भिलाईनगर। इस्पात नगरी भिलाई में पले-बढ़े और वर्तमान में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को भारतीय सेना के प्रतिनिधि के तौर पर चीनी सेना के अधिकारी मेजर जनरल लियू लिन के साथ शनिवार की तय बातचीत का जिम्मा सौंपा गया। लद्दाख में जारी भारत-चीन गतिरोध को खत्म करने भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह लेह स्थित 14वीं कॉप्र्स के कमांडर हैं। इस्पात नगरी को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा की जिम्मेदारी भिलाई के सपूत को सौंपे जाने पर गर्व महसूस हो रहा है। आज पूरे दिन शहर में अपने सपूत को लेकर चर्चायें होती रही।
लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की बहन नरिंदर कौर यहां डीपीएस रिसाली में शिक्षिका हैं, वहीं बहनोई हरदयाल सिंह बीएसपी के रिटायर जीएम (इलेक्ट्रिकल) हैं। नेहरू नगर निवासी सिंह दंपत्ति का कहना है कि उनके परिवार के लिए यह एक गौरव का अवसर है और सभी को बेहद खुशी हो रही है। बहन नरिंदर कौर ने बताया कि हरिंदर सिंह शुरू से ही मेधावी थे। उनकी प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई ईपीएस-9 (अब ईएमएमएस-9) से हुई है। बचपन से ही सेना में जाने का उनका सपना था। यहां तक कि 1980 में सीनियर सेकंडरी स्कूल सेक्टर-10 में उनकी पढ़ाई चल रही थी और मार्च में वार्षिक परीक्षा होने वाली थी, इसके पहले ही जनवरी में भारतीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में उनका चयन हो गया। सेना में अब तक उन्हें सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और अतिविशिष्ट सेवा मेडल प्राप्त हो चुके हैं। नरिंदर कौर ने बताया कि उनके छोटे भाई कर्नल रविंदर सिंह भी सेना के माध्यम से देश सेवा कर रहे हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का बचपन सेक्टर-8 की स्ट्रीट -21 में बीता है। उनके पिता दिवंगत सरदार गुरूनाम सिंह भिलाई स्टील प्लांट के शुरूआती दौर के इंजीनियरों में से थे और मर्चेंट मिल से प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए थे। माता सुरजीत कौर गृहणि थीं। उनके पिता के साथ बीएसपी में सेवा दे चुके रिटायर मैनेजर दयाल सिंह याद करते हुए कहते हैं-हरिंदर और सभी भाई-बहन हमारे सामने बड़े हुए। हम लोगों को आज भी उनका पारिवारिक नाम मिंटू ही जबान पर आता है। उन्होंने बताया कि स्व. गुरूनाम सिंह समाजसेवा के क्षेत्र में हमेशा सक्रिय रहते थे और नेहरू नगर स्थित गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के पहले महासचिव थे। लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की इस उपलब्धि की खबर सोशल मीडिया में वायरल करने वाले शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी यश ओबेराय का कहना है कि यह समूचे भिलाई के लिए गौरव का अवसर है, जब एक भिलाईयन को सेना में इतनी महत्वपूर्ण जवाबदारी मिली है।
सेना में उत्कृष्ट सेवा और बेहतरीन अनुभव
लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने 14 अक्टूबर 2019 को फायर एंड फ्यूरी कॉप्र्स की कमान संभाली है। यह 14 वीं कॉप्र्स भारतीय सेना की उधमपुर स्थित उत्तरी कमान का हिस्सा है। यह कमान सबसे जोखिम भरी चुनौतियों का सामना करती है। लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह आतंकवाद रोधी विशेषज्ञ कमांडर मानें जाते हैं। 1999 में स्थापित सेना की इस इकाई के माध्यम से नियंत्रण रेखा (एलओसी) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) दोनों जगह रक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही है। इस ओहदे से पहले लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने कई महत्वपूर्ण जवाबदारी निभाई है। मराठा लाइट इन्फैंट्री से अपनी सेवाओं की शुरूआत के बाद उन्होंने देश की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर विशिष्ट सेवाएं दी है। उन्होंने उत्तरी कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल बटालियन में सेवाएं दी। वहीं अफ्रीकी देश कांगों में संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति अभियान और उत्तरी कश्मीर में इन्फैंट्री (पैदल सेना) डिवीजन की कमान संभाली है। उन्होंने सैन्य संचालन महानिदेशालय (डीजीएमओ), रसद और सामरिक गतिविधि अभियान महानिदेशालय (डीजीओ एलएंडएसएम) तथा महानिदेशालय एकीकृत मुख्यालय रक्षा मंत्रालय (एचक्यूएमओडी-आर्मी) में भी सेवाएं दी है। फायर एंड फ्यूरी कॉप्र्स की कमान संभालने से पहले वह सेना के एकीकृत मुख्यालय में महानिदेशक सैन्य (खुफिया) की जवाबदारी निभा रहे थे।

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