2014 में ही, केरल शास्त्र साहित्य परिषद (KSSP), केरल पीपुल्स साइंस मूवमेंट के अध्यक्ष  ने तत्कालीन सीएम ओमेन चांडी को अंधविश्वास और बुराई प्रथा (रोकथाम और उन्मूलन) विधेयक नामक एक मसौदा पेश किया था

तिरुअनंतपुरम (इंडिया न्यूज रूम )  केरल जल्द ही अंधविश्वास और जादू-टोना और भूत-प्रेत जैसी प्रथाओं के खिलाफ एक कानून बनाने जा रहा है. राज्य के कानून सुधार आयोग ने एक विधेयक का मसौदा तैयार किया है, जो उन लोगों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान करता है जो लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं.

अंधविश्वास (रोकथाम) अधिनियम विधेयक द्वारा केरल में ऐसे  शोषण के खिलाफ़  राज्य सरकार की सिफारिश के अनुसार मसौदा तैयार किया गया था. इससे पहले, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य विधानसभा को सूचित किया था कि सरकार अंधविश्वास, काले जादू आदि के खिलाफ सख्त  कानून लाने के लिए तैयार है. हालांकि मसौदा विधेयक कुछ साल पहले तैयार किया गया था, लेकिन इसे कानून के रूप में पारित नहीं किया गया था. लेकिन अंधविश्वास और  काले जादू की प्रथाओं  के कारण हाल ही में हुई  मौतों की घटनाओं ने इस तरह के कानून की तीव्र  आवश्यकता को जन्म दिया है. रहस्यमय परिस्थितियों में बीते साल अगस्त में इडुक्की जिले के थोडुपुझा के पास कंबक्कानम में एक परिवार के चार सदस्यों की मौत ने राज्य में इस तरह के कानून  की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया था. राज्य में नियमित अंतराल पर निकट अतीत में ऐसी घटनाएं हुई हैं. एक अन्य घटना में, एक 27 वर्षीय महिला का मामला जिसे  मार्च 2019 के दौरान कोल्लम जिले में मौत के घाट उतार दिया गया था, ने भी जादू और अंधविश्वासों की मौजूदा प्रथा की ओर संकेत किया था. 2014 में ही, केरल शास्त्र साहित्य परिषद (KSSP), केरल पीपुल्स साइंस मूवमेंट के अध्यक्ष  ने तत्कालीन सीएम ओमेन चांडी को अंधविश्वास और बुराई प्रथा (रोकथाम और उन्मूलन) विधेयक नामक एक मसौदा पेश किया था. इस प्रारूप में महाराष्ट्र की रोकथाम और मानव बलि और अन्य अमानवीय, बुराई और अघोरी प्रथाओं और काला जादू अधिनियम, 2013 का उन्मूलन को शामिल  किया गया था, जिसे मूल रूप से 2003 में तर्कवादी नरेंद्र ढाबोलकर द्वारा मसौदा तैयार किया गया था. राज्य में कई तर्कवादियों द्वारा कई वर्षों के अभियान और संघर्षों के बाद, अगस्त 2013 में दक्षिणपंथी ताकतों द्वारा ढाबोलकर की हत्या के तुरंत बाद दिसंबर 2013 में बिल लागू किया गया था. महाराष्ट्र के बाद, कर्नाटक ने एक अंधविश्वास विरोधी कानून बनाया था. सितंबर 2017 में राज्य विधायिका द्वारा अमानवीय बुराई प्रथाओं और ब्लैक मैजिक बिल, 2017 को  बहुत देरी और बहस के बाद  रोक दिया गया था.  कर्नाटक के अंधविश्वास विरोधी बिल ने एक निश्चित सीमा तक, कुछ हद तक विभिन्न प्रकार की अमानवीय प्रथाओं को, विशेष रूप से मेड स्नाना- जिसे मेड स्नाना के रूप में जाना जाता है- जो मंदिर के एक अलग हिस्से में ब्राह्मण द्वारा  भक्तों को ऐसे केले के पत्तों पर लुढ़कने का अभ्यास करवाया जाता है , जिस पर पहले भोजन परोसा गया था, को भी चिन्हित किया गया था .  इसी तरह  असम की विधान सभा ने भी अगस्त 2015 में एक विधेयक पारित किया था – असम चुड़ैल शिकार (निषेध, रोकथाम और संरक्षण) विधेयक. ब्रांडिंग लोगों, विशेष रूप से महिलाओं को  चुड़ैल कहने और उन्हें मारने के रूप में बहुत हाल ही तक ये बेहूदा कुरीति प्रचलन में थी इससे  राज्य में बहुत तकलीफ थी. हालाँकि इतने विमर्श के बाद इस  बिल को वर्ष  जुलाई 2018 में एक अधिनियम में बदल दिया गया था.

केरल में प्रस्तावित कानून के तहत-  बीमारी पर अंकुश लगाने, भूतों को खदेड़ने, धन और खजाना प्राप्त करने आदि के नाम पर विभिन्न अमानवीय गतिविधियों को दंडनीय किया जाएगा. मसौदा विधेयक में 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है और उन लोगों को सात साल की कैद है जो अंधविश्वासी प्रथाओं का प्रचार करके कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. दंडनीय प्रथाओं की सूची में शामिल हैं. जादू-टोना और भूत-प्रेत का अभ्यास करना, कोई भी अमानवीय, दुष्ट कार्य करना और कीमती चीजों की तलाश में काला जादू करना और अलौकिक शक्तियों को कहने वाले व्यक्ति के सामान्य जीवन को बाधित करना. भूत को बाहर निकालने के नाम पर, किसी व्यक्ति को रस्सी या जंजीर से बांधकर, लाठी या कोड़े से पीट-पीटकर मारना, उसे रस्सी से या बालों से ठीक करना या उसके बालों को गिराना, अंगों या शरीर के गर्म वस्तु को छूने से दर्द होता है एक व्यक्ति, एक व्यक्ति को खुले में यौन क्रिया करने के लिए मजबूर करना, अमानवीय कृत्यों का अभ्यास करना, किसी व्यक्ति के मुंह में जबरन मूत्र या मानव मल डालना या ऐसी किसी भी हरकत का अभ्यास करना.
भूत या मंत्रों को लागू करने या भूत को आह्वान करने की धमकी के द्वारा सामान्य रूप से जनता के बीच दहशत पैदा करना, ऐसी धारणा बनाना कि इंद्रियों द्वारा भूत या शक्ति का प्रकोप न हो जो शारीरिक चोटों के कारण हो और किसी व्यक्ति को चिकित्सीय उपचार से रोका जा सके और इसके बजाय उसे उलट दिया जाए.

उसे अमानवीय, दुष्ट और अघोरी कार्य करने या काले जादू या अमानवीय कृत्य का अभ्यास करने से आर्थिक हानि होती है. कुत्ते, सांप या बिच्छू के काटने के मामले में किसी व्यक्ति को चिकित्सीय उपचार लेने से रोकना  और उसके बजाय उसे मन्त्र तंत्र, गन्दे डोर (“पवित्र” धागा) या ऐसी अन्य चीजों का उपचार देना.जिससे उसके जीवन पर संकट आने की स्थित्ति निर्मित हो दंडनीय होगा .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here