नईदिल्ली 1अप्रैल, 2020 (इंडिया न्यूज रूम):- केंद्र सरकार द्वारा कोरेना मामले पर रिट याचिका के जवाब में कल 39 पृष्टों की स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में गृह सचिव के हस्ताक्षर से पेश की गई थी। आज उस मामले पर कोर्ट ने सरकार के पक्ष से पूरी तरह संतुष्टि जताई है और मज़दूरों के लाखों की संख्या में घर वापसी के लिए सड़क पर आ जाने के लिये उन मीडिया रिपोर्ट्स को जिम्मेदार माना है जिसमे 21 दिन के लॉकडाउन के 3 महीने तक बढ़ने की आशंका जताई गई थी , जिसके कारण बेचैन हो कर श्रमिक और कर्मचारी सड़कों पर लॉकडाउन के समय में भी निकल आये। कोर्ट लॉक डाउन करने के समय सरकार की तैयारी पर कोई टिप्पणी नही की।

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे फर्जी खबरों को लेकर मीडिया को निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के पलायन के पीछे फर्जी खबरों पर चिंता जताते हुए मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया) को अपनी जिम्मेदारी सही तरह से निभाने, घबराहट पैदा करने वाले और असत्यापित समाचारों के प्रसार पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फर्जी खबरों के चलते प्रवासी मजदूरों के पलायन को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हम मुख्य रूप से प्रवासी मजदूरों के कल्याण को लेकर चिंतित हैं। कोर्ट ने कहा कि हम विश्वास करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इस देश के सभी संबंधित अर्थात राज्य सरकारें, सार्वजनिक प्राधिकरण और नागरिक ईमानदारी से सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जारी निर्देशों, सलाह और आदेशों का पालन करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि विशेष रूप से हम मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया) से अपेक्षा करते हैं कि वे जिम्मेदारी की एक मजबूत भावना बनाए रखें और यह सुनिश्चित करें कि घबराहट पैदा करने में सक्षम असत्यापित समाचार प्रसारित न हों। भारत सरकार ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब सरकार 24 घंटों के भीतर लोगों की शंकाओं को दूर करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य मंचों सहित सभी माध्यमों के जरिए एक दैनिक बुलेटिन जारी करेगी।

फर्जी खबरों के चलते मजदूरों ने किया पलायन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शहरों में काम करने वाले मजदूरों के बड़ी संख्या में पलायन के पीछे लॉकडाउन तीन महीने से अधिक समय तक जारी रहने वाली फर्जी खबरें हैं। इससे उन्हें घबराहट पैदा हो गई। इसलिए हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया द्वारा फर्जी खबरों के इस खतरे को नजरअंदाज करें। कोर्ट ने कहा कि हम कोरोना वायरस महामारी के बारे में स्वतंत्र चर्चा में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखते लेकिन मीडिया को घटनाक्रम के बारे में आधिकारिक बयानों को संदर्भित करने और प्रकाशित करने का निर्देश देते हैं।

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