• षड़यंत्र एवं कूटरचना कर काम से निकाला
  • कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

कोरबा। पदच्युत किए गए वन रक्षक ने परिवार सहित कलेक्टोरेट पहुंचकर इच्छामृत्यु की मांग की है। उसने आरोप लगाया है कि शासकीय अभिलेखों में षड़यंत्र एवं कूटरचना कर उसे काम से निकाला गया है जिसे लेकर उसने सीसीएफ बिलासपुर से भी शिकायत की लेकिन किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई जिससे वह क्षुब्ध है।
सत्यव्रत जांगड़े 2006 से कोरबा वनमंडल में वनरक्षक के पद पर कार्यरत था। तत्कालीन डीएफओ एस वेंकटाचलम द्वारा उसे अकारण नारंगी क्षेत्र इकाई से हटाकर हाथी मित्र दल कुदमुरा पदस्थ कर दिया। 5 माह बाद 15 जनवरी 2019 को अकारण हाथी मित्रदल से कोरबा स्थानांतरण कर दिया गया।

बार-बार स्थानांतरण से परेशान होकर सीसीएफ बिलासपुर से निवेदन भी किया गया। पुन: फरवरी माह में वन बेरियर कुदमुरा उसका तबादला किया गया। उसने आरोप लगाया है कि 13 अप्रैल 2019 को कूटरचित दस्तावेज एवं दुर्भावनापूर्वक उसे निलंबित कर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर करतला भेज दिया गया है। उसने आरोप लगाया है कि उसके विरूद्ध दुर्भावनापूर्वक संगठित रूप से षड़यंत्र रचकर विष्णु प्रसाद मरावी तत्कालीन उप वन क्षेत्रपाल कोरबा परिक्षेत्र, संतोष कुमार सोंधिया परिक्षेत्र लिपिक तथा संजय कुमार केसकर सदस्य उड़नदस्ता दल कोरबा वन परिक्षेत्र के द्वारा अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर शासकीय रिकार्ड में हेराफेरी एवं ऊपरी लेखन करते हुए फर्जी अभिलेख तैयार किया। इस फर्जी अभिलेख के आधार पर उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

सत्यव्रत जांगड़े ने बताया कि उसे 18 से 21 फरवरी 2019 एवं 23 से 28 फरवरी के मध्य 10 दिनों तक अनुपस्थित बताकर झूठा प्रतिवेदन उप वनमंडलाधिकारी को विष्णु प्रसाद मरावी ने प्रेषित किया था जबकि सत्यव्रत इन तिथियों में लगातार उपस्थित रहकर पंजी में हस्ताक्षर करता रहा। हाजिरी पंजी के पेज क्रमांक 6 में कूटरचना व ऊपरी लेखन होना जांगड़े ने बताया है। दूसरी तरफ फरवरी के पूरे माह कर्तव्य पर उपस्थिति का प्रमाण श्री मरावी द्वारा वनमंडलाधिकारी को प्रेषित भी किया गया। इसी तरह संतोष कुमार के पास दैनिक उपस्थिति पंजी सुरक्षित रहती है और उसकी मिलीभगत के बिना कूटरचना व हेरफेर संभव नहीं। सत्यव्रत को फरवरी माह में पूरा माह का वेतन भुगतान होना बताया गया जिसकी भी प्रति उसने पेश की है। संजय कुमार केशकर ने अनुपस्थिति का झूठा पंचनामा तैयार किया जबकि पंचनामा में शामिल कर्मियों का हस्ताक्षर यहां तक कि केशकर का भी हस्ताक्षर नहीं है। पंचनामा के समय वन रक्षक बसंत कुमार शुक्ला, बसंत कुमार तिवारी वनपाल एवं संजय कुमार केशकर व अन्य कर्मचारी उपस्थित थे। उक्त षड़यंत्र के कारण नौकरी से बर्खास्त सत्यव्रत ने इनके विरूद्ध अपराध दर्ज कर जांच न्यायिक कार्यवाही का आग्रह किया है। साथ ही उसने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए परिवार सहित इच्छामृत्यु की मांग की है।

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