निशाने पर ‘अर्बन नक्सल’ के बहाने नेतृत्व को डराने का प्रयास

नईदिल्ली 27.12.19. नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर केन्द्र सरकार का मुख्य धड़ा कई तरफ से हमले झेल रहा है. आसाम, पंजाब , बिहार जैसे कई मित्र राज्यों के नेताभी इसके खिलाफ मुखर आवाज उठा रहे हैं. लेकिन अब देखें तो ऐसा लगता है कि सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी रणनीति बदल दी है. प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान भी इस बात की तस्दीक करते हैं. गृह मंत्री ने नए बयान में सीधे सीधे खुद के पुराने बयान को पलट दिया है.
बीजेपी नेताओं के बदले तेवर से अब ऐसा महसूस हो रहा है कि सरकार ने अपनी रणनीति बदल ली है और उन लोगों पर निशाना साधा जा रहा है जो अब तक चल रहे प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे, या फिर इन मुद्दों का मुखर विरोध कर रहे थे. केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को ‘अर्बन नक्सल’ या ‘टुकडे-टुकड़े गैंग’ कह कर टारगेट करना शुरू कर दिया है.जिसका पूर्व आई ए एस कन्नन ने तत्काल उसी लहजे में प्रत्युत्तर भी दे दिया है.
पीएम मोदी ने कहा था- अर्बन नक्सल अफवाहों को दे रहे हैं अंजाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली की थी. पीएम मोदी ने कहा था कि अर्बन नक्सल के जरिए एनआरसी के मुद्दे पर मुसलमानों में अफवाह फैलाई जा रही है. कई ऐसे भी पढ़े-लिखे लोग हैं जिन्हें एनआरसी के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं है और ऐसे लोग भ्रम फैला रहे हैं.
रामलीला मैदान से प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा था कि सिर्फ कांग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेंशन सेंटर वाली अफवाहें सरासर झूठ हैं, बद-इरादे वाली है, देश को तबाह करने के नापाक इरादों से भरी पड़ी हैं– ये झूठ है, झूठ है, झूठ है.
इसके पहले उनकी दंगाईयो को कपड़ो से पहचानने की भाषा भी खूब चर्चित हुई थी.
माहौल बिलकुल नोटबंदी के बाद के प्रतिक्रियाओं की तरह दिखाई दे रहा है जिसमे देश और विश्व के जाने माने अर्थशास्त्री इसे अर्थ व्यवस्था के लिए नुकसानदेह बता रहे थे और सिनेमा जैसी दूसरी विधाओं में काम करने वाले सरकार के सहयोगी नोट बंदी को बेहतरीन कदम बता रहे थे.

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