दिल्ली:- नताशा और देवांगना के मामले में दिल्ली पुलिस ने फिर वही किया जो पिछले कई मुकदमों में करती आ रही है। पहले उन्हें जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के सामने प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किया। अदालत ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शन करने का कोई गुनाह नहीं किया इसलिए उन्हें जमानत दी जाती है । यही नहीं अदालत ने धारा धारा 353 लगाने को भी अनुचित माना। अदालत ने कहा कि अभियुक्त केवल प्रदर्शन कर रहे थे ।उनका इरादा किसी सरकारी कर्मचारी को आपराधिक तरीके से उनका काम रोकने का नहीं था। इसलिए धारा 353 स्वीकार्य नहीं है ।

जैसे ही उन्हें जमानत दी गई तो उन्हें स्पेशल सेल ने फिर से हत्या बलवा हत्या के प्रयास लूट जैसे मामलों में गिरफ्तार करने की अर्जी लगाते हुए 15 दिन का पुलिस रिमांड मांगा,लेकिन अदालत ने केवल दो दिन का दिया।
नताशा नरवाल और देवांगना कलीता जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की छात्राएं हैं. कलीता जेएनयू की सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज की एमफिल छात्रा, जबकि नरवाल सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज की पीएचडी छात्रा हैं. दोनों पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्य हैं.

यह दिल्ली पुलिस का पैटर्न बन गया है कि पहले किसी मामले में गिरफ्तार करो जब उसमें जमानत हो जाए तो दूसरे झूठे केस थोप दिए जाएं। ऐसा उन्होंने सबसे पहले खालिद सैफी और इशरत जहां मामले किया था, सफूरा के केस में उन्होंने यही किया ।आसिफ के केस में भी यही किया और अब निकिता नरवालऔर देवांगना कलिता के मामले में भी पुलिस ठीक वही तरीका अपना रही है।

जेएनयू शिक्षक संघ और छात्र संघ ने पुलिस की इस हरक़त की निंदा की है। विदित हो दिल्ली में हिंसा का प्रारम्भ मौजपुर से हुआ था और वहां डीसीपी की उपस्थिति में लोगों को भड़काने वाले कपिल मिश्रा और रागिनी तिवारी को अभी तक पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया गया। वहीं जेएनयू होस्टल में घुस कर मारापीटी करने वालों के चेहरे ओर नाम उजागर होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है कि सीएए विरोध और दिल्ली दंगों को एक साथ जोड़ कर अधिक से अधिक फर्जी गिरफ्तारियां लॉक डाउन समाप्त होने से पहले कर दी जाएं।

दंगा मामले में पुलिस की कहानी कितनी कमजोर है इसकी बानगी है कि बीते 1 हफ्ते में दिल्ली दंगे से जुड़े 20 मामलों में अदालत यह कह कर अभियुक्तों को जमानत दे चुकी है कि इनके खिलाफ कोई सशक्त प्रमाण या तथ्य हैं ही नहीं।
इस बीच कल शाम रोहतक में महिलाओं ने इन गिरफ्तारियों के विरोध में प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में महिलाओं के साथ ढेर सारी छात्राओं ने हिस्सा लिया। इन लोगों ने अपने हाथों में प्लेकार्ड ले रखे थे। और उन सभी पर कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की निंदा समेत उनकी रिहाई की माँग के नारे लिखे हुए थे।

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