीष छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में रहते हैं और जनसरोकार के मुद्दों पर पत्रकारिता करते हैं। इस वजह से वह शासन और राजनीतिक पाॢटयों के निशाने में भी रहे हैं। जानकारी यह है कि शिकायत एक भाजपा नेता और बीजेपी परस्त पत्रकारों ने मिलकर की है।

अभी सरगुजा के एसपी से बात हुई तो उन्होंने मुकदमा हटाने के बजाय यह कहा कि हम जिला अभियोजन अधिकारी से इस मामले की जांच कराएंगे। आप ही बतायें मनीष ने क्या गलत कहा है? ‘जवान मरे या माओवादी मरता आदिवासी, ग्रामीण दलित ही है’ उनके इस विचार से व्यवस्था को इतना नागवर गुजरा कि उसने मनीष के खिलाफ भादवि के धारा 153 पर अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पुलिस का जवान तो पुलिस जवान ही होता है। उन्होंने आगे कहा कि मामले पर डीएसपी द्वारा जांच उपरांत अपराध दर्ज कर लिया गया है लेकिन खबर के लिखे जाने तक मनीष की गिरफ्तारी नहीं की गई है।

मनीष ने 25 मार्च को अपने फेसबुक वॉल में पोस्ट लगाया था जिसमें माओवादियों के द्वारा पर्चा और शहीदों के नामों का उल्लेख था। जिस पर मनीष ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये लिखा था -‘मरने वाले की जाति देखिये और मारने वालों की पहचान होने दीजिये। सब एक ही जाति के समुदाय के लोग होंगे। अब मरवाने वालो को समझिये। जवाब मिल जाएगा।
अब इन्हें शहीद कहकर शहादत को सलाम बोलिए। अगली बार की घटना का इंतजार करिए। आदिवासी को आदिवासी से लड़ाकर ही जंगल पर कब्जा किया जा सकता है।

बहरहाल पांच माह पहले एक पोस्ट पर पत्रकार मनीष पर अपराध दर्ज लिया लिया गया है। 9 अगस्त को ही मनीष ने अपने फेसबुक वॉल में आशंका व्यक्त करते हुये लिखा है कि ‘सूत्र बता रहे हैं कि सरगुजा पुलिस मेरे खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने जा रही है। जब मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला तो कोई न कोई झूठा/फर्जी आरोप तो गढऩा ही था। खैर तैयार हैं।’न के प्रारंभिक बिंदुओं के खिलाफ.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत मनीष की पोस्ट कंही से भी उत्तेजना फैलाने या संविधान की मूल भावना का उल्लंघन नही है बल्कि एक विवशता और मौजूदा व्यवस्था की व्यथा को उजागर कर रही है। संबंधित पुलिस अधिकारी के विवेक पर यह रिपोर्ट स्वतः प्रश्नचिन्ह लगाती है। बहरहाल पुलिस के आला अधिकारियों के द्वारा दिये गए बयान के आधार पर आगे कार्यवाही पर प्रदेश की पत्रकार यूनियने भी नज़र रखे हुए हैं।

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