उत्तर प्रदेश में भाजपा विधायक श्याम प्रकाश द्वारा विधायक निधि में भ्रष्टाचार की शिकायत पर कार्यवाही के बदले से पार्टी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने मांगा जवाब
अनिल मालवीय
लखनऊ (30 अप्रेल 2020 ) सत्तारूढ़ भाजपा में असंतोष की ज्वाला अन्दर ही अन्दर भड़कने के कई उदाहरण रोज दिखते जा रहे हैं, जिस तरह पिछले दिनों एक विधायक( रामपुर ) द्वारा कार्यकर्त्ता एवं सी एम स्टाफ से संवाद का आडियो सार्वजनिक किया गया था तथा उसमें “कोई शिकायत नहीं राज्य में रामराज्य चल रहा है” का व्यंग्य किया गया था, अब दूसरे विधायक का मामला सामने आया है जिसमें उत्तर प्रदेश में भाजपा विधायक श्याम प्रकाश द्वारा विधायक निधि में भ्रष्टाचार की शिकायत पर भ्रष्ट अधिकारीयों पर कार्रवाही के बदले शिकायतकर्ता से ही पार्टी अध्यक्ष ने जवाब मांगा है .
भाजपा विधायक श्यामप्रकाश ने कोरेना संकट के मद्देनज़र अपने क्षेत्र की जनता के हितों का ध्यान रखते हुए पी पी ई किट तथा मास्क एवं वेंटिलेटर वगेरह चिकित्सा सामग्री के लिये जिला कलेक्टर को करीब 25 लाख की राशि की स्वीकृति मार्च में प्रदान की थी , उन्होंने 15 अप्रेल को इसके खर्च सम्बन्ध में जानकारी चाही तो 25 अप्रेल तक उन्हें कोई जानकारी कलेक्टर या चिकित्सा विभाग की ओर से नहीं दी गयी. कुछ दिनों बाद भी जानकारी नहीं मिलने पर अखबारों में भ्रष्टाचार की खबरों का जिक्र करते हुए उन्होंने 25 अप्रेल को पुनः पत्र जारी करके उसे मिडिया को भी प्रेषित कर दिया.
इस घटना से राज्य के निर्णयकर्ता नेता तथा अधिकारीयों को जवाब देना मुश्किल हो गया . इसलिए भाजपा विधायक श्यामप्रकाश को पार्टी अध्यक्ष की तरफ से जारी नोटिस में लिखा गया है कि भारतीय जनता पार्टी के आचरण के विरुद्ध आपके द्वारा सार्वजनिक रूप से वक्तव्य देने की शिकायत प्राप्त हुई है. जो समाचार पत्र में प्रकाशित हुई है. इसे पार्टी ने गंभीरता से लिया है अतः प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के निर्देशानुसार आप को निर्देशित किया जाता है कि एक सप्ताह के अंदर अपना स्पष्टीकरण प्रदेश कार्यालय को भेजने का कष्ट करें. ये नोटिस प्रदेश महामंत्री एवं प्रदेश भाजपा मुख्यालय प्रभारी विद्यासागर सोनकर ने जारी किया है और इसकी प्रतिलिपि क्षेत्रीय अध्यक्ष/क्षेत्रीय संगठन मंत्री अवध क्षेत्र लखनऊ व जिला अध्यक्ष भाजपा हरदोई को भी प्रेषित की गई है.
बता दें कि भाजपा विधायक श्यामप्रकाश के पूर्व में दिए गए बयानों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई खरीद में भ्रष्टाचार की खबरें मिलने के बाद विभाग को दी गयी विधायक निधि 25 लाख का हिसाब मांगा था और हिसाब न मिलने के बाद उन्होंने अपनी निधि वापस मांगी थी. जिसके ठीक बाद भाजपा विधायक को नोटिस मिलने से कयासों का बाजार गर्म हो गया है. बता दें कि महामारी कोरोना वायरस (Pandemic Coronavirus) के चलते देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) है. इस संकटकाल में कोरोना से जंग के लिए कई विधायकों व सांसद ने अपनी निधि से पैसा दिया था, लेकिन जैसे ही संकटकाल में और फंड जोड़ने के लिए इनकी निधियों से कटौती का प्रस्ताव सरकार ने दिया तो इनमें से कई अपनी निधि वापस लेने के लिए परेशान घूम रहे हैं. पहले भाजपा के एमएलसी सहित चार विधायकों व बसपा की एक विधायक ने पत्र लिखकर निधि की धनराशि का उपयोग करने से मना कर दिया. फिर हरदोई जिले के विधायक अपने 25 लाख रुपए इस आधार पर मांगने लगे कि उन्हें लगता है कि उसका सही उपयोग नहीं हो रहा है. जानकार सूत्र बताते हैं कि ऐसी स्थिति राज्य के अधिकांश जिले में है । परंतु, राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है । हर जगह इस तरह के मामले दबाने को दबाने या अनदेखी का काम किया जा रहा है । सिर्फ, उन्हीं समाचारों को प्राथमिकता दी जा रहा है जिससे मुख्यमंत्री प्रसन्न हो सके। अधिकारियों की इस कार्य प्रणाली से जनता के बीच सरकार की छवि धूमिल हो रही है । यदि समय रहते इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो सरकार को भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा ।
लोकतंत्र में सांसदों और विधायकों का बहुत महत्व होता है । चुनाव में जनता उन्हें अपने प्रतिनिधि के तौर पर इसलिए चुनती है ताकि वे संसद और विधानसभा में जनता की समस्या को हल करने की आवाज़ उठा सके और उसके अनुपालन के लिए सरकार पर दबाव बना सकें।परंतु,बीते कुछ सालों से माननीयों की साख लगातार गिरती जा रही है । उनकी स्थिति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है न तो सरकार उनकी तरफ ध्यान दे रही है न प्रशासन । यही कारण है कि सांसदों और विधायकों में निराशा और हताशा फैल रही है । उसमें से कुछ ने तो आवाज़ भी उठाने की कोशिश भी की है,लेकिन उनकी आवाज़ नक्कारखाने में तूती की तरह रह गई है । गंभीर बात यह है कि यह दर्द विरोधी दल के विधायकों या सांसदों की जगह सत्तारूढ़ दल के लोगों का है । चौंकाने वाली बात यह है कि उनकी अपनी ही पार्टी के लोग ऐसे विधायकों या सांसदों का मजाक उड़ाने में लगे हैं । कई को तो घुड़की या कारण बताओ नोटिस तक जारी कर दिया गया है । मीडिया भी आवाज़ उठाने वाले माननीयों का उपहास बनाने से पीछे नहीं हट रही है । इन नेताओं की स्थिति सांप छुछुंदर की तरह हो गई है कि न तो उगलते बन रहा है न निगलते। दरअसल, यह स्थिति इसलिए बनी कि पार्टी चंद नेताओं के हाथ का खिलौना बनकर रह गई है । उनके ही नाम पर चुनाव लड़े जा रहे हैं विकास कार्यों में उन्हीं के फोटो और बयान भी इन नेताओं के मान्य हैं । इन सब में पार्टी पीछे होती जा रही है , यहां तक की कुछ नेताओं ने पार्टी के अधिकारिक झंडे की जगह अपनी फोटो वाले झंडे के इस्तेमाल की छूट दे रखी है । इसका भी माननीयों की साख पर बुरा असर पड़ रहा है । पार्टी से जुड़े पुराने नेता अपने को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं । इन माननीयों को कोई विकल्प भी नजर नहीं आ रहा है ।
हरदोई के गोपामऊ विधानसभा से विधायक श्याम प्रकाश ने तो ट्वीट कर राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा तक कर दी। उन्होंने लिखा कि विधायकों की स्थिति और साख स्तर देख भविष्य में राजनीति से संन्यास लेने का मन करने की बात कही। उन्होंने सीतापुर के विधायक का वाइरल आडियो पर यह टिप्पणी की थी। बताते चले कि बीते दिनों सत्तारूढ़ दल के विधायक को विधानसभा सत्र के दौरान अपनी बात रखने के लिए सदन धरना तक देना पड़ा था। इसी बात से आभास किया जा सकता है कि माननीयों की घुटन किस चरम तक जा पहुंची है । ऐसे में आम जनता के इंसाफ की बात करना बेमानी होगा। अब विरोधी पार्टी के नेताओं को तय करना है कि वे किस रणनीति के तहत माननीयों को अपने पाले में कर सम्मान बरकरार कर सकेंगे
अनिल मालवीय, लखनऊ।