रायपुर। विधानसभा में आज राज्य के बुनकरों की दयनीय स्थिति को लेकर सदस्य लखेश्वर बघेल ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से सदन में बताया कि राज्य में हजारों की संख्या में बुनकर पारंपरिक कार्य करते हुए अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे, लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या दिनों-दिन कम होती जा रही है।
विधायक लखेश्वर बघेल ने अपने ध्यानाकर्षण में कहा कि बस्तर में लगभग 40 हाथकरघा बुनकर समितियां कार्य कर रही थी, इनमें हजारों की संख्या में बुनकर कामगार संलग्रथे और इसी परंपरागत कार्य को कर वे अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार के उदासीन रवैए के कारण इस समय मात्र 18-20 समितियां ही संचालित हैं, लेकिन इनकी स्थिति भी ठीक नहीं है। इन्हें समय पर धागा ही उपलब्ध नहीं कराया जाता है। इनके विक्रय हेतु बाजार की उपलब्धता भी नहीं है। मशीनें पुरानी एवं मरम्मत योग्य हो चुकी है। बहुसंख्यक समितियों के पास भवन ही नहीं है। भवन है तो वह भी काफी जर्जर हो चुकी है। समिति से जुड़े लोग बस्तर के इस परंपरागत कार्य को छोड़ रहे हैं। राज्य सरकार के इस उदासीन रवैए के कारण इस कार्य व्यवस्था से जुड़े लोगों में रोष एवं आक्रोश व्याप्त है।

इसके जवाब में मंत्री रूद्रकुमार गुरू ने सदन में बताया कि-बस्तर संभाग में 41 बुनकर समितियां पंजीकृत हैं। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में 14 बुनकर सहकारी समितियां कार्यरत थीं। वर्तमान में 19 बुनकर सहकारी समितियां कार्यरत हैं। कार्यशील बनुकर सहकारी समितियों में 743 करघे स्थापित हैं तथा 620 करघे कार्यरत हैं। जिस पर 1860 लोग रोजगार में संलग्र है। बस्तर संभाग के बुनकर सहकारी समितियों को हाथकरघा वस्त्र उत्पादन हेतु वर्ष 2019-20 से अब तक 2.40 करोड़ रूपए का धागा छग राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्यादित रायपुर के माध्यम से उपलब्ध कराया गया तथा वर्ष 2019-20 से अब तब बुनाई पारिश्रमिक एवं बुनकर समिति का सेवा प्रभार 2.43 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। समग्र हाथकरघा विकास योजनांतर्गत उन्नत उपकरण, कर्मशाला भावन हेतु सहायता दिए जाने का प्रावधान है। वर्तमान में 11 बुनकर सहकारी समितियों के पास बुनकर कर्मशाला भवन स्थापित है। बस्तर के 2 बुनकर सहकारी समिति बस्तर एवं बजावण्ड के भवनों के जीर्णोद्धार हेतु 25 लाख की सहायता राशि दी गई है तथा 1 बुनकर सहकारी समिति मर्यादित सलना जिला कोण्डागांव को कर्मशाला भवन निर्माण हेतु 19.46 लाख की सहायता दी गई है। बंद बुनकर सहकारी समितियों का स्थल निरीक्षण कराया जा रहा है। स्थल निरीक्षण उपरांत बंंद बुनकर सहकारी समितियों में बुनाई कार्य के इच्छुक होने पर संबंधित बुनकर समितियों को कार्यशील करने की कार्यवाही की जाएगी। अत: यह कहना सही नहीं है कि राज्य सरकार के उदासीन रवैए के कारण इन कार्य व्यवस्था से जुड़े लोगों में रोष एवं आक्रोश व्याप्त है।

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