रायपुर , आज पहला दिन है उस घोषणा का जिसमे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर शहर में आम जनता से मिलने वाले थे अपनी घोषणा के मुताबिक रायपुर में, सुबह 6 बजे से लम्बी लाइन में खड़े लोग उनके बंगले के बाहर दिखाई दिए . दोपहर 12 बजे तक हजारो की भीड़ इकट्ठी हो गयी. साड़ी तैयारियां चरमराने लगी , इंतज़ार करते हुए लोग बैचेन होने लगे आखिरकार मिलने का सिलसिला शुरू हुआ .
भीड़ के कारण ये तो पता चलता है कि बहुत सारे लोग हैं जिनकी समस्याओ का कोई हल इन 6 महीनो में नहीं निकाल पाया है , साथ ही यह भी कि आम लोगों का अपने मुख्यमंत्री से सहज रूप से मिल पाना आज भी कितना कठिन है जिससे वे इस तरह के कार्यक्रमों का इन्तजार करते है.
मजीठिया वेज बोर्ड की सिफ़ारिशे पिछले 8 सालों में प्रदेश के समाचारपत्र संस्थानों में लागू नहीं की गयी हैं और उसकी शिकायतों पर कार्यवाही नहीं होती , श्रम विभाग द्वारा यूनियनों के हस्तक्षेप के बाद ले दे कर मामला श्रम न्यायालयों तक पहुंचा है तो वहां न्याय देने के लिए जज का स्थान ही बरसों से रिक्त है ऐसी स्थिति में पत्रकारों और कर्मचारियों के पास क्या विकल्प है ? ये कहना है मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे नसीम मोहम्मद और मयूर मल्हार बक्शी का जो इन्ही मांगों को ले कर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे .
ढेर सारे ग्रामीण जो विभिन्न सरकारी कार्यालयों में अटके कामो के लिए समाधान की आस में पहुंचे थे . बहुत से आदिवासी छात्र छात्राये जो पिछले वर्ष की छात्रवृत्ति नहीं मिल पाने की शिकायत ले कर पहुंचे थे भीड़ से बेजार नज़र आ रहे थे .चिकित्सा मदद की आस में भी कई फरियादी आवेदन थामे नज़र आये . कुल मिला कर समाधान की आस में आये लोगो के लिए ये एक पीड़ा दायक अनुभव अधिक प्रतीत हो रहा था , बेहतर होता की जिले वार मिलने की घोषणा की जाती या ऑनलाइन मुलाकातियो का पंजीयन करके अलग अलग समय पर नियंत्रित संख्या में बुलाया जाता . बहरहाल जो मिल पाए उनके आवेदनों पर खुद मुख्यमंत्री रिमार्क लिखते जा रहे है उम्मीद की जा सकती है कि समाधान भी होगा , लोकतंत्र में जनता को इन्तजार तो करना ही होगा .