नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लैंगिक न्याय के लक्ष्य पर आगे बढऩे के लिए भारतीय न्यायपालिका के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय हमेशा से सक्रिय एवं प्रगतिशील रहा है। सुप्रीम कोर्ट के ऐसे ही ऐतिहासिक फैसलों से भारत के कानूनी एवं संवैधानिक ढांचे को मजबूती मिली है।
राष्ट्रपति कोविंद ने यह बात रविवार को यहां ‘न्यायपालिका और बदलती दुनियाÓ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में बोलते हुए कही है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन की अगुवाई की है। विधि विशेषज्ञों से राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसलों ने भारत के कानूनी एवं संवैधानिक ढांचे को मजबूती दी है। राष्ट्रपति ने भारत की भाषायी विविधता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने के उच्चतम न्यायालय के प्रयासों को असाधारण बताया। उन्होंने नौ स्वदेशी भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने के लिए उच्चतम न्यायालय की प्रशंसा की।
उन्होंने दो दशक पुराने विशाखा दिशा-निर्देशों का संदर्भ दिया जो कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीडऩ को रोकने के लिए लागू किया गया था। राष्ट्रपति ने कहा कि अगर एक उदाहरण दें तो लैंगिक न्याय के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उच्चतम न्यायालय हमेशा से सक्रिय और प्रगतिशील रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ को रोकने के लिए दो दशक पहले दिशा-निर्देश जारी करने से लेकर सेना में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए इस महीने निर्देश जारी करने तक उच्चतम न्यायालय ने प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन की अगुवाई की है।