रायपुर , प्रदेश भर के पत्रकार संगठनो और सामाजिक सरोकार से जुड़े लेखकों , साहित्य कार बिरादरी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बतलाते हुए कहा है कि इस घटना ने छत्तीसगढ़ की शांत फिज़ाओं को कलंकित ही नहीं किया है वरन् छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन और भूपेश सरकार पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह भी खड़ा किया है। जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा रायगढ़ ने कांकेर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार और “भूमकाल” समाचार के संपादक कमल शुक्ला पर दिनदहाड़े जानलेवा हमला किए जाने की कड़ी निंदा करते हुए अपराधियों एवं अपराधियों को संरक्षण देने वालों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने की मांग की है।
कमल शुक्ल आदिवासी हितों के लिए संघर्षरत एक चर्चित पत्रकार है। पिछले भाजपा राज के समय भी सलवा जुडूम की ज्यादतियों को उजागर करने के कारण उन्हें सत्ता पक्ष का कोपभाजन बनना पड़ा था। पिछले कई वर्षों से वे पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग पर संघर्षरत है और चुनावों के समय कांग्रेस ने इस मांग को पूरा करने का वादा किया था।
जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा रायगढ़ अध्यक्ष शिव शरण पांडे, उपाध्यक्ष पी एस पंडा, सचिव बासुदेव शर्मा, वरिष्ठ साथी ट्रेड यूनियन कौंसिल के संयोजक गणेश कछवाहा, ने इसे समूचे पत्रकार और सामाजिक सरोकार से जुड़े लेखकों , साहित्य कार बिरादरी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बतलाते हुए कहा है कि इस घटना ने छत्तीसगढ़ की शांत फिज़ाओं को कलंकित ही नहीं किया है वरन् छत्तीसगढ़ पुलिस प्रशासन और भूपेश सरकार पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह भी खड़ा किया है।
मोर्चा तत्काल अपराधियों की गिरफ्तारी उन पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने की मांग करता है।
मोर्चा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और महामहिम माननीया राज्यपाल से तत्काल कार्यवाही करने की मांग की है।
दूसरी ओर कांकेर के डी आई जी पी सुन्दर राज ने इस घटना के दोषियों पर कानून सम्मत कार्यवाही का भरोसा दिलाया है तथा कमल शुक्ला के बयान के आधार पर केस रजिस्टर्ड करने की जानकारी दी है हालाँकि सूत्र बताते है कि काउंटर FiR भी की गयी है .
बहरहाल इस घटना में कांग्रेस से जुड़े लोगो का हाथ होने का खंडन राज्य प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने किया है. उनका कहना है की घटना में शामिल एक व्यक्ति जों फर्जी तरीके से कांग्रेस इंटक से जुड़े होने का दावा करता है जबकि दूसरा स्वतंत्र पार्षद है जिसका कांग्रेस से कोई सम्बन्ध नहीं है.
गालीगलौच के साथ निर्ममता से दिन दहाड़े की गयी मारपीट की विडिओ सोशल मिडिया में वायरल हो चुकी है और विपक्षी दल भाजपा ने इस घटना में कांग्रेस सरकार को आड़े हांथो लिया है. कानून और व्यवस्था पर गुंडागर्दी के हावी होने के मामले को उठाते हुए प्रवक्ता उपासने ने कहा की पत्रकारों की पिटाई अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है जाहिर है कि आम नागरिक भी सुरक्षित नहीं हैं.
पी यु सी एल छत्तीसगढ़ राज्य इकाई ने कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला और अन्य पत्रकारों पर राजनीतिक रूप से समर्थित गुंडो द्वारा किये गये घातक हमले की कड़ी निन्दा की है, और साथ ही इन आरोपियों पर जल्द से जल्द सख्त कार्यवाही की मांग की है। यह याद रखना चाहिये कि कमल शुक्ला के नेतृत्व में संपूर्ण छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने पत्रकार सुरक्षा कानून के लिये एक प्रभावशाली आन्दोलन किया था, कांग्रेस पार्टी ने वादा भी किया था कि वे पत्रकार सुरक्षा कानून को पारित करेंगे। यह बहुत बड़ी विडम्बना की बात है कि कांग्रेस पार्टी के सत्ता ग्रहण करने के लगभग एक साल बाद भी यह कानून नहीं बना है, और आज उन्हीं कमल शुक्ला पर इसी पार्टी के समर्थित तत्त्वों द्वारा भयानक हिंसा की जा रही है।
खबर मिली है कि आज दोपहर, कांकेर में पुराने बस स्टेंड के नदी किनारे स्थित होटल से एक पत्रकार साथी, सतीश यादव, को सरकार समर्थित गुंडे मार-मार कर 200 मीटर दूर पुलिस थाने ले गये, जहाँ उनके साथ और भी मारपीट हुई। इसके विरोध में कमल शुक्ला और 20-25 अन्य पत्रकार साथी कांकेर थाने पहुँचे । वहाँ उसी समय लगभग 300 से अधिक असामाजिक तत्त्व एकत्रित हो गये और थाना परिसर के भीतर एवं उसके ठीक बाहर, पुलिस के समक्ष, उन्होंने कमल शुक्ला व अन्य पत्रकारों से भीषण मारपीट की। दिन दहाड़े, खुलेआम, पुलिस की मौजूदगी में ऐसी हिंसा करना दर्शाता है कि हमलावरों को सरकारी प्रशासन और पुलिस से पूर्ण संरक्षण प्राप्त था।
कमल शुक्ला अपने लेखों द्वारा लगातार सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और अवैध रेत खनन का खुलासा कर रहे थे। उन्हें इस से पहले भी जान से मारने की धमकियाँ मिली हैं । उन पर यह कोई सहज, स्वतःस्फूर्त हमला नहीं था, अपितु एक सुनियोजित, पूर्वकल्पित हमला था। इस प्रहार से उनके सर और गर्दन पर गम्भीर चोटें आई हैं । कमल शुक्ला एवं अन्य साक्षियों ने बताया कि हमलावरों में कांकेर विधायक के प्रतिनिधि गफूर मेमन, पूर्व नगर पालिका के अध्यक्ष जितेन सिंह ठाकुर, वर्तमान नगर पालिका के उपाध्यक्ष मकबूल खान, और गणेश तिवारी शामिल हैं।
इस घटना की पीयूसीएल तीव्र आलोचना करता है आर निम्न मांगे करता है –
1. कांकेर प्रशासन तुरन्त कमल शुक्ला, सतीश यादव और अन्य पत्रकारों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे
2. इस हमले की पूर्ण निष्पक्ष जाँच की जाये और हमलावरों को कड़ी सज़ा दी जाये
3. कांकेर पुलिस थाने की निष्क्रियता और पक्षपाती रवैये पर एक जाँच कमिटी बिठाई जाये
4. एक प्रभावी विधेयक – छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा कानून – शीघ्र पारित किया जाये.
प्रदेश के विभिन्न पत्रकार संगठनो ने भी इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के संरक्षक दिवाकर मुक्तिबोध तथा अध्यक्ष पी सी रथ, उपाध्यक्ष घनश्याम गुप्ता ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए तत्काल कड़ी कार्यवाही की मांग की है. घटना के बाद देर रात्रि पुलिस ने कमल शुक्ल की रिपोर्ट पर कार्यवाही करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया तथा जमानत भी हो गयी.
दिन में प्रदेश भर से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पत्रकारों के जत्थे कांकेर पहुंचते रहे. कांकेर में भाजपा जिलाध्यक्ष सतीश लतिया भी अपने साथियों के साथ पत्रकारों के धरने प्रदर्शन में शामिल हुए . आरोपियों की गिरफ़्तारी और जमानत के विरोध में लगातार चर्चा होती रही , देश भर के पत्रकारों की इस घटना से आहत हो कर टिप्पणिया आती रही .
गृहमंत्री ने कानून सम्मत कार्यवाही दोषियों पर होने का भरोसा दिलाया है किन्तु पत्रकारों को सरकार की मंशा पर यकीं करना मुश्किल हो रहा है.