रायपुर, कांकेर कांड के विरोध में राज्य शासन द्वारा प्रभावी कार्यवाही नही होने के कारण देश प्रदेश के पत्रकार उद्धेलित हैं, उनका कहना है कि गुंडागर्दी को अगर कानून व्यवस्था का डर नही रहेगा तो प्रदेश में जनजीवन आखिर चलेगा कैसे ? इस बीच 8 दिनों से अनशनरत कमल शुक्ला से मिलने मेडिकल कालेज हस्पताल में मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा एवं रुचिर गर्ग पहुंचे।

पत्रकारों की चिंताएं अपने रोजमर्रा के कामकाज के इस तरह की खुलेआम गुंडागर्दी से प्रभावित होने की तो है ही साथ ही उनका यह भी सोचना है कि जब एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ -साथ 8-10 पत्रकारों का जब थाने में उत्पीड़न सत्तारूढ़ दल से जुड़े गुंडों द्वारा होगा और सरकार वीडियो सबूतों के तत्काल मीडिया में वायरल हो जाने के बाद भी दस दिनों तक कार्यवाही नही कर पायेगी तो आखिर कानून व्यवस्था का हाल इस तरह कैसे चल पाएगा।

बीजापुर से आये पत्रकार गणेश मिश्रा कहते है हमें तो नक्सली इलाकों में रोज खतरों के बीच काम करना पड़ता है ऐसी स्थिति में तो काम करना दूभर हो जाएगा। दक्षिण बस्तर से आये रंजन दास का मानना है कि इसके पूर्व की भाजपा सरकार में भले ही पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मामले बनाये जाने या देशद्रोही तक के आरोप लगाए जाने की घटनाएं होती थी किन्तु थाने में पत्रकारों की सामूहिक पिटाई और सरेआम गुंडागर्दी इस तरह कभी नही हुई।

सरकार की चुप्पी को ले कर परेशान पत्रकार 11 अक्टूबर को धरना स्थल से राज भवन तक मार्च करेंगे और जन सुरक्षा कानून तथा अन्य मांगों को ले कर राज्यपाल को ज्ञापन देने की योजना बना रहे हैं।

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