रायपुर। देशभर में जारी लॉकडाउन के चलते भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में दर्ज प्रकरणों की सुनवाई में हो रहे विलंब को देखते हुए प्राधिकरण ने अब वीडियो कान्फं्रेसिंग के माध्यम से प्रकरणों की सुनवाई का निर्णय लिया है। बताया जाता है कि इसके लिए प्राधिकरण ने चिप्स से भी सहयोग मांगा है। चिप्स के सहयोग से रेरा में अब वीडियो कान्फे्रंस से कई प्रकरणों का निपटारा किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते रेरा में प्रापर्टी विवादों की सुनवाई बंद है। अब सरकारी दफ्तरों में कामकाज शुरू हो रहा है। ऐसे में रेरा में भी जल्द सुनवाई की तैयारी चल रही है। रेरा के अध्यक्ष विवेक ढांड और अन्य दो सदस्य एनके असवाल व आरके टम्टा ने बैठक कर हाईकोर्ट की तर्ज पर वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का फैसला लिया है। दिल्ली और बिलासपुर व देश के अन्य हाईकोर्ट में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हो रही है। कुछ इसी तरह की व्यवस्था रेरा में दर्ज प्रकरणों की सुनवाई के लिए किया जा रहा है। रेरा में सुनवाई कक्ष छोटा है और वकीलों की भीड़ भाड़ रहती है। ऐसे में सामाजिक और शारीरिक दूरी बनाए रखना मुश्किल है। इससे परे प्रदेशभर से रियल एस्टेट से जुड़े प्रकरणों की सुनवाई रायपुर रेरा में होती है। लॉकडाउन की वजह से आवाजाही में दिक्कतें हैं। ऐसे में पक्षकारों के लिए भी वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में हिस्सा लेना सुविधाजनक रहेगा। बताया गया कि रेरा ने 9 तारीख तक लंबित प्रकरणों की सुनवाई की तिथि बढ़ा दी है।
साथ ही साथ चिप्स के सहयोग से वीडियो कॉफ्रेंसिंग की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा करीब 50 अधिवक्ता हैं, जो कि रेरा के प्रकरणों की सुनवाई में हिस्सा लेते हैं, उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि किसी तरह की असुविधा न हो। इससे परे रियल एस्टेट कारोबार को लॉकडाउन ने तगड़ा झटका दिया है। बिल्डरों का दावा है बाजार बंद होने से 5 सौ करोड़ से ज्यादा की खरीदी-बिक्री प्रभावित हुई है। मकानों में फंसे पैसों ने बिल्डरों की परेशानी को और बढ़ा दिया है। लॉकडाउन खुलने के बाद रियल एस्टेट का बाजार की स्थिति को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है। इस वजह से बिल्डरों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में बिल्डरों ने भी अपने प्रोजेक्ट की समय सीमा एक साल आगे बढ़ाने के लिए रेरा से आग्रह किया है। इस पर भी सुनवाई होनी है।