हंगामे और विवाद के बाद सेंट्रल पैनल के लिए गिने गए कुल 5170 वोटों में सभी चार पदों- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव- पर वाम मोर्चा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर लाल हो गया है। छात्र संघ चुनाव में मुख्य पैनल के सभी चार पदों वाम मोर्चे की जीत हुई है। अध्यक्ष पद पर वाम मोर्चे के उम्मीदवार एन. साई बालाजी, उपाध्यक्ष पद पर सारिका चौधरी,महासचिव पद पर एजाज अहमद राथेर और संयुक्त सचिव पद पर अमुथा जयदीप ने जीत हासिल की।तमाम कोशिशों के बावजूद आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी के हाथ कुछ नहीं आया है।
जेएनयू छात्र संघ के लिए 14 सितंबर को वोट डाले गए थे। इस साल के चुनाव की कई खास बातें हैं, इस दौरान करीब 68 प्रतिशत मतदान हुआ था। जो पिछले कुछ सालों से बहुत ज़्यादा है, जिससे ये साबित हुआ कि कैंपस की छात्र जनता ज्यादा अवेयर हुई है.
इस बार छात्र आरजेडी ने प्रेसिडेंट उम्मीदवार जयंत कुमार के साथ बार जेएनयू में दस्तक दी. सवर्ण छात्र मोर्चा गरीब सवर्ण के मुद्दे को उठाते हुए चुनाव में उतरी. उन्होंने एबीवीपी पर इस मुद्दे को ना उठाने का आरोप लगाया. मतगणना के दौरान काफी हंगामा और विवाद हुआ। आरोप है कि एबीवीपी ने मतगणना के दौरान खलल डालने की कोशिश की और मारपीट भी की। जिसके बाद मतगणना को रोक दिया गया। शनिवार को दिन भर इसी को लेकर ऊहापोह और हंगामा रहा। वाम मोर्चे के मुताबिक अपनी हार सामने देखकर एबीवीपी ने इस तरह की गुंडागर्दी की जिससे चुनाव परिणाम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए जाएं, क्योंकि एबीवीपी कोई काउंसर पद भी नहीं जीत पाई।
हंगामे और विवाद के बाद गिने गए कुल 5170 वोटों में सभी चारों पदों पर वाम मोर्चा के उम्मीदवार चुने गए।
जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद ने ट्वीट किया है, जेएनयू के सभी छात्र कार्यकर्ताओं को बधाई, जिन्होंने कड़ी मेहनत की और अद्भुत धैर्य के साथ काम किया, प्रशासनिक दमन और एबीवीपी की घटिया नीति के बावजूद जीत बरकरार रखी। सभी पदों पर अग्रणी संयुक्त वाम पैनल। एनएसयूआई को 1 काउंसलर पद मिला। लेफ्ट की यह जीत नजीब अहमद के लिए है, जिनकी मां उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं।
आपको बता दें कि वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), डेमोक्रैटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने ‘लेफ्ट यूनिटी’गठबंधन के तहत एक साथ चुनाव लड़ा था।
इसके बरअक्स राष्ट्रीय स्वयंसेवक के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), कांग्रेस के छात्र संगठन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) और बिरसा-आंबेडकर-फूले स्टूडेंट एसोसिएशन(बापसा) के उम्मीदवार सामने थे। निर्दलीयों ने भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आज़माई।
अंतिम परिणाम कुछ इस प्रकार रहे:-