पत्रकार वार्ता में माकपा राज्य सचिव संजय पराते और जिला सचिव प्रशांत झा द्वारा जारी वक्तव्य जारी किया गया।

कोरबा नगर निगम में नागरिकों के बुनियादी मानवीय अधिकारों और जनसमस्याओं पर संघर्ष करने की घोषणा करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने निगम क्षेत्र की कुछ ज्वलंत समस्याओं को भी चिन्हित किया है और इन मांगों पर कांग्रेस से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।

आज आयोजित पत्रकार वार्ता में माकपा राज्य सचिव संजय पराते के साथ जिला सचिव प्रशांत झा भी साथ थे। उल्लेखनीय है कि निगम में माकपा के दो पार्षद चुनकर आये हैं, जिनके समर्थन की जरूरत कांग्रेस को निगम सरकार बनाने के लिए पड़ेगी। इस प्रकार माकपा ने तटस्थ रवैया अपनाते हुए गेंद कांग्रेस के पाले में ही डाल दी है।

माकपा नेताओं ने कहा कि निगम क्षेत्र की जनता ने कांग्रेस और भाजपा किसी पर भी अपना विश्वास व्यक्त नहीं किया है और यही कारण है कि आम जनता ने इन दोनों पार्टियों को बहुमत से वंचित किया है और सरकार बनाने की चाबी छोटी पार्टियों को सौंपी है। पहले भी निगम की सत्ता भाजपा और कांग्रेस के पास रही है और उसने आम जनता की बुनियादी समस्याओं को हल करने के बजाए उन्हें परेशान करने और उन पर करों का बोझ लादने का काम किया है।

*लेकिन हम भाजपा को निगम की सत्ता में नहीं देखना चाहते और उसे सत्ता से बाहर रखने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन इसका मतलब कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन देना नहीं है और इस बार उसे माकपा द्वारा आम जनता की उठाई गई मांगों पर पहले अपना रुख सार्वजनिक रूप से बताना होगा।*

माकपा के जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि जनता से मिली ताकत के आधार पर निगम के अंदर और बाहर सड़कों पर आगामी दिनों में संघर्ष के लिए पार्टी ने निम्न मांगों को सूत्रबद्ध किया है :
1. कोरबा में पिछले 20 सालों से नगर निगम है, लेकिन बांकीमोंगरा क्षेत्र में शामिल 10 वार्ड हमेशा से उपेक्षित और विकास की रोशनी से वंचित रहे है। इसलिए माकपा अपनी पूरी ताकत से साथ इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए संघर्ष करेगी।
2. निगम क्षेत्र में आने वाली झुग्गी बस्तियों में भविष्य में किसी भी प्रकार की बेदखली और तोड़-फोड़ पर रोक लगाई जाए और उन्हें स्थायी आवासीय पट्टे दिए जाएं। इन पर थोपे गए अनाप-शनाप बकाया कर माफ किये जायें और भविष्य में संपत्ति कर, जल कर, सफाई कर सहित सभी प्रकार के करों के बोझ से उन्हें मुक्त रखा जाए। इन बस्तियों के लिए निःशुल्क पेयजल की व्यवस्था की जाए और हर घर तक एकल बत्ती कनेक्शन पहुंचाया जाए और बकाया बिजली बिल माफ किये जायें।
3. निगम क्षेत्र की जंगल जमीन पर काबिज लोगों को वनाधिकार कानून के तहत भूस्वामी पट्टे दिए जाएं। यह प्रक्रिया एक साल के अंदर पूरी कर ली जाए।
4. एसईसीएल और अन्य उद्योगों से प्रभावित भू-विस्थापित लोगों को वर्तमान दरों पर मुआवजा और स्थायी नौकरी दी जाए। भविष्य में किसी भी प्रकार के विस्थापन पर रोक लगाई जाए। किसानों के साथ एसईसीएल, बालको, एनटीपीसी सहित सभी उद्योगों के विवादों का निपटारा किया जाये।
5. कोल बेयरिंग एक्ट के तहत किसानों से ली गई और बंद हो चुकी कोल खदानों की जमीन मूल भूस्वामी किसानों को वापस की जाएं। इसी प्रकार भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसानों की अधिग्रहित की गई और अनुपयोगी पड़ी भूमि की तत्काल वापसी के कदम उठाए जाएं।
6. निगम क्षेत्र में आर्थिक-सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के बेरोजगार युवाओं के लिए स्व-रोजगार के साधन विकसित किये जायें और उनके लिए सस्ती किश्तों में दुकानों का निर्माण किया जाए।
7. लघु व्यवसायियों और दुकानदारों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाए। फुटपाथी दुकानदारों और रेहड़ी वालों को परेशान करना बंद किया जाए और उनके व्यवसाय के लिए हर जोन में स्थायी जगह का बंदोबस्त किया जाए।
8. निगम क्षेत्र के अंतर्गत एकत्रित खनिज न्यास निधि और सीएसआर की राशि का उपयोग शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी बुनियादी समस्याओं के निराकरण के लिए किया जाए और इस राशि के उपयोग को अफसरों के शिकंजे से मुक्त किया जाए।
9. निगम क्षेत्र में सफाई कार्य का ठेकाकरण बंद किया जाए और ठेकेदारों के अधीन कार्यरत सफाई कर्मचारियों को स्थायी नौकरी दी जाए।
10. बांकीमोंगरा क्षेत्र में 50 बिस्तरों का अस्पताल और कोरबा पश्चिम में शासकीय कॉलेज का निर्माण किया जाए।
11. लोकतंत्र के प्रहरी पत्रकारों के सुचारू कामकाज के लिए सर्वसुविधायुक्त काम्प्लेक्स का निर्माण कर उन्हें ऑफिस आबंटित किये जायें।

माकपा नेता पराते ने कहा कि आज राज्य की सत्ता में कांग्रेस काबिज है और प्रदेश की सरकार के सहयोग से कांग्रेस जनता की इन मांगों को पूरा करने की क्षमता रखती है। अतः कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से इन मांगों के प्रति अपने रूख को स्पष्ट करना होगा और इस पर अमल के लिए रोडमैप को सामने रखना होगा। *जनता की इन मांगों पर यदि कांग्रेस चुप रहती है, तो यह माना जा सकता है कि वह भी सत्ता में आने पर भाजपा राज की नीतियों पर ही चलने का इरादा रखती है।

उन्होंने जोगी कांग्रेस और बसपा से भी जनता की इन मांगों पर आवाज बुलंद करने की अपील की है।माकपा नेता ने स्पष्ट रूप से कहा कि महापौर बनने/बनाने की तिकड़मबाजी से उनकी पार्टी दूर है। इसके लिए भेड़ों की तरह पार्षदों की खरीदी के जो प्रयास हो रहे है, उसकी उन्होंने निंदा की है। उन्होंने कहा कि माकपा चाहती है कि कोरबा नगर निगम का महापौर ऐसा व्यक्ति बने, जिसकी छवि आम जनता के बीच संघर्षशील और ईमानदार व्यक्ति की हो, न कि माफिया से जुड़े किसी दलाल व्यक्ति की।

प्रशांत झा ने कहा कि हमारी पार्टी के पार्षदों को जनता ने जन समस्याओं के प्रभावी निराकरण की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके लिए निगम के अंदर हमारे पार्षद और बाहर सड़कों पर माकपा आम जनता को लामबंद कर संघर्ष छेड़ेगी। यदि कांग्रेस अपनी सत्ता की ताकत का उपयोग गरीब जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए करना चाहती है, तो उसका स्वागत है।

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