प्रधानमंत्री के नाम  ज्ञापन सौंपकर की रोकने की मांग

छत्तीसगढ़:- करोना के दौर में जब  इस देश की अर्थवयवस्था गहरे संकट में है और   गरीब जनता बदहाल है इस समय जनता की राहत के कदम उठाने की बजाय  देश के सार्वजनिक क्षेत्रो को देशी और विदेशी कोरपोरेटों के हाथ देश की संपदा लुटाने निजीकरण के कदमों को राष्ट्रविरोधी कदम करार देते हुए इसे रोकने की मांग करते हुए प्रदेश भर में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आव्हान पर बिल्ला  व काली पट्टी लगाकर जबरदस्त विरोध कार्यवाही आयोजित की गई । इसमें इंटक, सीटू, एटक, एच एम एस, एक्टू सहित  10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों,  राज्य, केंद्र, बैंक, बीमा, बी एस एन एल कर्मचारी व विभिन्न स्वतंत्र महासंघों और एसोसिएशनों के मजदूर कर्मचारी शामिल हुए ।

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मच के संयोजक धर्मराज महापात्र ने उक्त जानकारी देते हुए कहा कि आज कोयला खदानों से लेकर केंद्र, राज्य व बैंक, बीमा, विद्युत मण्डल, रेल परिसर सहित सभी कार्यस्थलों पर यह प्रदर्शन आयोजित किया गया । एलआईसी कार्यालय में मुख्य सभा को सी जेड आई ई ए के महासचिव कामरेड  धर्मराज महापात्र व आर डी आई ई यू के महासचिव सुरेन्द्र शर्मा ने संबोधित किया । इसकी अध्यक्षता अलेक्जेंडर तिर्की ने की । इन प्रदर्शन के जरिए सभी संगठनों ने  प्रधनमंत्री के नाम निम्न ज्ञापन सौंपकर इसे तत्काल रोकने की मांग की गई ।
प्रधानमंत्री को दिया ज्ञापन  : श्रमिक व कर्मचारियों की मांगों के निराकरण हेतु 18 अगस्त , निजीकरण विरोधी, सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ दिवस की ओर से आज  *निजीकरण विरोधी सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ दिवस आंदोलन के तहत पूरे प्रदेश में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा आयोजित की गई विरोध कार्यवाही के जरिए प्रेषित इस ज्ञापन के माध्यम से निम्न तथ्यों की और आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं।
कोवीड – 19 के  बहाने देश के श्रमिकों व कर्मचारियों पर हो रहे हमलों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का साझा संघर्ष निरंतर जारी है। इसके तहत प्रदेश के तमाम श्रमिक व कर्मचारी संगठनों ने 11 मई को राज्यस्तरीय विरोध कार्रवाई तथा राष्ट्रीय आह्वान पर 22 मई को विरोध दिवस व तत्पश्चात 3 जुलाई 2020 का चेतावनी दिवस  और 9 अगस्त को भारत बचाओ दिवस मनाया जिसमें लॉकडाउन समेत तमाम पाबंदियों के बावजूद लाखों श्रमिकों और कर्मचारियों ने हिस्सेदारी की। 22 मई और 3 जुलाई व 9 अगस्त के जेल भरो/ सत्याग्रह में  देशभर में करोड़ो श्रमिकों और कर्मचारियों ने इन विरोध कार्रवाईयों हिस्सेदारी की।  इसके बावजूद केंद्र सरकार के श्रमिकविरोधी, जनविरोधी कदम निरंतर जारी है। श्रम कानून को समाप्त करने की कोशिशों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण की घोषणाओं के जरिये मेहनतकश अवाम को कुचलने के साथ देश की संपदा को मुनाफाखोरों के हाथों में सौंपने की कवायद बेशर्मी से जारी है। हाल ही में 109 जोड़ी ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने के लिए उठाए गए कदम, बीपीसीएल को बेचने की कवायद, कोयला खदानों की नीलामी आदि नित नई घोषणाएँ हमारे सामने है।  हर तरफ श्रमिकों व कर्मचारियों पर हमले, काम के घंटों में तानाशाही वृद्धि, वेतन कटौती, डीए व अन्य सुविधाओं पर आदि पर रोक, पेंशन तक पर हमले जारी है। हमारे द्वारा मांगी गई छह माह तक प्रति व्यक्ति रु. 7500 प्रतिमाह की रियायत, प्रति व्यक्ति 10 किलो अनाज आदि मांगों पर चुप्पी है। इस पूरे दौर में अर्थव्यवस्था और गरीब जनता बदहाल हो गई, वही अंबानी जैसे कोरपोरेट मालामाल हो रहे है। इन्ही देशी और विदेशी कोरपोरेटों के हाथ देश की संपदा लुटाई जाने की कवायद जारी है।

इन हालातों में अखिल भारतीय स्तर पर सभी 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों, विभिन्न स्वतंत्र महासंघों और एसोसिएशनों न ने  18 अगस्त को निजीकरण विरोधी, सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ दिवस  के तौर पर मनाने का आह्वान किया है। इसी की साथ प्रदेश व देश के विभिन्न क्षेत्रों में भी श्रमिक व कर्मचारी आंदोलनरत है। देश के साथ प्रदेश के सभी कोयला क्षेत्रों में कोयला खदानों को निजी हाथों में नीलामी के खिलाफ 2 जुलाई से तीन दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल हुई और अब 18 अगस्त को पुनः देशव्यापी हड़ताल हो रही है।  ट्रांसपोर्ट श्रमिक 5 अगस्त को आंदोलन किए । कोविड-19 आशा उषा कर्मी, आंगनवाड़ी कर्मी, मध्यान्ह भोजन कर्मी समेत स्कीम वर्करों ने 7-8 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल की जो प्रदेश में भी सफल रही।  इन सभी आंदोलनों को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने पूर्ण समर्थन किया है।

अतः हम आपसे मांग करते हैं कि-

  • कोरोना संकट की आड़ में कॉर्पोरेट्स की मांग पर उनके मुनाफों की वृद्धि के लिये श्रम कानूनों में किये गये सभी श्रमिक विरोधी संशोधन तुरन्त प्रभाव से वापस किया जाए।
  • कोरोना संकट के बहाने देशी विदेशी और दरबारी कॉर्पोरेटों के हाथों सार्वजनिक उद्योगो, यहाँ तक की अत्यंत संवेदनशील रक्षा, परमाणु और अन्तरिक्ष अनुसंधान तक के निजीकरण का फैसला वापस लिया जाए। कोयले की खदानों और अन्य खनिज खदानों के निजीकरण का फैसला, रेल के निजीकरण, प्राइवेट रेल चलाने के निर्णय, एलआईसी के शेयर बेचने के लिए उसे बाजार में सूचीबद्ध करने, रक्षा उत्पादन में 100 प्रतिशत एफडीआई, उनके कॉर्पोरेटीकरण, बीपीसीएल को बेचने का फैसला वापस लिया जाए। बिजली वितरण का निजीकरण का फैसला विद्युत बिल 2020 वापस लिया जाए। हवाई अड्डो की नीलामी  और सभी सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण/ विनिवेशीकरण की मुहिमबंद की जाए।
  • सभी गैर आयकर दाताओं, ट्रांसपोर्ट क्षेत्र के चालक, परिचालक, हेल्पर्स, कृषि उपज मंडियों और बाज़ारों के हम्माल-तोलैया, निर्माण, बीड़ी आदि मजदूरों सहित अन्य क्षेत्रो के असंगठित श्रमिकों (पंजीकृत या अपंजीकृत या स्व-नियोजित) के खातों में कम से कम अप्रैल से छह माह तक रू 7500 प्रतिमाह नकद हस्तांतरण किया जाए। 
  • सभी को भोजन उपलब्ध कराया जाए, राशन का सार्वभौमिक कवरेज दी जाए, सभी को 10 किलो अनाज प्रतिमाह निशुल्क दिया जाए।   
  •  प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी के बाद उनके रोजगार के मुद्दों का हल किया जाए। उनके घर के पास उनके लिए उपयोगी रोजगार दिया जाए। उनमें से जो काम पर लौटना चाहते है, उनकी मुफ्त वापसी यात्रा का प्रबंध किया जाए।  सभी को नि:शुल्क सार्वजनिक स्वास्थ्य व देखभाल की व्यवस्था किया जाए। 
  • मनरेगा के तहत 600 रु. प्रति दिन की मजदूरी तथा 200 दिन का काम या बेकारी भत्ता दिया जाए। शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाया जाए।
  • सभी श्रमिकों को लॉक डाउन अवधि के लिए पूरी मजदूरी सुनिश्चित किया जाए,  कोरोना व लॉक डाउन के बहाने छंटनी, काम पर वापस न लेने की कार्रवाई रोककर सभी को रोजगार सुनिश्चित किया जाए।
  • केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मियों के डीए और पेंशनरों का डीआर पर रोक वापस लिया जाए, राज्य कर्मचारियों के इंक्रीमेंट का विलंबंन समाप्त किया जाय, स्वीकृत पदों को समाप्त करना रोका जाए।
  • संविदा व आउटसोर्सिंग प्रथा को समाप्त कर सभी को नियमित नियुक्ति दी जाए।
  • नई पेंशन के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।

कोरोना वायरस से मुकाबले में अहम भूमिका निभाने वाली आशा, मितानिन, आंगनवाडी कर्मियों, सफाई कर्मचारियों को अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तरह प्रति माह 10 हजार रुपये मासिक, पीपीई किट तथा अन्य सुरक्षा सामग्री उपलब्ध करायी जावे। आंगनवाडी के निजीकरण के कदम तत्काल रोके जाए। आपसे आग्रह है कि इन मांगों का तत्काल समाधान करने का कष्ट करें ताकि श्रमिक/कर्मचारी आंदोलन को तीव्र करने को बाध्य न हों।  आज के प्रदर्शन को एक चेतावनी बताते हुए श्रम संगठनों ने सरकार की नीति में बदलाव न होने पर हड़ताल की चेतावनी दी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here